गुजरात के मेहसाणा में दो बड़ी वजह से सबकी नजर हैं. पहला इसी जिले के वडनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पैतृक घर है. दूसरा इसे पाटीदारों के मूड का बैरोमीटर माना जा रहा है क्योंकि ये पाटीदार आंदोलन का गढ़ रहा है. 26 अगस्त 2015 को यहीं से आंदोलन की शुरुआत हुई थी. दो साल बाद भी वो बात यहां के लोगों के दिलों में ताजा है, जब पुलिस की गोली से मेहसाणा के दो युवा पाटीदारों की मौत हो गई थी. लोगों का आरोप है कि जिन लोगों ने गोली चलाई थी, उनपर सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
पाटीदारों को शिकायत है कि गोली चलाने वाले ही नहीं लाठी चार्ज करने वाले और लोगों को चोट पहुंचाने वाले किसी पुलिसवाले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
इस चुनाव में पाटीदार किस किस पार्टी का समर्थन करेंगे? क्विंट ने पाटीदारों के मूड को जानने की कोशिश की तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं.
कैसे हुई दो पाटीदार की मौत?
पाटीदार आंदोलन में दो पाटीदारों की मौत हो गई थी. इनमें एक पाटीदार मयूर के परिवार घर क्विंट की टीम पहुंची. उनके परिवारवालों ने बताया कि 26 अगस्त, 2015 को वो मोढेरा चौक गया था. वहां पाटीदारों का आंदोलन चल रहा था. अचानक पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी, जिसमें मयूर की मौत हो गई.
मेहसाणा गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल का विधानसभा क्षेत्र है. वो यहां से 2012 में चुने गए थे. लेकिन 5 साल में यहां राजनीतिक हवा बहुत बदल गई है. पाटीदार महारैली में पुलिस की कार्रवाई के बाद पाटीदार बीजेपी से नाराज हैं.
'विकास गायब है'
क्विंट ने मेहसाणा में पाटीदार समुदाय के कई लोगों से बातचीत की. उनका कहना है कि गुजरात में कोई विकास नहीं हुआ है. इनमें एक नारायण बरोड़ ने कहा, 'यहां के लोग शुरू से ही व्यापारी हैं. गुजरात पहले से भी पीछे हो गया है. इन लोगों ने पब्लिक का नहीं खुद का विकास किया है.'
इस इलाके से कांग्रेस ने 79 साल के जीवाभाई को टिकट दिया है. जीवाभाई पहले मेहसाणा से के सांसद रह चुके हैं.
मेहसाणा में 7 विधानसभा सीट हैं. इसमें पीएम मोदी का गृह नगर वडनगर भी शामिल है. मेहसाणा के 28 फीसदी मतदाता पाटीदार हैं.
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