वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
पूर्वांचल की सियासत का अहम केन्द्र माने जाने वाले यूपी के गाजीपुर लोकसभा सीट पर चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में मतदान होगा.
बीजेपी सरकार के केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की प्रतिष्ठा यहां दांव पर है. लगातार दूसरी जीत दर्ज करने के लिए वो जोर-शोर से लगे हैं साथ ही प्रदेश भर में किए गए विकास कार्य को गिना रहे हैं. इस संसदीय सीट पर मनोज सिन्हा तीन बार सांसद रहे हैं.
उनके सामने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन की ओर से उम्मीदवार हैं. कांग्रेस ने इस बार यहां से बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी के उम्मीदवार अजीत प्रताप कुशवाहा को समर्थन दिया है.
अफजाल के पक्ष में जातीय समीकरण
एसपी-बीएसपी गठबंधन हो जाने की वजह से अफजाल अंसारी मजबूत दिख रहे हैं. क्षेत्र में मुसलमान, यादव और दलित मतदाताओं की संख्या गाजीपुर के कुल मतदाताओं के 50% से ज्यादा है.
पिछले चुनाव में एसपी के टिकट पर लड़ी बाबूराम कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा को मनोज सिन्हा के हाथों सिर्फ 32 हजार वोटों से हार मिली थी, जबकि बीएसपी के टिकट पर लड़े कैलाश नाथ सिंह को लगभग ढाई लाख वोट मिले थे. दोनों के वोटों को मिला दिया जाए तो ये आंकड़ा सवा पांच लाख होता है, जबकि मनोज सिन्हा को सिर्फ तीन लाख वोट ही मिले थे.
लेकिन बात करें विकास की तो मनोज सिन्हा ने रेलवे सहित 14 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं का तोहफा गाजीपुर को दिया है. इसका असर उन्हें बढ़त दिला सकता है.
अगर आप जातिगत समीकरणों पर बात करते हैं तो अफजाल अंसारी उसमें भारी पड़ते हैं और अगर विकास की बात की जाए तो आप मनोज सिन्हा के काम को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. विकास दृष्टि से वो यहां बहुत भारी हैं.अनिल उपाध्याय, स्थानीय
देखना दिलचस्प होगा कि 19 मई को वोटिंग के दौरान जनता विकास बनाम बाहुबल की इस जंग में किसका साथ देती है?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)