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शहीद गुरतेज सिंह का गलवान से आखिरी संदेश

15 जून को गलवान घाटी में चीन के साथ हुई झड़प में 23 साल के सिपाही गुरतेज सिंह भी शहीद हो गए थे.

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

वीडियो प्रोड्यूसर: ज़िजाह शेरवानी

15 जून को गलवान घाटी में चीन के साथ हुई झड़प में 23 साल के सिपाही गुरतेज सिंह भी शहीद हो गए थे. उनके परिवार ने हमारे साथ उनसे आखिरी बातचीत साझा की और उनके बारे में बताया. गुरतेज अपनी मां के सबसे करीब थे और उनकी मां उन्हें प्यार से 'शेर पुत्तर' बुलाती थीं.

गुरतेज 2018 में सेना के 3 पंजाब 'घातक प्लाटून' में शामिल हुए थे. हमेशा फोन और मैसेज के जरिए परिवार के संपर्क में रहते थे.

जब हम वीडियो चैट करते थे, तो वो कहता था, ‘पहले मां का चेहरा दिखाओ, मेरी आंखें उन्हें देखने को तरस रही हैं.’ हम इतनी बातें करते थे. वो आखिरी बार था, जब हमने बात की थी. मैंने उसे बताया था कि मैं उसका इंतजार कर रही हूं.
प्रकाश कौर, शहीद सिपाही गुरतेज सिंह की मां

गुरतेज तीन भाइयों में सबसे छोटे थे. अपने बड़े भाई की शादी में शामिल नहीं हो पाए थे. इस वजह से वापस आने के बाद पार्टी देने की बात कर रहे थे. गुरतेज ने अपनी मां से अपने लौटने से पहले अच्छा घर बनवाने की बात कही थी. उनकी मां ने वादा किया था कि वो अच्छा घर बनवा देंगी, जिसे देखकर गुरतेज काफी खुश होंगे.

न उसे मालूम था, न मुझे कि वो अब कभी घर नहीं लौटेगा. उसने कहा था कि महामारी की वजह से उसे छुट्टी नहीं मिलेगी लेकिन जल्द ही आएगा.
प्रकाश कौर, शहीद सिपाही गुरतेज सिंह की मां
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गुरतेज ने आखिरी बार 10 जून को अपने भाई से बात की थी. 7 जून को उन्होंने अपने बड़े भाई को फोन कर कहा था, "भाई, यहां हालात ठीक नहीं हैं. चिंता मत करना, मैं मैसेज करता रहूंगा.' 10 जून को भी यही कहा था, 'इस वक्त अब कुछ भी हो सकता है.'

गुरतेज सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए पंजाब सरकार ने उनके नाम पर एक स्कूल का नाम रखा है. 15 जून को चीन के साथ हुई झड़प में गुरतेज सिंह समेत भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे.

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