वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज/अभिषेक शर्मा
मुंबई के डोंगरी इलाके में 16 जुलाई को एक इमारत ढह गई. चार मंजिला इमारत गिरने से करीब 10 लोगों की जान चली गई. हर साल इस तरह के हादसे की खबर आती है और मुंबई हेडलाइन बन जाती है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि मुंबई में इस तरह के हालात क्यों हैं?
मुंबई में ऐसे हादसे क्यों होते हैं, ये समझाने के लिए आपको कमाठीपुरा की स्थिति बताते हैं. कमाठीपुरा में देवल नाम की बिल्डिंग करीब 100 साल पुरानी है. यहां करीब 80 परिवार रहते हैं. अभी तक पुनर्विकास का दूर-दूर तक कोई अता-पता नहीं है. यहां के लोगों की शिकायत है कि मकान मालिक नोटिस के बावजूद घर की मरम्मत नहीं कराते हैं.
2017 में नोटिस आया था, फिर हमने सोचा कि मकान की मरम्मत करवाते हैं. मकान मालिक ने कहा कि मैं खुद मरम्मत करवाउंगा. हम सबने मकान मालिक पर विश्वास कर लिया. 2018 में फिर नोटिस आया. फिर मकान मालिक ने ऑफिसर से जाकर बात की और नोटिस कैंसिल हो गया फिर मकान देखने कोई नहीं आया.गणेश, किराएदार
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि लोग नोटिस मिलने के बावजूद घर खाली क्यों नहीं करते हैं. इसकी कई वजह हैं. इनमें पहली वजह ये है कि पुनर्वास कैंप बेहद दूर होता है. ऐसे में लोग इतनी दूर जाना नहीं चाहते हैं. दूसरी मजबूरी इन लोगों ये होती है कि इनकी नौकरी और बच्चों के स्कूल यहीं होते हैं. इसके अलावा मकान मालिक और किराएदारों के बीच संघर्ष भी एक बड़ी वजह है.
महाराष्ट्र हाउसिंग और एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) से मिली जानकारी के मुताबिक 1971 से 2018 के बीच मुंबई में इमारत ढहने के लगभग 3528 हादसे हुए. इन हादसों में 800 से ज़्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी.
मुंबई में जर्जर इमारतों की संख्या 16 हजार के करीब है. मकान मालिकों को कई बार नोटिस दिया जा चुका है. लेकिन घर खाली करने के लिए लोग तैयार नहीं होते हैं. ऐसे में सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है. यहां की अधिकतर जमीन कलेक्टर लैंड है जो 100 सालों की लीज पर दी गई है. ऐसे में अब वक्त है कि जिन जमीनों को लीज पर दिया गया है, उस पर बनी इमारत जर्जर है तो ऐसी जमीन की लीज रद्द होनी चाहिए. नहीं तो इस तरह के हादसे को रोकना नामुमकिन है.
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