त्रिपुरा की घटना के बाद बीते शुक्रवार से अमरावती जिले में तनाव का माहौल है. शहर के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन ने हिंसक मोड़ ले लिया और कई दुकानों में तोड़फोड़ की गई. इस हिंसक माहौल में अमरावती के मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित शिव मंदिर की रक्षा करके मुस्लिम युवाओं ने एकता की बेहतरीन मिसाल पेश की है.
12 और 13 नवंबर को हिंसा भडकने के बाद पठान चौक इलाके में दो गुट आमने सामने आ गए थे. दोनों तरफ से पथराव हुआ. पुलिस ने दोनों गुटों पर लाठीचार्ज किया और भीड़ को तितर बितर किया.
हालांकि पथराव करते हुए आक्रामक भीड़ में से कुछ प्रदर्शनकारी महादेव मंदिर के तरफ आगे बढ़ने लगे. उस समय मुस्लिम युवाओं के एक गुट को इस भीड़ का सामना करना पड़ा. इन युवाओं ने मानव श्रृंखला बनाकर महादेव मंदिर को संरक्षण देने का काम किया. मंदिर को किसी भी तरह के विडंबना नव बचाने के लिए मुस्लिम युवाओं ने जान जोखिम में डाल दी.
इलाके में रहनेवाले शकील अहमद बताते हैं कि-
राजकमल चौक में हिंसा भड़कने के बाद कुछ असामाजिक तत्व हमारे इलाके में स्थित शिव मंदिर की तरफ बढ़ रहे थे. हमारे मोहल्ले के लोगों ने साखली बनाकर मंदिर को घेर लिया. मुस्लिम इलाके में बसे हुए मंदिर को नुकसान ना हो और हिंसा न भड़के ये एक अच्छा संदेश समाज में जाए इसलिए हमने इसकी हिफाजत की. पिछले तीन दिनों से रात भर जागकर हम यहां पहरा दे रहे है. गाडगे नगर पुलिस स्टेशन को भी फोन करके प्रोटेक्शन मांगा लेकिन उनके यहां पुलिस फोर्स कम हैं ऐसा बताया जा रहा है
इस समय, दोनों हिंदू और मुस्लिम समुदाय की ओर से शांति और सामाजिक सद्भाव की अपील की जा रही है. प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जाकर मंदिर को क्षतिग्रस्त होने से बचाने और सामाजिक तनाव को दूर करने के लिए हर एक कोशिश की जा रही है.
इलाके के बुज़ुर्ग हाफिज नसीम का मानना है कि अमरावती का माहौल कभी इतना खराब नही हुआ. यहां हमेशा से हिंदू - मुस्लिम और अन्य धर्म के लोग शांति, अमन और प्यारे स रहते आए है. यहां कई मुस्लिम इलाकों में मंदिर और हिंदू इलाकों में दरगाह है, लेकिन कभी इस तरह का फसाद नही हुआ. हम में से कोई नही चाहता कि इस तरह का माहौल पैदा हो.
दरअसल कुछ हिंदू और मुस्लिम समुदाय एक ही क्षेत्र में एक साथ रहते आए है. कुछ प्रदर्शनकारियों ने इतवारा बाजार इलाके के हबीब नगर स्थित दरगाह पर मार्च किया था. हालांकि वहां पहले से ही दरगाह की सुरक्षा के लिए हिंदू और मुस्लिम युवाओं को तैनात किया गया था. उन्होंने भी दरगाह पर मार्च कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी. दरगाह को नुकसान पहुंचाने की मंशा से आए कार्यकर्ताओं को खदेड़ दिया.
नरेश शर्मा बताते है कि हबीब नगर इलाके में सव्वा सौ साल पुराना माताजी का मंदिर है. ये पूरा इलाका मुस्लिम बहुल है. वहां एक भी हिंदू का घर नही है. पहले कुछ घर थे लेकिन वो भी शिफ्ट हो गए है. बावजूद उसके इस मंदिर की मुस्लिम भाइयों ने रक्षा की. अयोध्या विवाद के बाद भी इस मंदिर को किसीने हाथ नही लगाया था. अमरावती में हमेशा से इस तरह का सौहार्द रहा है.
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