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नागपुर: दलित छात्रों को चाहिए वंशवाद की राजनीति से छुटकारा

मराठाओं को आरक्षण देना सही निर्णय नहीं- दलित युवा

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लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियां जोरों पर चल रही है. महाराष्ट्र के नागपुर में कैसा है चुनावी माहौल, किसका पलड़ा है भारी, किसकी होगी जीत, किसे मिलेगी हार? क्या हैं यहां के वोटरों के चुनावी मुद्दे? मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल को दलित समुदाय कैसे देखता है? इन्हीं बातों को जानने के लिए क्विंट हिंदी की टीम पहुंची नागपुर.

'वंशवाद की राजनीति से चाहिए छुटकारा'

नागपुर के युवक प्रवीण का कहना है कि राजनीति में युवाओं का चेहरा नहीं है. उनका मानना है कि मेनस्ट्रीम राजनीति में वंशवाद खत्म होना चाहिए और नए लोगों को, खासकर युवाओं को मौका मिलना चाहिए.

मुझे ये महसूस होता है कि जो मेनस्ट्रीम राजनीति है, वहां युवाओं का कोई चेहरा नहीं है. जैसा डॉ. अंबेडकर ने कहा था- राजा रानी मां के पेट से नहीं, बल्कि बैलेट पेपर से चुनाव के जरिए आना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा. आजकल राजनीति में ऐसा हो रहा है कि बड़े नेता का बेटा ही अध्यक्ष  बनेगा. बाबा साहब अंबेडकर के विचार कम होते दिख रहे हैं.
प्रवीण, नागपुर
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15 लाख जैसे भ्रम फैलाना, झूठ फैलाना आसान

नागपुर के ही एक युवक हेम कृष्णा मोदी सरकार के कामकाज को लेकर कहते हैं कि उन्होंने काम किया है, लेकिन जितना काम होना चाहिए, उतना नहीं हुआ है. हेम कृष्णा राज्य सरकार के मराठाओं को दिए गए आरक्षण पर कहते हैं:

मैं मुद्दों पर वोट करूंगा, क्योंकि मोदी सरकार ने महाराष्ट्र में मराठाओं को आरक्षण दिया, ये ठीक नहीं है, 5 साल में मोदी जी ने काम किया, लेकिन बहुत कम किया. देखिए गांव के स्तर पर कुछ योजनाएं जो सरकार लेकर आई है, उसका जाति से मतलब नहीं है. जैसे- उज्‍ज्‍वला योजना को देखेंगे, तो गांव में इसके कई लाभार्थी हैं. 
हेम कृष्णा, नागपुर 

प्रधानमंत्री के ‘हर अकाउंट में15 लाख’ वाले बयान पर हेम कृष्णा कहते हैं, '‘2014 में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सबके अकाउंट में 15 लाख रुपये आएंगे. जब मैं अपने गांव गया, तो बुआ से पूछा, ‘किसे वोट देंगी,’ तो उन्होंने कहा, 'मोदी जी को'. मैंने पूछा, 'क्यों?' तो उन्‍होंने कहा, '15 लाख रुपये आएंगे'. लेकिन ये 15 लाख आएंगे या नहीं, ये किसी को नहीं पता, लेकिन मोदी जी ने इसका इस्तेमाल किया. ये पैसे नहीं आए हैं. मेरा ये कहना है कि गांव में जो भी अशिक्षित लोग हैं, वहां भ्रम फैलाना, झूठ फैलाना आसान हो गया.’'

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