गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं और बीजेपी सरकार बना रही है. बीजेपी भले ही ये चुनाव जीत गई है, लेकिन इस जीत के साथ पार्टी को जख्म भी मिला है. गुजरात के ग्रामीण इलाके में कांग्रेस को जहां 49% वोट मिला वहीं बीजेपी 43% से संतुष्ट होना पड़ा. हालांकि बीजेपी का गांव और गरीब पर फोकस है.
बीजेपी गुजरात में धार्मिक ध्रुवीकरण अपनाकर जीती है, लेकिन इस जीत की चमक फीकी है. बीजेपी को गरीबों के लिए रणनीति बनाने में अभी और जोर लगाना है. पार्टी को गरीबों पर सिर्फ पैसे खर्च ही नहीं करने बल्कि रोजगार भी देना हैं, जोकि ग्रामीण इलाके में एक बड़ी समस्या है.
वहीं कांग्रेस की बात करें तो पार्टी जीतने वाला चुनाव हार गई है, क्योंकि गुजरात के लोगों में नाराजगी थी. तीन लड़कों ने एंटी बीजेपी पॉलिटिक्स की नींव डाली पर इसका फायदा कांग्रेस नहीं उठा सकी. बात करें नए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तो उनमें आत्मविश्वास बढ़ा है. कांग्रेस के सामने विपक्ष को एकजुट करने का मौका है, लेकिन कांग्रेस आलस दिखाती है. राहुल के बाद मायावती और अखिलेश यादव हैं, जो राजनीति की दशा और दिशा बदल सकते हैं.
पीएम मोदी और अमित शाह की टीम इन सबको अच्छे से जानती है, इसलिए वो गुजरात की जीत को भले ही शानदार जीत कह रहे हों, लेकिन बीजेपी के लिए ये चेतावनी वाली जीत है. इस चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए पार्टी को 'कोर्स करेक्शन' करने होंगे. अब बीजेपी के तरफ से ये करेक्शन जीएसटी और बजट के मोर्चे के साथ कर्नाटक चुनाव देखने को मिल सकता है, जिसका हमें इंतजार करना होगा.
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