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‘पद्मावती’ का जन्म जिस गांव में हुआ, उसे उसका हक चाहिए

यूपी के अमेठी जिले में जायस गांव है, जहां सूफी-संत मलिक मोहम्मद जायसी रहते थे. उन्होंने ही पद्मावत लिखी थी

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संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर एक और विवाद सामने आया है. उत्तर प्रदेश का जायस इलाका पद्मावती पर रॉयल्टी की मांग कर रहा है. उत्तर प्रदेश का जायस वही इलाका है, जहां 'पद्मावती' का जन्म हुआ था.

मलिक मोहम्मद जायसी फाउंडेशन के अध्यक्ष शकील जायसी ने कहा, जब पद्मावती पर फिल्म बनाई जा रही है, तो जायस के निवासियों को रॉयल्टी मिलना हक है. शकील जायसी ने कहा कि अगर उन्हें रॉयल्टी नहीं मिली, तो वो कोर्ट जाएंगे. हाईकोर्ट जाएंगे. फिर भी इंसाफ नहीं मिला तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

जायस कस्बा यूपी के अमेठी जिले में है. ये जायस इलाका आजकल खूब चर्चा में है. क्योंकि जायस के ही एक घर में सूफी-संत मलिक मोहम्मद जायसी रहते थे. उन्होंने ही पद्मावत लिखी थी, जिस पर संजय लीला भंसाली ने पद्मावती फिल्म बनाई है. जायसी के उसी घर में पहुंचकर क्विंट की टीम ने जायजा लिया.

साल 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के वक्त जायसी के घर को स्मारक बनाया गया था, लेकिन अब हालत खराब है.

'जायसी के घर को बनाया जाए खूबसूरत'

मलिक मोहम्मद जायसी फाउंडेशन के अध्यक्ष शकील जायसी ने कहा कि सूफी-संत मलिक मोहम्मद जायसी के घर को उसी तरह खूबसूरत बनाया जाना चाहिए, जिस तरह फिल्मों के सेट सजते हैं.

हम संजय लीला भंसाली से चाहते हैं कि उनकी दरगाह, उनके संस्थान, उनके घर को जितनी अच्छी तरह से संभव हो, सजा दिया जाना चाहिए.
शकील जायसी, अध्यक्ष, मलिक मोहम्मद जायसी फाउंडेशन

कवि फलक जायसी के मुताबिक, जायस में विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ है. इसके अलावा नेता और अभिनेता भी कभी यहां देखने नहीं आए.

जिस कवि ने पूरी दुनिया को प्रकाशित किया, उस पर किसी की नजर नहीं पड़ी. न ही किसी नेता की और न ही फिल्मी दुनिया में किसी अभिनेता की उस पर नजर नहीं जाती. 200 करोड़ रुपये लगाकर फिल्म बनाई जा सकती है. लेकिन उनकी याद में उनके नाम से यहां कोई संस्था नहीं बनाई जा सकती है.
फलक जायसी, कवि

पद्मावती पर विवाद से लोग दुखी

चितौड़ के किले पर अलाउद्दीन खिलजी की घेराबंदी के करीब 200 साल बाद जायसी ने ‘पद्मावत’ लिखी थी. यहां के लोग फिल्म पर हो रहे विवाद से बहुत निराश हैं. कवि फलक जायसी ने कहा, "मझे दुख होता है ये देखकर कि लोग पद्मावत पर उंगली उठा रहे हैं. फिल्में, कविता और कहानियां जोड़ने के लिए होती है, तोड़ने के लिए नहीं.

यहां सवाल ये खड़ा होता है कि तो क्या पद्मावती पर हो रही चर्चा से जायस गांव को कोई फायदा होगा?

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