क्विंट की चुनावी यात्रा पहुंची महाराष्ट्र के वर्धा. वर्धा को गांधीजी के विचारों के लिए भी जाना जाता है. एक वक्त में वर्धा जिला कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन 2014 के चुनाव के बाद बीजेपी भी यहां मुकाबले में आ गई है.
बीजेपी ने पिछली बार यहां 4 में से 2 सीटें जीती थीं. लेकिन 2019 की लड़ाई बीजेपी-शिवसेना के लिए इतनी आसान नहीं है, क्योंकि कई जगहों पर बागियों के खड़े हो जाने से दोनों के लिए मुश्किल पैदा हो गई है.
हमने वर्धा की जनता से समझने की कोशिश की कि क्या हैं उनके मुद्दे? कितने खुश हैं वो मौजूदा सरकार से? महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने यहां विकास किए हैं या नहीं ?
सरकार के काम पर बात करते हुए बिजनेसमैन ऋषभ जाजू कहते हैं:
सरकार ने पिछले 5 सालों में बहुत अच्छा काम किया है, मैं काम के सिलसिले में रोजाना आता-जाता रहता हूं. एक बात तो समझ आई है कि सड़कों को लेकर सरकार ने अच्छा काम किया है. सड़कें चौड़ी होने की वजह से अब ट्रैफिक जाम नहीं लगता.
गृहणी श्वेता बोरकर का सवाल है कि सरकार ने 5 सालों में क्या किया है? वो कहती हैं कि सरकार ने सिर्फ सीमेंट की सड़क बनाई हैं, उसके अलावा यहां कुछ नहीं दिख रहा है.
सरकार ने कुछ नहीं किया है, सरकार बदलनी चाहिए. महंगाई बढ़ा दी है, किसानों के लिए भी सरकार ने कुछ नहीं किया है.श्वेता बोरकर, गृहणी
288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में 2014 के चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 142 सीटें जीती थीं. वहीं शिवसेना 75 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी. तब कांग्रेस 27 और एनसीपी 29 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी थी.
बता दें कि 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है, जिसके नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे.
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