वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
“जो लोग मेरी शादी को लव जिहाद कहते हैं उन्हें मैं अपने घर बुलाना चाहूंगी और दिखाउंगी कि मैं नमाज पढ़ती हूं और मेरे पति पूजा करते हैं”
ये कहानी है एक इंटर-फेथ कपल और कानूनी 'पक्षपात' के खिलाफ उनकी लड़ाई की. जो समाज और कानून से संघर्ष कर रहे हैं.
फराह और गौतम (बदला हुआ नाम) की मुलाकात 2011 में हुई थी. कॉलेज में एडमिशन के बाद से ही दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगता था. लव जिहाद की तमाम बहसों के बीच उनका कहना है कि फराह का कहना है कि पहले ये ही तय कर लिया था कि रिलेशनशिप में आएंगे तब शादी करनी ही है. और गौतम भी इस बात से सहमत था. दोनों के घर वाले इस शादी के खिलाफ थे.
“हम नहीं चाहते थे कि हम एक-दूसरे का धर्म परिवर्तन करें. जैसे हैं वैसे ही स्वीकार करना चाहते थे.”गौतम
कपल ने स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत शादी करने का फैसला लिया लेकिन उन्हें कानूनी 'पक्षपात' का सामना करना पड़ा. एक्ट के तहत 30 दिन पहले पब्लिक नोटिस देना जरूरी है. ये नियम एक ही धर्म के कपल पर लागू नहीं होता. इस कानून को और ज्यादा 'समान' बनाने के लिए कपल दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा.
“हिंदू मुस्लिम शादी में 30 से 60 दिन तक लगते हैं. वो जो समय होता है काफी अहम होता है. उस वक्त हमारे साथ कुछ भी हो सकता है. इसलिए इस पीटिशन के माध्यम से हम इस असमानता को खत्म करना चाहते हैं.”
अनिवार्य नोटिस से सुरक्षा और निजता को खतरा हो सकता है. पूरी डिटेल के साथ नोटिस चिपका दी जाती है ऐसे में कोई भी भारतीय नागरिक इस कानून के तहत शादी पर आपत्ति जता सकता है..
कपल ने अनिवार्य 30 दिन की अवधि के बाद शादी कर ली लेकिन उनके जैसे अन्य कपल के अधिकारों के लिए उनकी याचिका अभी भी कोर्ट में है.
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