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देखा-अनदेखा हिंदुस्तान:अग्निवीरों को नौकरी का वादा, पूर्व सैनिकों को नौकरी नहीं?

क्विंट की इस रिपोर्ट में हम आपको इस हफ्ते की, बताएंगे वो खबरें, जिन्हें देखा तो गया मगर अनदेखा कर दिया गया

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देशभक्ति की कीमत ₹20? कश्मीरी पंडितों से प्यार का ढिंढोरा और 74 दिन से धरना दे रहे कश्मीरी पंडितों की आवाज सुनाई नहीं दे रही.अग्निवीरों को दिखाया जा रहा सरकारी नौकरियों का ख्वाब और पूर्व सैनिकों को सरकारी नौकरी देने में 6 साल में 72% की कमी.जो बुजुर्ग सोच रहे थे कि आज न कल रेलवे में पुराना कन्सेशन वापस आएगा, उनके लिए रेड सिग्नल.क्विंट की इस रिपोर्ट में हम आपको इस हफ्ते की, दिखाएंगे वो खबरें, जिन्हें देखा तो गया मगर अनदेखा कर दिया गया, देखे-अनदेखे हिंदुस्तान में आपका स्वागत है.

कश्मीर में तिरंगे पर विवाद

तिरंगे से किसे प्यार नहीं? आजादी का पर्व आता है तो ये प्यार और बढ़ जाता है लेकिन कोई आपसे इस तिरंगे के लिए 20 रुपये जबरन मांगने लगे, न देने पर एक्शन की धमकी देने लगे तो इस प्यार में कड़वाहट आएगी. खबर जम्मू कश्मीर से है. इंडियन एक्सप्रेस ने खबर छापी है. खबर में लिखा है कि अनंतनाग के स्कूलों में बच्चों और टीचरों से झंडे के लिए 20 रुपये मांगे गए. बाकायदा मुख्य शिक्षा अधिकारी का फरमान था. फिर बाजारों में दुकानदारों और आम लोगों से मुनादी स्टाइल में पैसा मांगा गया. नहीं देने पर एक्शन की घुड़की भी दी गई. मामला बढ़ा तो अनंतनाग के डिप्टी कमिश्नर बोले-हमसे किसी ने मंजूरी नहीं ली. अजीब बात है. स्कूल से लेकर बाजार तक में ढिंढोरा और डिप्टी कमिश्नर को पता नहीं. महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जबरन देशभक्ति न कराइए.

कश्मीरी पंडितों पर सिर्फ सियासत?

कश्मीर की एक और कहानी. निजाम कहते हैं कि कश्मीरी पंडितों का बड़ा कल्याण कर रहे हैं. परदे से पॉलिटिक्स तक कश्मीरी पंडितों के लिए दर्द का दरिया बह रहा है. वहां कश्मीर में 74 दिन से प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नौकरी देकर कश्मीर भेजे गए कश्मीरी पंडित कह रहे हैं-हमें यहां नहीं रहना, ले चलो यहां से. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं. ये लोग तब से धरने पर बैठे हैं जब इनके बीच के राहुल भट्ट की आतंकियों ने हत्या कर दी. कश्मीर में फिजा बदल दी है के दावों के बीच कश्मीरी पंडितों को टारगेट कर मारा जा रहा है लेकिन सरकार है कि सुनती नहीं. क्या कश्मीरी पंडितों की कीमत पर बाकी देश में राजनीति चमकाई जा रही है?

जेंडर गैप रिपोर्ट 2022 के आंकड़े भयावह

कश्मीरी पंडितों के बाद अब बात महिलाओं की कर लेते हैं बीते हफ्ते ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2022 जारी की गई. 146 देशों की इस लिस्ट में हमारा प्यारा भारत 135वें पायदान पर है और स्पष्ट तरीके से बताएं तो नीचे से 11वें स्थान पर. रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में Gender Inequality यानी लैंगिक असमानता खत्म करने में 132 साल और अपने इलाके यानी साउथ एशिया में 197 साल लग जाएंगे.

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सरकारी नौकरियों में पूर्व सैनिकों की संख्या घटी

सरकारी नौकरियों में लिए जाने वाले पूर्व सैनिकों की वार्षिक संख्या में पिछले सात वर्षों में भारी गिरावट देखी गई है, जो 2015 में 10,982 से घटकर 2021 में 2,983 रह गई है. केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 22 जुलाई को लोकसभा में साझा किए गए आंकड़ों से ये जानकारी सामने आई है. ये जानकारी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि अग्निपथ योजना में भी कुछ इस तरह की ही बातें की जा रही हैं कि अग्निवीरों को सरकारी नौकरियों में अवसर मिलेंगे.

वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे टिकटों में नहीं मिलेगी छूट

सैनिकों के बाद अब बात वरिष्ठ नागरिकों की कर लेते हैं, केंद्र सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को कई श्रेणियों के रेलवे टिकटों में मिलने वाली छूट को फिर से बहाल करने से इनकार ​कर दिया है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बीते 20 जुलाई को कहा कि कोविड महामारी का रेलवे की आर्थिक स्थिति पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा है और ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों समेत कई श्रेणियों के किराये में छूट का दायरा बढ़ाने की कोई इच्छा नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद भारतीय रेल ने दिव्यांगजनों की चार श्रेणियों, रोगियों एवं छात्रों की 11 श्रेणियों के किराये में छूट देना जारी रखा है.

सीनियर सिटिजन के लिए पैसे नहीं है लेकिन एक खबर यह भी है कि तीन साल में सरकार ने टीवी, अखबार और साइटों पर विज्ञापन पर 911 करोड़ खर्च कर दिए.
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प्रीमियम ट्रेन में खाने की कीमत बढ़ी

रेलवे की ही एक और खबर. प्रीमियम ट्रेन में जा रहे हैं और खाना बुक नहीं कराया लेकिन भूख लगी और खाना मांगा तो भले ही सामान 20 रुपये का हो, अलग से 50 रुपया चार्ज दीजिए. सरकार ने अब इस ‘ऑन-बोर्ड’ सेवा शुल्क को हटा दिया है. गुड न्यूज है ना? अब दब गई बैड न्यूज सुनिए. नाश्ते, लंच और डिनर की कीमतों में 50 रुपये की बढ़ोतरी कर दी गई है.

सीवर सफाई के दौरान यूपी में सबसे ज्यादा मौत

सीवर सफाई के दौरान मौत की खबरों को हमने हमेशा अनदेखा किया है, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने लोकसभा में कहा कि वर्ष 2017 से अब तक सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान 347 लोगों की मौत हुई. यूपी में सबसे ज्यादा मौत हुई. उन्होंने बताया कि साल 2017 में 92, साल 2018 में 67, साल 2019 में 116, साल 2020 में 19, साल 2021 में 36 और 2022 में अब तक 17 मौतें हुईं. स्वच्छ भारत अभियान का जश्न मनाने वाले देश को ये आंकड़े मुंह चिढ़ाते हैं.इन आंकड़ों को देखकर सबका साथ सबका विकास भी बेमानी लगता है क्योंकि हम सब जानते हैं अधिकतर सफाईकर्मी किस समाज से आते हैं.

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