महीनों जेल में बिताने वाले लखनऊ के डॉ. कफील अहमद खान को बेल मिली. वो गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में जेल में बंद थे. 9 मई को उन्होंने प्रेस काॅन्फ्रेंस किया.
गोरखपुर हादसे में उनकी भूमिका को लेकर उन्होंने गलतफहमी दूर करने की बात की. उन्होंने कहा कि वो त्रासदी ‘पूरी तरह से प्रशासनिक लापरवाही’ थी. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें और उनके परिवार को सरकार की ओर से परेशान किया गया और धमकी दी गई.
पूरे मामले को दबाने के लिए, उन्होंने पहले इस बात को मानने से इनकार किया. फिर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई गई. मुझे बदनाम करने के लिए मेरे खिलाफ एक अभियान शुरू किया गया.डॉ. कफील अहमद खान
डॉक्टर कफील खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 अप्रैल को जमानत दे दी. वो 28 अप्रैल को जेल से बाहर आए. डॉ. कफील जिला जेल में 2 सितंबर से बंद थे.
जेल से बाहर आते ही डाॅ. कफील ने अपनी पत्नी और बेटी को गले लगाया और कहा, "हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है. आप जानते हैं कि पिछले 8 महीनों में मेरे परिवार पर क्या बीती है. मुझे नहीं पता कि मेरी गलती क्या है. "
“उस दिन मैंने जो कुछ किया, वो एक पिता, डॉक्टर और एक भारतीय होने के नाते किया. मेरा काम वहां बच्चों को बचाना था.’’
डाॅ. कफील खान
खान ने एएनआई को बताया था, “मैंने अलग से ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था करने का काम किया, क्योंकि लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गया था.”
अगस्त, 2017 में एक हफ्ते के भीतर अस्पताल में 60 से अधिक बच्चों, ज्यादातर शिशुओं की मौत हो गई थी. आरोप था कि ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होना हादसे की वजह बना. बीजेपी की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने हालांकि इससे इनकार कर दिया था कि ऑक्सीजन की कमी मौतों का कारण बनी थी.
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