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‘सुपर 30’ के आनंद ही नहीं,कई किरदारों पर बन सकती है सुपरहिट फिल्म

मिलिए आनंद कुमार की ‘सुपर 30’ के रियल स्टार्स से

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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा/संदीप सुमन

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2013 में जब रवीश के पिता 12वीं की परीक्षा से ठीक पहले बीमार हो गए, तब 16 साल के इस बच्चे को लगा कि वो कभी भी IIT में एडमिशन के अपने सपने को पूरा नहीं कर पाएगा.

रवीश बताते हैं- “12वीं की परीक्षा के बीच ही मेरे पापा की तबीयत खराब हो गई. उनका ऑपरेशन करवाना पड़ा. उनके ब्रेन में क्लॉट था. मेरे पापा के पास बिल्कुल भी पैसे नहीं बचे थे. ऑपरेशन करवाने के लिए हमें कई जगहों से लोन लेना पड़ा. आगे की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं बचे थे.”

पांच साल बाद आज रवीश एक आईटी फर्म में सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं. वो कहते हैं "आनंद सर और सुपर 30 के बिना ये सपना पूरा नहीं हो सकता था.”

JEE के लिए हर साल ‘सुपर 30’ देशभर से आए गरीब परिवार के 30 छात्रों को फ्री कोचिंग देता है.

अब ‘सुपर 30’ पर एक फिल्म बन गई है. इसमें ऋतिक रोशन ने आनंद कुमार की भूमिका निभाई है. आनंद कुमार ने ही पटना में ‘सुपर 30’ की स्थापना की थी.

‘सुपर 30’ के बाद रवीश को IIT कानपुर में एडमिशन मिल गया. वहां भी उन्होंने काफी समस्याओं का सामना किया, लेकिन ‘सुपर 30’ में मिली सीख से उनका सामना कर पाए.

रवीश की तरह ही धनंजय भी एक गरीब परिवार से आते हैं. वो भी प्राइवेट कोचिंग नहीं कर सकते थे. लेकिन जब वो ‘सुपर 30’ में पहुंचे तो उन्हें आनंद कुमार के पढ़ाने का तरीका बहुत पसंद आया. आज वो एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं.

“दिन हो या रात, वो कभी भी आकर पढ़ा दिया करते थे. उन्हें इस चीज से मतलब नहीं था कि क्या समय हो रहा है. आकर बैठते थे और पढ़ाना शुरू कर देते थे. कोई भी सवाल बताते थे तो उसके साथ एक कहानी जोड़ दिया करते थे. उससे वो सवाल हमें याद हो जाता था. एक प्रेरणा भी मिलती थी, जो आगे हमारे काम आई.”
धनंजय, सुपर 30 के पूर्व छात्र

इन छात्रों के मुताबिक आनंद कुमार एक शानदार टीचर तो हैं ही, वो इनका बखूबी खयाल भी रखते हैं. सुपर 30 के ही एक पूर्व छात्र प्रभात पांडे बताते हैं

“वो सभी छात्रों पर खुद से ध्यान देते थे. मुझे अभी भी मेरे साथ हुई एक घटना याद है. बीमार होने की वजह से मैं क्लास टेस्ट में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाया था. एक दिन सर खुद आए और मुझसे पूछा ‘प्रभात जी क्या हुआ, कैसा चल रहा है?’ आपके मार्क्स अच्छे नहीं आ रहे हैं.”
प्रभात,  सुपर 30 के पूर्व छात्र

प्रभात बताते हैं कि आनंद कुमार ने उनसे कहा “देखो, हम उन बड़े-बड़े बोर्डिंग स्कूल वालों की तरह नहीं हैं, जहां बच्चे कई सुविधाओं के बीच पढ़ते हैं. हमें मेहनत करनी चाहिए. लग जाओ मेहनत में. रात-दिन एक कर दो, तभी सफलता मिलेगी.” उनका ये कहना मेरे लिए काफी प्रेरणा भरा था. इसके बाद मैंने कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी.

‘सुपर 30’ में अपना कोर्स पूरा करने के बाद, प्रभात ने IIT वारंगल में एडमिशन लिया. आज वो इसरो में वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे हैं.

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