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FIR से महाराष्ट्र चुनाव में शरद पवार का पावर कम होगा या बढ़ेगा?

शरद पवार ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो कहा, उसे सुनकर तो नहीं लगता कि वो झुकने वाले हैं!

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले NCP के सबसे बड़े नेता शरद पवार पर ED यानी एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट का केस. FIR में शरद पवार के भतीजे अजित पवार समेत 70 लोगों के नाम. देश के पूर्व रक्षा मंत्री, देश के पूर्व कृषि मंत्री के खिलाफ इस केस ने महाराष्ट्र की राजधानी में भूचाल ला दिया है. महाराष्ट्र की राजनीति इस मोड़ पर आई कैसे? क्या है वो मामला जिसमें आया है शरद पवार का नाम? और इसका अक्टूबर के मराठा संग्राम पर क्या असर हो सकता है.

FIR का सियासी कनेक्शन?

शरद पवार ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वो बिना समन खुद ही ED के सामने हाजिर होंगे. ये भी कहा कि जेल जाना उनके लिए अच्छा होगा. जाहिर है जितना वो कह रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा अपने वोटर को सुना रहे हैं. अब सवाल ये है कि जो मामला सालों से चल रहा है उसमें चुनाव से पहले इतना बड़ा एक्शन क्यों लिया गया? याद कीजिए 2014 के चुनाव जब कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना और बीजेपी, सब अलग-अलग लड़े और फायदा हुआ बीजेपी को. जानकार पूछते हैं कि कहीं कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन को तोड़ने के लिए ही तो ये कार्रवाई नहीं की गई?

इलाके की राजनीति समझने वाले पूछ रहे हैं कि कहीं शरद पवार पर केस कर सहकारिता के पावरफुल लोगों को पावर का डर तो नहीं दिखाया जा रहा?

पवार तो बहाना, सहकारिता समितियां निशाना?

महाराष्ट्र की राजनीति का अखाड़ा सजता है चीनी मिलों और सहकारिता समितियों के बीच और इस अखाड़े के रिंग लीडर माने जाते हैं शरद पवार. खासकर वेस्ट महाराष्ट्र में. पिछले चुनाव में यहां की 58 सीटों में से बीजेपी को 19 और एनसीपी को 16 सीटें मिलीं. बीजेपी को 122 के आंकडे़ से आगे बढ़ना है तो पश्चिम में कमल और खिलाना होगा. पार्टी भी ये समझती है तभी हाल ही में इसी वेस्ट महाराष्ट्र के चंद्रकांत पाटिल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया.

जब भी ED, CBI पीछे पड़ती है तो विपक्ष शोर मचाता है केंद्र सरकार इनका दुरुपयोग कर रही है. लेकिन पवार ने अपने तेवरों से जाहिर कर दिया है कि वो झुकने वालों में से नहीं हैं. उनके तेवर देख अब कह रहे हैं कहीं FIR दर्ज होने से उल्टा उन्हें चुनाव में फायदा न हो जाए?
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किस मामले में फंसे हैं पवार?

महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव घोटाला 2009 से 2011 के बीच में हुआ. उस वक्त महाराष्ट्र और केंद्र में एनसीपी सत्ता में थी,आरोपों के मुताबिक, महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के डायरेक्टर ने बैंकिंग और आरबीआई के नियमों का उल्लंघन कर अपने करीबियों को करोड़ों रुपयों के लोन बांटे. घोटाला करीबन 25 हज़ार करोड़ का बताया जा रहा है,अजित पवार जो उस वक्त महाराष्ट्र के वित्त मंत्री थे और MSCB बैंक के डायरेक्टर भी थे. आरोप है कि शरद पवार एनसीपी के प्रमुख है और ये सब उनके कहने पर किया गया है. 2014 में पृथ्वीराज चव्हाण जब कांग्रेस-एनसीपी सरकार में सीएम थे तब उन्हें महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में हो रही अनियमिता का पता चला. बैंक की डायरेक्टर बॉडी बर्खास्त की गई. 5 साल अब एक याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने FIR दर्ज करने के आदेश दिए. और अब fir हो गई.

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