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आवास योजना के वादों तले दम तोड़ता पक्के मकान का सपना 

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्र ने साल 2018 से 19 के बीच 1 करोड़ घर बनाने का टारगेट सेट किया था

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एडिटर: कुणाल मेहरा

प्रोड्यूसर: स्मृति चंदेल

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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्र ने साल 2018 से 19 के बीच 1 करोड़ घर बनाने का टारगेट सेट किया था, लेकिन ग्वालियर से 75 किमी दूर बसे एक गांव में रहने वाले लोगों का आरोप है कि आवास योजनाओं में घोटाला किया जा रहा है. इस मामले की सच्चाई जानने क्विंट घाटीगांव पहुंचा. जहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री की इस आवास योजना के जरिए घोटाले किया जा रहा है.

ग्वालियर के इस गांव में जहां एक तरफ नीव तो पड़ गई है, लेकिन पूरे घर अभी भी नहीं बन पाए हैं. कही घर बिना छत नहीं है तो कहीं फर्श उखड़े पड़े हैं. काफी लंबे समय से काम बंद होने की वजह से इन घरों में मकड़ी के जाले लग गए हैं. दिहाड़ी मजदूरी करने वाली अंगूरी को भी  प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला था. लेकिन जब अंगूरी से घर के बारे में पूछा गया तो वो अपना दर्द बयान करे बिना रह नहीं पाई. अंगूरी ने बताया कि घर अभी भी अधूरी हालत में है.

न तो घर में प्लास्टर हुआ है न ही घर का काम पूरा हुआ है. घर की छत भी टूट रही है, जब सरकार से इस बारे में सवाल किया जाता है तो वो कहते हैं कि घर बन तो गया और कैसे घर बनते हैं?

लेकिन सरकारी कागजों में अंगूरी के घर को बना हुआ घोषित किया गया है.

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स्थानीय निवासी और बीपीएल कार्डधारी कल्याण सिंह आदिवासी ने तो पक्के मकान की आस छोड़ दी है. उनका कहना है कि योजना के लिए उनके खाते में आए पैसा का गबन किया गया है. उनके खाते में दो बार आई 40 हजार और 25 हजार की रकम गायब कर दी गई. कल्याण का घर बनने का सपना सपना ही रह गया है.

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