वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दू प्रीतम
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
जनरल इलेक्शन के लास्ट फेज में पूरे देश की नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए गढ़ पूर्वांचल पर टिकी हैं, जहां की 13 सीटों पर मतदान होना है. फिलहाल जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक पूर्वांचल की 13 में से 8 सीटों पर बीजेपी का राष्ट्रवाद, गठबंधन के जातीय गणित के चक्रव्यूह में फंसा है. या यूं कहें कि बीजेपी की जीत यहां बेहद मुश्किल दिख रही है.
दूसरी ओर इस चुनौती से निबटने के लिए बीजेपी ने जातियों के हिसाब से अपने नेताओं को मैदान में उतार दिया है. खुद नरेंद्र मोदी दूर से, तो अमित शाह ने बनारस को ही अपना वॉर रूम बना लिया है. यहीं नहीं, बड़ी मुश्किल तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने भी है क्योंकि उनकी गोरखपुर सीट खुद डावांडोल है.
सातवें चरण में पूर्वांचल की इन 8 सीटों पर कड़ा मुकाबला:
- गाजीपुर
- चंदौली
- मिर्जापुर
- सोनभद्र
- बलिया
- महाराजगंज
- गोरखपुर
- कुशीनगर
इस चरण में नरेंद्र मोदी के अलावा कई दिग्गज है मैदान में-
- चंदौली से महेंद्रनाथ पांडेय
- गाजीपुर से मनोज सिन्हा
- मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल
- गोरखपुर से रविकिशन
सबसे पहले बात करते हैं बनारस की, जिस पर एक लाइन में कहें, तो यहां मोदी की जीत को लेकर किसी को किसी तरह का कंफ्यूजन नहीं है. लेकिन चैलेंज मोदी के सामने भी है, अपनी जीत के अंतर को बढ़ाने का और सभी सीटों का जिताने का.
वाराणसी में मोदी बनाम मोदी !
वाराणसी में 2014 के मुकाबले नरेंद्र मोदी की राह काफी आसान दिख रही है. पिछले चुनाव में मोदी का सामना अन्ना आंदोलन की उपज और सियासत में सनसनी के साथ आए अरविंद केजरीवाल से था. लेकिन इस बार मुकाबला एक तरफा माना जा रहा है. चूंकि यहां से प्रियंका का नाम खूब चला इसलिए मोदी के सामने कांग्रेस के अजय राय का कद कमजोर लग रहा है. तो वहीं गठबंधन की ओर से सपा की शालिनी यादव भी बहुत हैवीवेट नही हैं.
ऐसे में जीत तो तय मानी जा रही है लेकिन जीत के फासले को लेकर टीम मोदी चिंतित है. क्योंकि बनारसियों के साथ ही बीजेपी भी मोदी को जीता हुआ मानकर शांत बैठ गई है. अब वाराणसी को चालीस हजार करोड़ की सौगात देने वाले नरेंद्र मोदी की जीत तभी मानी जाएगी, जब पिछली बार की तुलना में जीत के अंतर बड़ा हो या कम से कम उसके बराबर.
डॉन फैमिली के सामने मोदी का विश्वसनीय चेहरा
वाराणसी से सटे गाजीपुर में बीजेपी की गाड़ी फंस गई है. माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की फैमिली के सामने मोदी के खास माने जाने वाले मनोज सिन्हा मुश्किल में नजर आ रहे हैं. मऊ सदर से विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी एसपी-बीएपी गठबंधन के प्रत्याशी हैं. यादव बहुल इस जिले में अफजाल अंसारी उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं. बीएसपी के साथ एसपी के प्रमुख नेताओं ने मनोज सिन्हा को हराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है.
सिर्फ गठबंधन ही नहीं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी यहां से अपना प्रत्याशी उतारकर मनोज सिन्हा की मुसीबत बढ़ा दी है. 2014 भी मोदी लहर के बावजूद मनोज सिन्हा पूर्वांचल में सबसे कम अंतर से जीते थे.
- साल 2004 में अफजाल अंसारी मनोज सिन्हा को 2.5 लाख वोटों से हरा चुके हैं.
- गाजीपुर में 4 लाख यादव, 3.75 लाख दलित और 1.5 लाख मुस्लिम मतदाता हैं.
गोरखपुर में योगी की साख दांव पर
बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ मानी जाने वाली सीएम योगी की गोरखपुर सीट पर समाजवादी पार्टी ने जोरदार घेरेबंदी की है. बीजेपी ने यहां से भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन मैदान में है. उनके सामने गठबंधन के रामभुवाल निषाद है. निषाद और ब्राह्मणों के दबदबे वाली इस सीट पर दशकों से गोरक्ष पीठ का एकाधिकार रहा लेकिन उपचुनाव में योगी के इस सीट को एसपी ने छीन लिया था.
- इस सीट पर 3.5 लाख निषाद
- 1.5 लाख ब्राह्मण
- 1.5 लाख मुस्लिम
- करीब 2 लाख यादव और दलित मतदाता हैं
इस बार भी एसपी ने निषाद उम्मीदवार उतारकर बीजेपी खेल खराब करने में कोई कसर नही छोड़ी है. अब बीजेपी को ब्राह्मण वोटों का भरोसा ही है, अगर वो बंटा तो, फिर उपचुनाव जैसी स्थिति होगी.
उपचुनाव में एसपी प्रत्याशी प्रवीन निषाद ने बीजेपी प्रत्याशी उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21961 मतों से हराया था. उपेंद्र दत्त शुक्ला को 4.34 लाख वोट मिले थे. वहीं प्रवीण निषाद को 4.56 लाख वोट मिले थे.
उपचुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी की खूब किरकिरी हुई थी. लिहाजा इस सीट पर हारने का मतलब बीजेपी और खासतौर से योगी आदित्यनाथ बखूबी जानते हैं.
चंदौली में दांव पर महेंद्रनाथ पांडेय की साख
चंदौली लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय की साख दांव पर लगी है. उनका मुकाबला एसपी के संजय चौहान से है. बीजेपी के लिए यहां पर राहत भरी खबर आ सकती है, क्योंकि समाजवादी पार्टी में स्थानीय स्तर पर गुटबाजी चरम पर है. हालांकि अखिलेश यादव ने खुद हस्तक्षेप करते हुए नेताओं को समझाया है. माना जा रहा है कि अगर एसपी की गुटबाजी चुनाव तक चलती रही, तब तो महेंद्रनाथ पांडेय को फायदा मिलेगा.
- चंदौली में यादव 2.75 लाख, दलित 2.6 लाख, मौर्या 1.75 लाख के आसपास है. जबकि ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम, राजभर भी तकरीबन एक लाख के आसपास है.
- अगर साल 2014 की बात करें तो बीजेपी के महेंद्र नाथ पाण्डेय ने 4.14 लाख वोट हासिल किया था जबकि बीएसपी के उम्मीदवार अनिल कुमार मौर्य ने 2.57 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर पर थे.
बलिया में भितरघात से बीजेपी परेशान
बलिया में भदोही के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त को उम्मीदवार बनाया है. राजपूत बहुल इस सीट पर बीजेपी ने एक बड़ी रणनीति के तहत यहां से मस्त को टिकट दिया, लेकिन ऐसा लग रहा है कि भरत सिंह और उनके समर्थकों की भितरघात, अब बीजेपी पर भारी पड़ने लगी है. दूसरी ओर एसपी ने यहां से ब्राह्मण नेता सनातन पांडेय को टिकट देकर बीजेपी का पेंच फंसा दिया है.
सपा के साथ ब्राह्मण, दलित, यादव और मुस्लिम वोटर का मजबूत वोटबैंक है, जो जीत हासिल करने के लिए काफी है. हालांकि एसपी भी चंद्रशेखर के बेटे और पूर्व सांसद नीरज शेखर और उनके समर्थकों के तेवर से परेशान हैं.
- बलिया लोकसभा क्षेत्र का गठन बैरिया, बलिया नगर, फेफना, जहूराबाद तथा मोहमदाबाद विधानसभा को मिलाकर हुआ है.
- माना जाता है कि यहां ब्राह्मण, क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम, अनुसूचित जाति, राजभर और भूमिहार जाति के वोटरों की अच्छी तादाद हैं.
- इस सीट पर मुसलमान वोटरों की संख्या तकरीबन डेढ़ लाख है.
- क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटरों की संख्या क्रमश: 2.5 और 3 लाख के करीब है. यादवों की संख्या भी ढाई लाख के आस-पास है.
घोसी के घमासान में बीजेपी का पलड़ा भारी
घोसी में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी ने अपने सभी घोड़े खोल दिए हैं. एसपी-बीएसपी गठबंधन की ओर से यहां से माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के लेफ्टिनेंट माने जाने वाले अतुल राय उम्मीदवार हैं. लेकिन नामांकन के बाद रेप के मामले में वो फंस गए हैं. अतुल राय पर आरोप लगते है पुलिस भी फास्ट हो गई है और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है. बीएसपी समर्थकों का आरोप है कि चुनाव के दौरान साजिश के तहत अतुल राय को फंसाया गया है.
मिर्जापुर में एनडीए में अपना दल की अनुप्रिया पटेल को कांग्रेस के ललितेशपति त्रिपाठी चुनौती दे रहे हैं. मिर्जापुर पटेल और ब्राह्मण बहुल्य सीट है. यहां ब्राह्मणों का रुझान ललितेश की ओर हो सकता है. ऐसा होने पर अनुप्रिया को मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
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