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15 अगस्त तक देसी कोरोना वैक्सीन? मुमकिन नहीं, खतरनाक भी

Covaxine या किसी भी कोरोना वैक्सीन को तैयार करने में हड़बड़ी पड़ सकती है महंगी, वजह जानिए

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ये जो इंडिया है ना, इसे कोविड 19 की वैक्सीन तुरंत चाहिए. 20,000 से ज्यादा मौतें और 2.5 लाख एक्टिव मामले, रोज 20 हजार के करीब नए मामले...ये बात सही है कि वैक्सीन से ढेर सारी जिंदगियां बचेंगी, वैक्सीन आ जाए तो इकनॉमी भी पटरी पर आ सकती है. लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि हम वैक्सीन 15 अगस्त तक बना सकते हैं? दुर्भाग्य से जवाब है- नहीं. क्या हम और आप 15 अगस्त तक वैक्सीन की डोज पा सकते हैं? - नहीं.

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इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल यानी ICMR की ये चाहत क्या पूरी हो सकती है कि कोरोना की देसी वैक्सीन 15 अगस्त तक तैयार हो जाए? - अफसोस - नहीं. क्या भारत कोरोना की वैक्सीन तैयार करने वाला पहला देश बन सकता है, शायद हां, शायद नहीं....लेकिन 15 अगस्त तक तो पक्का नहीं.

खतरनाक हो सकती है हड़बड़ी

वैक्सीन बनाने के लिए इतनी हड़बड़ी करना गैर वैज्ञानिक हो सकता है...गैर जिम्मेदाराना हो सकता है...और इससे जिंदगियां बचने के बजाय जिंदगियां खतरे में पड़ सकती हैं.

भारत के बाहर देखिए क्या हो रहा है? अमेरिका, ब्राजील और रूस से लेकर यूरोप तक....5 लाख मौतों के बाद और 45 लाख एक्टिव मामलों के साथ वाकई पूरी दुनिया बेसब्री से इस वैक्सीन का इंतजार कर रही है. वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के लिए रात दिन एक किए हुए हैं. कुछ वैक्सीन ट्रायल के शुरुआत दौर में भी हैं..लेकिन कोई नहीं, कोई भी नहीं है, जो ट्रायल किए गए, टेस्ट किए गए वैक्सीन को अगस्त तक या सितंबर-अक्टूबर तक भी बनाने की स्थिति में है

29 जून को पहली बार हमें संभावित स्वदेशी वैक्सीन 'Covaxin' के बारे में पता चला, जो भारत बायोटेक ICMR और पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर बना रहा है. इसने एनिमल ट्रायल में अच्छे नतीजे दिए हैं और अब इसे ह्यूमन ट्रायल के फेज 1 और 2 की इजाजत मिल गई है. लेकिन अब तक भारत बायोटेक या ICMR ने Covaxin का प्री-क्लीनिकल ट्रायल डेटा भी शेयर नहीं किया है. तो क्या किसी वैक्सीन के लिए ये मुमकिन है कि वो ह्यूमन ट्रायल के फेज 1 से सीधे मार्केट में आ जाए, 45 दिन में? ये कुछ एक्सपर्ट्स के रिएक्शन हैं:

  • वेटरन वायरोलॉजिस्ट डॉ जैकब टी जॉन ने कहा, ‘इरादा अच्छा है लेकिन अवास्तविक लगता है.’
  • बायोथीकस एक्सपर्ट डॉ. आनंद भान कहते हैं कि 'ये होना बहुत मुश्किल है. सिर्फ Covaxin के लिए ही नहीं बल्कि सभी कोविड वैक्सीनों के लिए'
  • इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एम्स दिल्ली के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि- ‘ये बहुत मुश्किल होगा. क्योंकि हमें इंट्रोड्यूस करने से पहले इसके असर और सुरक्षा को देखना होगा’
  • विरोलोजिस्ट और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफ वेलकम ट्रस्ट-DBT एलायंस के शाहिद जमील सीधा कहते हैं कि- ‘दुनियाभर का वैज्ञानिक समुदाय हमपर हंसेगा, हम पर कौन विश्वास करेगा?’
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भारत बायोटेक और ICMR एक पेज पर नहीं?

अब, न्यू इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में भारत बायोटेक के चेयरपर्सन डॉ कृष्णा एला ने कहा था कि वैक्सीन 2021 के पहले तक नहीं बन सकेगी. इससे साफ होता है कि भारत बायोटेक और ICMR दोनों एक पेज पर नहीं हैं. तो सवाल उठता है कि ICMR को किस बात की जल्दी पड़ी है? सभी वैज्ञानिक चेतावनियों को दरकिनार क्यों किया जा रहा है? इस बात के संकेत ICMR के लेटर की इस लाइन में मिल सकते हैं, जिसमें कहा गया है कि Covaxin ‘ये सबसे प्राथमिकता वाला प्रोजेक्ट है जिसे सरकार के सबसे ऊपरी लेवल से मॉनीटर किया जा रहा है.’

क्या ICMR सरकार के दवाब में है जिसे 15 अगस्त को लोगों से शेयर करने के लिए कोई गुड न्यूज चाहिए? लेकिन एक फील गुड मोमेंट के लिए क्या सरकार मेडिकल साइंस की अनदेखी कर सकती है? नहीं, वो नहीं कर सकती है.

कोवैक्सीन में दम है, लेकिन देर है

अब... कोई नहीं कह रहा है कि कोवैक्सीन काम नहीं करेगी. यहां तक कि डॉक्टर जेकब जॉन ने भी कहा कि कोवैक्सीन के जानवरों पर हुए प्री ट्रायल काफी कामयाब रहे हैं, जिससे पता चलता है कि कोवैक्सीन में दम तो है. इसे लेकर जल्दबाजी पर उनका कहना है कि फेज 1 और फेज-2 ट्रायल को एक साथ किया जा सकता है, लेकिन इसमें ही अगस्त तक का वक्त लग सकता है. इसके बाद फेज-3 काफी मुश्किल फेज है, जिसमें सैकड़ों और हजारों वॉलिंटियर्स को शामिल किया जाएगा और देखा जाएगा कि बड़ी आबादी के लिए वैक्सीन कितनी कारगर और कितनी सेफ है.

इस फेज को ही पूरा होने में कुछ महीने लग सकते हैं. आप मेडिकल साइंस को इससे तेज नहीं कर सकते हैं. क्योंकि एक वैक्सीन वायरस से भी खतरनाक रिएक्शन कर सकती है. डॉक्टर जॉन ने इसके लिए Dengvaxia वैक्सीन का उदाहरण दिया, जिसे डेंगू के लिए तैयार किया गया था, लेकिन बाद में रिएक्शन के चलते वापस लेना पड़ा.

140 वैक्सीन पर चल रहा काम

ये सच है कि कोरोना वैक्सीन के लिए दुनियाभर में तेजी से रिसर्च चल रही है. कई देश, कंपनियां और साइंटिस्ट्स एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था. अब तक कुल 140 तरह की वैक्सीन रिसर्च और ट्रायल के प्रोसेस से गुजर रही हैं. लेकिन एक सटीक वैक्सीन को लेकर उम्मीद की जा रही है कि ये अगले साल यानी 2021 की शुरुआत में ही दुनिया को मिल पाएगी. ये जो इंडिया है ना, अगर ये कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए पहली वैक्सीन लाता है तो सच में काफी लाजवाब है. लेकिन अगर इसे मेडिकल साइंस को दरकिनार करते हुए किया गया तो फिर हमारी वैक्सीन भी अठावले की गो कोरोना गो वैक्सीन जितनी ही असरदार होगी.

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