ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘मोदी सरकार के पास हर मर्ज की 1 ही दवा थी, इसलिए बिगड़ी इकनॉमी’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने क्विंट के खास शो राजपथ में संजय पुगलिया से बातचीत की

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

कैमरा: सुमित बडोला/शिव कुमार मौर्य

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने क्विंट के खास शो राजपथ में संजय पुगलिया से बातचीत की. चिदंबरम ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए ये आरोप लगाया कि मोदी सरकार में भारत की अर्थव्यवस्था बुरी तरह खराब हो गई है.

0

मौजूदा आर्थिक स्थिति नई सरकार के लिए कितनी बड़ी चुनौती?

जो भी पार्टी सरकार बनाती है, उसे स्थिति से निपटना चाहिए. मुझे लगता है कि मनमोहन सिंह का बयान स्थिति को सही तरीके से बयां करता है. ये तथ्यों पर आधारित है. ये तथ्य वित्त मंत्रालय की मार्च 2019 में आई रिपोर्ट से लिए गए हैं. हमने वित्त मंत्रालय से तथ्य लिए हैं. इन्हीं तथ्यों के आधार पर मनमोहन सिंह ने विस्तार से और सही तरीके से बताया है कि हालत बहुत खराब है. कई अखबारों के संपादकीय में लिखा गया है ,स्थिति काफी खराब है. अगर गैर-बीजेपी सरकार बनती है तो जाहिर तौर पर उसे भी (खराब अर्थव्यवस्था से) जूझना होगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बड़े वायदों के लिए पैसा कहां से लाएंगे?

हमने जो योजनाएं बनाई है. उन्हें समय निकाल कर कोई चेक नहीं करना चाहता. क्या हमारा गणित सही है? सब हवा में बात कर रहे हैं. बैठो, एक कागज का टुकड़ा लो नंबर लिखो और मुझे बताओ कि कौन से नंबर गलत हैं. जो साल खत्म हो चुका है, उसके फिस्कल डेफिसिट का अगले साल पर कोई असर नहीं होता. अगला साल नए सिरे से शुरू होता है. नया साल नए रेवेन्यू और नई उधारी के साथ शुरू होता है. अगर साल 2018-19 में फिस्कल डेफिसिट 3.4 फीसदी है तो इसका ये मतलब नहीं है कि 2019-20 के लिए कोई नया फिस्कल स्पेस नहीं है. 2019-20 में रेवेन्यू और खर्चे का नया आकलन होगा. उधार लेने की हमारी क्षमता का नया आकलन होगा. आदर्श स्थिति में इसे 3 फीसदी के करीब होना चाहिए. इसे लेकर उस समय की सरकार को फैसला लेना होना.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मौजूदा आर्थिक स्थिति पर क्या कहेंगे?

इन्होंने NPA को किसी के काबू से बाहर की स्थिति में ला दिया है. NPA को नौसिखिये की तरह हैंडल किया. हमने अपने मेनिफेस्टो में और मनमोहन सिंह ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने हर मर्ज के लिए एक ही दवा दी. ये उन पर उल्टा पड़ गया.

वहीं आगे चिदंबरम ने कहा कि “ IL&FS के मामले में रेगुलेटर और सुपरविजन की विफलता है, NBFC के मामले में सरकार ने लिक्विडिटी पर नजर नहीं रखी. लिक्विडिटी की बहुत कमी थी. इसलिए NBFC को देनदारी चुकाने में दिक्कत हो रही है. इस पर विस्तार से बात करनी चाहिए.
न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये सरकार अगले कदम के तौर पर 100 दिन का प्लान बना रही है.
ये सब माइंड गेम है. 100 साल की योजना क्यों नहीं बना रहे? कुछ बीजेपी नेता तो कहते हैं कि बीजेपी अगले 1000 साल तक राज करेगी. ऐसे में 1000 साल की योजना बनानी चाहिए”

पूरा इंटरव्यू देखें

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें