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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
गंगा नदी पर चल रही तमाम परियोजनाओं के बावजूद अब भी वो इस स्थिति में नहीं आ सकी है कि हम उसे प्रदूषित नदियों की श्रेणी से बाहर रखा जा सके. हाल ही में गंगा की सफाई को लेकर आमरण अनशन कर रहे आईआईटी प्रोफेसर और एक्टिविस्ट ज्ञान स्वरूप सानंद की मौत हो गई थी. अब 26 साल के एक और एक्टिविस्ट आत्मबोधानंद गंगा को बचाने के लिए 2 महीने से हरिद्वार में भूख हड़ताल पर हैं. आत्मबोधानंद का आरोप है कि मोदी सरकार गंगा की सफाई कम और 'बाजारीकरण' ज्यादा कर रही है.
आत्मबोधानंद ने पीएम मोदी पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि वो गंगा को अपनी मां कहते हैं, और वो ही उसका व्यवसायीकरण करते दिख रहे हैं. वो और डैम बनाने को तैयार हैं, वो इसे बिजनेस हब बनाना चाह रहे हैं, वो गंगा नदी में बंदरगाह बना रहे हैं. उनका इरादा मां गंगा की देखभाल करना नहीं बल्कि बेचना है.ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद, समाजसेवी, साधु
‘नमामि गंगे प्रोजेक्ट एक झूठ’
इतना ही नहीं आत्मबोधानंद ने गंगा के सफाई को लेकर सरकार के फ्लैगशिप प्रोजेक्ट 'नमामि गंगे' की जमकर आलोचना की है. उन्होंने कहा कि सरकार का 'नमामि गंगे' प्रोजेक्ट एक झूठ है. गंगा की सफाई को लेकर नाराज आत्मबोधानंद कहते हैं कि नगर पालिका और लोगों का काम ये देखना है कि गंदगी आखिर कहां से पैदा हो रही है.
आत्मबोधानंद सरकार को IIT प्रोफेसर और समाज सेवी ज्ञान स्वरुप सानंद की मौत का जिम्मेदार मानते हैं.
आत्मबोधानंद मातृ सदन आश्रम से जुड़े हैं जो पर्यावरण को बचाने के लिए कई आंदोलन चला रहा है.
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