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पुणे MIDC जमीन केस: ACB की क्लीनचिट पर खडसे बोले-पार्टी मेरे साथ

एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले में कोर्ट से कहा है कि खडसे पर लगाए गए आरोप साबित नहीं होते

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पुणे के भोसरी MIDC जमीन घोटाला केस में महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता एकनाथ खडसे को राहत मिली है. एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले में कोर्ट से कहा है कि खडसे पर लगाए गए आरोप साबित नहीं होते. बता दें कि खडसे पर बतौर राजस्व मंत्री पद का गलत इस्तेमाल कर अपने रिश्तेदारों को कम कीमत में जमीन आवंटन कराने का आरोप लगा था. ये भी खबरें आईं थी कि खडसे पार्टी से नाराज चल रहे हैं. क्विंट के साथ खास बातचीत में खडसे ने कहा कि इस मामले में पद के दुरुपयोग का कोई सवाल ही नहीं था, लेकिन आरोपों के कारण जांच की गई. भरोसा है कि इस रिपोर्ट के कोर्ट जाने के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी.

मुझे सिर्फ इस बात का दुख है कि 40 साल के राजनीतिक जीवन पर धब्बा लगाया गया है.
एकनाथ खडसे, पूर्व मंत्री, महाराष्ट्र सरकार

अब एसीबी ने कोर्ट में दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जमीन खरीद मामले में खडसे की वजह से सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ है, जो आरोप लगाए गए थे वो साबित नहीं होते. इस मामले में आगे की कार्यवाही कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही होगी.

क्या है जमीन खरीद का ये मामला?

पुणे के भोसरी में एमआईडीसी में 3 एकड़ जमीन खडसे की पत्नी मंदाकिनी और गिरीश चौधरी को कम कीमत में बेची गई. इस जमीन के लिए खडसे ने खुद मीटिंग अपने चैंबर में ही ली थी, उस वक्त खडसे के पास एमआईडीसी विभाग का चार्ज भी नहीं था. विपक्ष ने इस मुद्दे को जमीन घोटाले के तौर पर पेश किया और दबाव में 4 जून 2016 को खडसे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उस दौरान महाराष्ट्र सरकार में उनकी हैसियत 'नंबर दो' के मंत्री की थी.

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झोटिंग कमेटी का हुआ था गठन

एकनाथ खडसे पर लगे आरोपों की जांच के लिए सीएम फडणवीस ने पूर्व न्यायाधीश झोटिंग की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. कमेटी की रिपोर्ट भी सीएम को मिल चुकी है लेकिन सरकार ने अब तक ये रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है.

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