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क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने उठाए NRC पर सवाल

क्विंट की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस का सवाल, देश की सेवा करने वाले का नाम NRC में क्यों नहीं?

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35 साल तक भारतीय वायुसेना की सेवा करने के बाद शम्सुल एक रिटायर्ड सार्जेंट हैं. वे असम के बारपेटा जिले के बालुकुरी गांव में रहते हैं. शम्सुल, उनकी पत्नी नूरजहां और उनके दो बच्चों के नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस यानी एनआरसी के हाल ही में जारी किए गए मसौदे में नहीं हैं.

क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट के एक दिन बाद कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने NRC ड्राफ्ट पर सवाल उठाए. उन्‍होंने कहा कि 30 साल देश सेवा करने वाले लिस्ट से बाहर क्यों?

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सेना का एक जवान 30 साल सर्विस करने के बाद रिटायर हुआ है और दूसरा एयरफोर्स से 30 साल बाद रिटायर हुआ. दोनों के नाम लिस्ट (NRC) में नहीं हैं.
गुलाम नबी आजाद, सांसद, कांग्रेस

2014 में जब शम्सुल भारतीय वायुसेना से रिटायर होने के बाद अपने गांव लौटे, तो उन्हें पता चला कि 1997 से चुनाव आयोग ने उनका नाम 'D वोटर' (डाउटफुल वोटर), यानी संदिग्ध मतदाता के रूप में लिस्टेड किया है. इतने साल तक उनका नाम आधिकारिक रिकॉर्ड में 'संदिग्ध' नागरिक के तौर पर रहा.

फॉरनर्स ट्रिब्यूनल ने शम्सुल और उनकी पत्नी नूरजहां को नोटिस भेजा. उन्हें मार्च 2016 तक अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए कहा गया.

“मेरा जन्म 1961 में हुआ था, मेरी पत्नी नूरजहां का जन्म 1966 में बारपेटा में हुआ था. 1951 एनआरसी में मेरे पिता का नाम था. यह सबसे अहम दस्तावेज है. मेरे पास 1940 के दशक से जमीन के दस्तावेज भी हैं, जो साबित करते हैं कि हम भारत में रह रहे थे. फिर भी हमारा नाम एनआरसी में नहीं है
शम्सुल हक अहमद, रिटायर्ड सार्जेंट, भारतीय वायुसेना

असम के कामरूप जिले के चायगांव निवासी अजमल हक के मुताबिक वे, उनके पिता और उनके दादा भारत में ही पैदा हुए, फिर भी उनका और उनके परिवार का नाम एनआरसी में नहीं है. हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब पूर्व आर्मी ऑफिसर अजमल हक से उनकी नागरिकता पर सवाल उठे हैं. पिछले साल अजमल हक को नोटिस भेजकर उनको अपनी नागिरकता साबित करने के लिए कहा गया था.

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