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नए साल पर PM मोदी का ‘फर्स्ट डे, फर्स्ट शो’, लेकिन कहानी अधूरी...

2019 के पहले दिन PM मोदी ने एक न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू दिया, लेकिन इस इंटरव्यू में कई सवालों के जवाब अनसुलझे रह गए.

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

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जब देश एक जनवरी को नए साल 2019 को वेलकम कर रहा था. पार्टी, मस्ती, फैमिली के साथ न्यू ईयर सेलिब्रेशन का दौर चल रहा था, तब पीएम मोदी एक न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू दे रहे थे. साल के पहले दिन पीएम मोदी का 95 मिनट का इंटरव्यू. करीब-करीब एक फिल्म जितना लंबा इंटरव्यू जिसमें लाइट, कैमरा और एक्शन के साथ इलेक्शन मोड में आने के साफ संकेत थे. लेकिन पीएम मोदी के इंटरव्यू में कई सवाल अनसुलझे रह गए.

राम मंदिर के नाम पर वोटों की खेती

सबसे पहले बात उस राम मंदिर की, जिसके रथ पर सवार होकर बीजेपी सत्ता में आई थी. जिस राम मंदिर का नाम लेकर बीजेपी अब तक देश के हिन्दुओं से वोट लेती रही, उस पर पीएम मोदी ने क्या कहा:

न्याय की प्रक्रिया को न्याय की प्रक्रिया की तरह चलने दिया जाए, उसको राजनीति के तराजू से न तौला जाए. मामला न्यायपालिका में है. न्यायपालिका से आने के बाद सरकार की जिम्मेदारी जहां से शुरू होती है, हम पूरी तरह प्रयास करने के लिए तैयार हैं.   

जनाब पीएम साहब, ये तो सबको पता है कि कानून और कोर्ट ही सब कुछ करेगा, तो मंदिर के नाम पर आपके लोग बरसों से क्यों कह रहे हैं- बच्चा बच्चा राम का, बीजेपी के नाम का.

मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, विजय माल्या किसके राज में भागे?

चलिए अब बात करते हैं देश का पैसा लूटकर भागे भगोड़ों की. मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे इकनॉमिक ऑफेंडर पर पीएम मोदी ने जो कहा, वो भी पढ़िए.

ऐसे भगोड़ों के लिए हमने मजबूत से मजबूत कानून बनाए हैं. उनकी संपत्ति जब्त करने का कानून बनाया है, विदेशों में उनकी जितनी संपत्ति है, उसे भी जब्त करने का कानून बनाया है.   

आछे दिन पाछे गए, हरि से किया हेत... अब पछताए होत क्या, चिड़िया चुग गयी खेत... अर्थात ये लोग भागे तो आपके नाक के नीचे से ही ना. विजय माल्या देश से भागने से पहले आपके वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिले भी थे. दावोस में नीरव मोदी के साथ ली गई तस्वीरों पर आप क्या कहेंगे? उस मेहुल भाई के बारे में क्या कहेंगे? सर ये तो हर सरकार कहती है कि हम प्रतिबद्ध हैं. हम सबको पकड़ लाएंगे, तो आप और दूसरों में फर्क क्या है?

किसान की कर्जमाफी अब गलत क्यों?

चलिए अब बात किसानों की. पहले पढ़िए कि किसानों की कर्जमाफी पर पीएम ने क्या कहा:

इस देश में पहले भी सरकारों ने कर्जमाफी की है. देवीलाल जी के समय में कर्जमाफी हुई थी. 2008-09 का चुनाव जीतने के लिए भी कर्जमाफी की गयी थी. क्या कमी है व्यवस्था में, जो किसान कर्जदार बन जाता है और सरकार को चुनाव और कर्जमाफी का चरखा चलाना पड़ता है.

सर, आप ही के मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा में कर्जमाफी का वादा किया है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने किसानों के कर्जमाफी का ऐलान किया, तो उधर आपके गुजरात में भी आपकी ही सरकार ने किसानों के बिजली बिल माफ करने का ऐलान कर दिया.

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मॉब लिंचिंग पर बीजेपी का दोहरा मापदंड

डियर पीएम सर, मॉब लिंचिंग पर तो आपने बड़ी सफाई से अपनी बात रखी. जो कहा, वो काबिले-तारीफ है.

पीएम मोदी ने कहा:

ऐसी कोई भी घटना सभ्य समाज को शोभा नहीं देती है. ऐसी घटनाओं के पक्ष में कभी भी आवाज नहीं उठनी चाहिए. क्या यह यह 2014 के बाद शुरू हुआ है. यह समाज के अंदर आई हुई एक कमी का फैलाव है. इस स्थिति को सुधारने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना चाहिए.

लेकिन सर क्या आपकी और आपकी पार्टी की कथनी और करनी एक है? आप अपने मंत्री जयंत सिन्हा के बारे में क्या बोलेंगे?

जयंत सिन्हा ने तो झारखंड में लिंचिंग के 8 दोषियों का स्वागत किया था. आप नितिन गडकरी के बारे में क्या कहेंगे, जिन्होंने सिन्हा के इस कदम को फ्रीडम ऑफ स्पीच बताया था. आपको पता ही होगा कि आपके मंत्री महेश शर्मा ने दादरी लिंचिंग के आरोपी की बॉडी पर तिरंगा लपेट दिया था. सर इन सवालों के जवाब आपके मोनोलॉग से तो नहीं मिले, शायद कभी डायलॉग से मिल जाए.
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नोटबंदी कामयाब है, तो 99 फीसदी नोट वापस क्यों आ गए?

नोटबंदी को आप हिट बताने में कोई कसर नहीं छोड़ते.. आप के हिसाब से नोटबंदी झटका नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री जी, कम से कम इतना तो जवाब दे देते कि जिस नोटबंदी के वक्त कालेधन की आप बात कर रहे थे, वो है कहां?

अगस्त 2018 में आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि नोटबंदी के वक्त के 99 फीसदी डिमॉनिटाइज्ड नोट वापस आ गए. फिर कैसे आपका कदम सही था? एटीएम के बाहर लाइनों में लगे लोग तो ये सवाल नहीं पूछ पाए, लेकिन पोलिंग बूथ के बाहर खड़े लोग शायद पूछ लें- जनाब ऐसे कैसे!

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