वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
प्रोड्यूसर:स्मृति चंदेल
दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट यानी कूड़े का पहाड़, जिसकी लंबाई इतनी है कि इसकी तुलना मश्हूर स्मारक कुतुब मीनार की लंबाई से भी की जाती है. 19 महीने पहले इस पहाड़ का एक हिस्सा गिर जाने से दो लोगों की मौत हो गई थी. हादसे के इतने वक्त बाद भी यहां रहने वाले लोगों में खौफ का माहौल है. लेकिन अभी भी गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े को डालने का सिलसिला लगातार जारी है.
पिछले साल 1 सितंबर को पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल पर कूड़े के पहाड़ का एक हिस्सा भरभराकर गिर गया था, जिसमें 2 लोगों की मौत और 5 लोग घायल हो गए थे लेकिन इस हादसे के 19 महीने बाद भी अभी तक ना प्रशासन नींद से जागा है और ना ही सरकार ने कोई ठोस कदम उठाया है.
उस दौरान दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार सहित एमसीडी के तमाम आला अधिकारियों ने ये फैसला किया था कि गाजीपुर की इस लैंडफिल साइट पर पूर्वी दिल्ली के कूड़े को डंप नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही ये वादा किया गया था कि इस लैंडफिल साइट को पूरी तरीके से जीरो किया जाएगा. लेकिन बावजूद इसके अभी तक पूर्वी दिल्ली के तमाम इलाकों का कूड़ा इस लैंडफिल साइट पर डाला जा रहा है.
इस लैंडफिल साइट में कभी भी आग लगने का खतरा रहता है. इस आग से जान का खतरा तो बना ही रहता है. यही नहीं यहां रह रहे आस पास के लोग तरह-तरह की बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं. यहां पर रहने वाले बिजनेस मैन परवेज का कहना है कि पहाड़ से उठने वाले धुंए के कारण उनकी पत्नी सांस की बीमारी की मरीज बन गईं हैं.
यहां पर रहने वाले एक बुजुर्ग दुकानदार मोहम्मद इस्माइल का कहना है कि उन्हें इस पहाड़ से उठने वाले धुंए के कारण दिल की बीमारी हो गई है. यही नहीं ज्यादातर कॉलोनी में रहने वाले लोग तरह-तरह की बीमारी से पीड़ित हो गए हैं.
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