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दिल्ली की इन दमदार महिला आर्म रेस्लर्स से पंगा मत लेना!

पंगा लेने वालों को पंजे से देती हैं पटखनी , दिल्ली की ये वीमेन आर्म रेस्लर्स

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कैमरामैन: मुकुल भंडारी, त्रिदीप के मंडल

वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

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ज्यादा लोगों ने तो नहीं. मैंने कोशिश की और मैं हार गया!

पहली नजर में, आपको ये महसूस नहीं होगा कि पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके में छोटी सी बरसाती में दिल्ली के आर्म-रेस्लिंग क्लब में से एक- सबसे लोकप्रिय रॉयल स्पोर्ट्स क्लब है.

यहां मैं करिश्मा कपूर से मिला ... बॉलीवुड स्टार नहीं, बल्कि एक 17 साल की आर्म-रेस्लर जिसने मुझे मुश्किल दांव सिखाए, मुझे 3 सेकेंड में ढेर भी कर दिया.

करिश्मा उन 20 महिला पहलवानों में शामिल हैं जो रेगुलर यहां ट्रेनिंग लेती हैं. इंटरनेशनल लेवल के आर्म-रेस्लर लक्ष्मण सिंह भंडारी इन लड़कियों को ट्रेनिंग देते हैं. वो 1995 से ये क्लब चला रहे हैं, ज्यादातर फ्री कोचिंग देते हैं और कई बार प्रतिभाशाली आर्म रेस्लर्स को ट्रेनिंग देने के लिए अपने खुद के पैसे लगाते हैं.

“मेरा फोकस वीमेन रेस्लिंग के साथ महिला सशक्तिकरण की मजबूती को लेकर भी है, कि वे अपनी पहचान बनाएं. रेप होते हैं, छेड़खानी होती है और ये अपनी सुरक्षा नहीं कर पातीं या विरोध नहीं कर पाती हैं. और जब आप स्पोर्ट्स से जुड़ते हैं, खासकर वहां जहां पावरगेम होता है, तो खुद ब खुद आत्मविश्वास आता है. आप विरोध कर सकते हो. मजबूती से अपनी बात रख सकते हो. आर्म रेस्लिंग शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तौर पर आपको फिट रखता है.”  
लक्ष्मण सिंह भंडारी, आर्म रेस्लर और फाउंडर, रॉयल स्पोर्ट्स क्लब
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करिश्मा एक अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाड़ी भी हैं, लेकिन आर्म रेस्लिंग में उन्हें वो सुकून मिला जिसकी उन्हें तलाश थी. आर्म रेस्लिंग ने उन्हें उनकी नानी के मौत से मिले सदमे से उबरने में मदद की.

“मैं डिप्रेशन में चली गई थी, जब मेरी नानी मां की मौत हुई. उनकी मौत के बाद मैंने आर्म रेस्लिंग शुरु की. नानी मेरे लिए मेरे पिता जैसी थीं. उन्होंने हर भूमिका निभाई है जो एक पिता निभाते हैं. नानी मेरे लिए पिता, भाई, बहन सबकुछ थीं. आर्म रेस्लिंग ने मुझे हौसला दिया और डिप्रेशन से बाहर लाने में मदद की.”  
करिश्मा कपूर, प्रोफेशनल आर्म रेस्लर
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आर्म रेस्लिंग कई कैटेगरी में खेली जाती है. हालांकि वजन पहला मापदंड है, कभी-कभी खिलाड़ियों को उम्र के मुताबिक भी अलग-अलग कैटेगरी में रखा जाता है. जूनियर रेस्लर्स सामान्य रूप से 14 से 18 साल के बीच के होते हैं, युवा वर्ग में 18 से 21 साल तक के रेस्लर्स होते हैं , और 40 से ऊपर के पहलवानों के लिए मास्टर्स कैटेगरी होती है.

डॉ. पूनम तारिक, जिनकी उम्र 40 पार कर चुकी है, उन्हें वैसे तो मास्टर्स कैटेगरी में लड़ना चाहिए था, लेकिन वजन की वजह से, वो खुद की तुलना में काफी कम उम्र की लड़कियों के साथ आर्म रेस्लिंग खेलती हैं. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में एक मैथ्स प्रोफेसर और तीन युवा बेटों की मां पूनम को उनके बेटे ताहा ने आर्म रेस्लिंग की दुनिया में कदम रखने को कहा.

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“मेरे बेटे ताहा का मैच था. ये खेलने गए थे तो इन्होंने देखा कि वीमेंस कॉम्पिटिशन हो रहा है, तो इन्होंने मुझसे कहा कि आप भी खेल लो. ये मेरे साथ ही प्रैक्टिस करते थे.” 
डॉ. पूनम तारिक, प्रोफेसर और आर्म रेस्लर

ज्यादातर आर्म रेस्लर्स पूनम और कोच लक्ष्मण की तरह हैं, उनके पास खुद की जिंदगी चलाने के लिए अलग से एक जॉब भी है. लक्ष्मण अंतरराष्ट्रीय स्तर के आर्म-रेस्लर हैं, लेकिन साथ ही वे एक मीडिया ऑर्गनाइजेशन के मार्केटिंग डिपार्टमेंट में काम करते हैं.

“हालात ऐसे नहीं हैं कि आर्म रेस्लिंग को कोई करियर बना सके. हां, लेकिन इससे जुड़ने के बाद लोगों को मौके मिले हैं, पहचान मिली है, जॉब मिली है, समाज में सम्मान मिला है.”
लक्ष्मण सिंह भंडारी, आर्म रेस्लर और फाउंडर, रॉयल स्पोर्ट्स क्लब

और ये उसी सम्मान और बेहतर जिंदगी की उम्मीद है जिसके लिए करिश्मा जैसी युवा आर्म रेस्लर्स एक बाउट में अपने नाम करने की कोशिश में दिन-रात लगी हुई हैं.

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