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सोहराबुद्दीन केस: सारे आरोपी कैसे हो गए बरी?

कोर्ट में सुनवाई के दौरान करीब 92 गवाह अपने बयान से मुकर गए

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

कैमरा: दरब मंसूर अली

वीडियो प्रोडूसर: कनिष्क दांगी

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मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने शुक्रवार को सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया. फैसला सुनाते वक्त जज एसजे शर्मा ने कहा कि पेश किए गए सबूत और गवाह ये साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे कि ये हत्या की साजिश थी.

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कोर्ट में सुनवाई के दौरान करीब 92 गवाह अपने बयान से मुकर गए
सोहराबुद्दीन शेख, गुजरात के पूर्व मंत्री और नरेंद्र मोदी के आलोचक हरेन पांड्या की हत्या में शामिल थे
(फोटो: ट्विटर)

सुनवाई के दौरान करीब 92 गवाह अपने बयान से मुकर गए, इनमें से एक गवाह का नाम है आजम खान, जिसका कहना है कि राजस्थान पुलिस उस पर दबाव डाल रही है. आजम खान का आरोप है कि सोहराबुद्दीन शेख, गुजरात के पूर्व मंत्री और नरेंद्र मोदी के आलोचक हरेन पांड्या की हत्या में शामिल थे और उन्होंने ये हत्या गुजरात पुलिस अफसर डीजी बंजारा के कहने पर की. दूसरे गवाह, जो अपना बयान फिर से देना चाहते हैं, वो हैं महेंद्र जाला, जो एक पेट्रोल पंप के मालिक हैं.

22 नवंबर, 2005 को सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी. और उनके साथी तुलसीराम प्रजापति महाराष्ट्र के सांगली से हैदराबाद जा रहे थे. तभी उन्हें गुजरात पुलिस ने पकड़ लिया. चार दिन बाद 26 नवंबर को एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन को मार दिया गया.

कोर्ट में सुनवाई के दौरान करीब 92 गवाह अपने बयान से मुकर गए
26 नवंबर को एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन में मार दिया गया, तीन दिन बाद उसकी पत्नी कौसर भी मार दी गई
(फोटो: ट्विटर)

इसके तीन दिन बाद उसकी पत्नी कौसर बी. मार दी गई. एक साल बाद तुलसीराम प्रजापति को गुजरात और राजस्थान पुलिस ने दोनों राज्यों की सीमा पर गोली मार दी गयी.

कोर्ट में सुनवाई के दौरान करीब 92 गवाह अपने बयान से मुकर गए
इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और तत्कालीन गुजरात के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया का नाम मुख्य आरोपी में शामिल था  
(फोटो: ट्विटर, अल्टर बाय क्विंट)
इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मुख्य आरोपियों में से एक थे. एनकाउंटर के समय गुजरात के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया का नाम मुख्य आरोपी में शामिल था. लेकिन कुछ साल बाद उन्हें क्लीनचि‍ट दे दी गयी. हाल ही में गृह मंत्रालय ने सोहराबुद्दीन मामले की जांच करने वाले गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी रजनीश राय को सस्पेंड कर दिया. 

ये सस्पेंशन हैरान करने वाला है, क्योंकि राय ने इसी साल अगस्त में स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया था. आईपीएस अधिकारी रजनीश राय ने इस मामले में 3 आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, गुजरात कैडर के राजकुमार पांडियन और राजस्थान कैडर के दिनेश एमएन को गिरफ्तार किया था.

रजनीश राय के पास इन अफसरों की बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी है. रजनीश राय की गवाही क्यों नहीं ली गयी, क्या आजम खान और महेंद्र जाला का बयान फिर से दर्ज किया जायेगा? यही कुछ सवाल हैं जो लोग अब भी पूछ रहे हैं.

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