ADVERTISEMENTREMOVE AD

महाराष्ट्र में सीट शेयर को लेकर हर सवाल के जवाब दे रहे हैं चव्हाण

बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन के बाद क्या कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन टक्कर को तैयार दिख रही है?  

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति पर सबकी नजर है. आखिर यूपी के बाद लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य है महाराष्ट्र. बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन के बाद क्या कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन टक्कर को तैयार दिख रही है?  इन सारे मुद्दों पर क्विंट ने महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण से की खास बातचीत.

क्या राज्य में गठबंधन को लेकर कांग्रेस की कोशिश सही दिशा में चल रही है?

हमारी बातें कई समान विचारधारा वाली पार्टियों से चल रही हैं. उन पार्टियों की डिमांड रहती है, होनी भी चाहिए. ऐसे में किस सीट पर कौन सी पार्टी जीत सकती है, ये बेसिक क्राइटेरिया है. मतलब जो सीट कांग्रेस जीत सकती है, कांग्रेस लड़े. जो सीट एनसीपी जीत सकती है वो एनसीपी लड़े. जिस सीट पर प्रकाश अंबेडकर जी का फायदा होगा. वहां उन्हें लड़ना चाहिए. जहां-जहां जिसकी जीतने की संभावना है, उसको ध्यान में रखते हुए सीटों का बंटवारा होता है तो फायदा गठबंधन का होगा और बीजेपी का नुकसान होगा.

क्या प्रकाश अंबेडकर मान जाएंगे, उनकी तरफ से 12 सीटों की मांग वाले बयान आ रहे हैं?

कांग्रेस-एनसीपी ने उन्हें 4 सीटों का प्रस्ताव दिया है क्योंकि हमारे पास दूसरी भी पार्टियां हैं. हम खुद चाहते हैं कि प्रकाश अंबेडकर सांसद  बनकर, हमारे गठबंधन से चुनकर जाएं. अब जवाब उनको देना है फैसला उन्हें लेना है, उनके जवाब की हम राह देख रहे हैं. हमने कहा है कि AIMIM के साथ गठबंधन तो हो नहीं सकता. ओवैसी जी ने खुद कहा है कि ‘अगर हमारी वजह से कोई दिक्कत हो तो मैं भी चुनाव में उतरने के लिए तैयार नहीं हूं . मैं हट जाऊंगा’ ये उन्होंने कहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस पर आपको क्या कहना है. वो एनसीपी से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं?

ये प्रस्ताव एनसीपी की तरफ से आए हैं. कांग्रेस ने अभी तक इसपर कोई जवाब नहीं दिया है, कांग्रेस में आंतरिक बातचीत जरूरी है. खासकर एमएनएस के बारे में, मुंबई के बारे में कुछ मुद्दे हैं. विचारधारा के स्तर पर भी कुछ मामले हैं, जो भी फैसला होगा, वो पॉलिसी डिसीजन के तहत होगा. दिल्ली में होगा, अभी ऐसा कोई फैसला नहीं हुई है.

क्या कांग्रेस पार्टी राज ठाकरे को लेकर पॉजिटिव दिख रही है?

राज ठाकरे जी को लेकर हमारे नेताओं में मत भिन्नता है. जब तक इसमें कोई खास बदलाव नहीं होता या इसपर कोई बातचीत नहीं होता, तब तक कोई प्रस्ताव नहीं रखा जा सकता.

एनसीपी शरद पवार समेत अपने बड़े नेताओं को चुनाव में उतारने की तैयारी में है, आप इसका विश्लेषण कैसे करते हैं?

चुनाव तो एक लड़ाई है, युद्ध है. युद्ध में तो जितने ताकतवर सेनापति हैं, सब उतरने चाहिए. चुनकर आने की संभावना है जिसकी, उसे उतारना चाहिए. कांग्रेस भी यही करेगी.

क्या आपको लगता है, महाराष्ट्र से कोई पीएम बन सकता है?

किस पार्टी की कितनी सीटें आती हैं. सब पार्टी मिलकर क्या फैसला लेती हैं. गठबंधन का मसला है ये राष्ट्रीय स्तर का मामला है, जब तक ये सब मिलकर कोई फैसला नहीं करते हैं

महाराष्ट्र कांग्रेस में तो एकता दिख रही है, लेकिन मुंबई कांग्रेस में बयानबाजी बढ़ती दिख रही है? कुछ लोगो चुनाव न लड़ने का ऐलान कर रहे हैं?

मिलिंद देवड़ा चुनाव जरूर लड़ेंगे. प्रिया दत्त अपने निजी कारणों से चुनाव नहीं लड़ेंगे. मैं नहीं समझता हूं कि कोई बड़ा मुद्दा है, ठीक है कि मुंबई अध्यक्ष को लेकर थोड़ा-बहुत इश्यू है. चुनाव इतने करीब आ गया है, हर व्यक्ति अगर अपने सीट पर फोकस करे तो कोई इसमें अहम मुद्दा नहीं है.

सोलापुर की सीट प्रकाश अंबडेकर चाहते हैं?

सोलापुर से सुशील कुमार शिंदे साहब के लिए ही तकरीबन राय बन चुकी है.

क्या आपको लगता है कि ‘पहले मंदिर फिर सरकार’ की बात करने वाली शिवसेना अब मान गई है

पहले शिवसेना बाद में सब, ऐसा हो गया है, मजबूरी है. शिवसेना जानती है कि बीजेपी के बिना शिवसेना का अस्तित्व नहीं है. बीजेपी जानती है कि शिवसेना की मदद के बिना सरकार नहीं बन सकती है. इसलिए एक-दूसरे को छोड़ नहीं सकते हैं, बाहर जो ड्रामा चल रहा है, वो शिवसेना ने दबाव बनाकर रखा है. ज्यादा सीटें, ज्यादा फायदा उठाने का प्रयास है. मैंने तो पहले ही कहा था कि इनका गठबंधन पक्का है, ये जो बातें कह रहे हैं, ये बस दिखावा है. ये सब बस चुनावी जुमले हैं. हमारी तैयारी पूरी है, इनका मुकाबला करने के लिए हमारा गठबंधन तैयार है.

जिस तरह से शिवसेना की भूमिका रही है अब तक लगातार सरकार में रहकर विरोध करना. क्या आपको लगता है कि अब ऐसा करने पर नुकसान होगा?

कहां विरोध है सरकार का, समृद्धि महामार्ग की बात हुई, विरोध बाहर बताया, अंदर एक हो गए. प्रपोजल शिवसेना के ही मंत्री ने पेश किया. फायदा पूरा उठाया गया, आज समृद्धि महामार्ग को बाला साहेब ठाकरे का नाम देने की बात आई तो पूरा मामला खत्म हो गया. तो बात ऐसी है कि बाहर कहते कुछ और हैं अंदर करते कुछ और हैं. ये तमाशा इनका चल रहा है लोगों को बताने के लिए तमाशा है. अंदर से दोनों मिले हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वो चाह रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद शिवसेना के पास आए, क्या इस डील में दम है?

पहले चुनकर तो आने दीजिए. पहले लोगों को वोट तो देने दीजिए कि कौन सी पार्टी चुनकर आती है. लोगों के वोट डालने से पहले मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार किसने दिया है.

आप महाराष्ट्र में कितनी सीटों का अनुमान देख रहे हैं?

शिवसेना-बीजेपी से ज्यादा सीटें कांग्रेस-एनसीपी और दूसरे दल मिलकर लाएंगे और देश में सरकार बनाने में हमारा महाराष्ट्र से योगदान ज्यादा रहेगा.

राहुल गांधी महाराष्ट्र से चुनाव लड़ सकते हैं ऐसी खबर है?

ये बातें मीडिया में उछाली जाती हैं. इसमें हमारी तरफ से कोई ऑफिशियल कमेंट नहीं है. राहुल गांधी तो देश के नेता हैं. जिस सीट से मन करे वहां से जीतकर आने में कोई दिक्कत नहीं है. अभी तक हमारे पास कोई आधिकारिक बात नहीं है जिससे ये कहा जा सके.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×