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CAA को लेकर विपक्ष की उदासीनता दुर्भाग्यपूर्ण- चिदंबरम इंटरव्यू 

CAA के खिलाफ कांग्रेस की बैठक में कुछ विपक्षी दल शामिल नहीं हुए थे

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम
वीडियो प्रोड्यूसर:
मैत्रेयी रमेश\ कनिष्क दांगी
कैमरा:
अभिषेक रंजन

CAA के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में हुई बैठक में कुछ विपक्षी दलों के शामिल नहीं होने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने क्विंट हिंदी से खास बातचीत में कहा है कि ‘मुझे बुरा लगता है कि जो CAA का विरोध कर रहे हैं वो साथ आकर उसके खिलाफ नहीं लड़ना चाहते.’

उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी के आने की मैं उम्मीद नहीं कर सकता था क्योंकि अभी दिल्ली में चुनाव है.

हर कोई विपक्ष है, लेकिन वो एकजुट नहीं है. जो बैठक कांग्रेस ने बुलाई थी या कहें कि जो कांग्रेस ने आयोजित की थी उसमें लगभग 20 पार्टियां शामिल हुईं. ये छोटा नंबर नहीं है, लेकिन ये बहुत निराशाजनक है कि BSP, SP, TMC, DMK, यहां तक तेलगु देशम पार्टी भी शामिल नहीं हुई. आम आदमी पार्टी के आने की मैं उम्मीद नहीं कर सकता था क्योंकि अभी दिल्ली में चुनाव है. अब आप कहते हैं कि CAA के खिलाफ हैं. आप कहते हैं कि ये मौलिक आधार का मुद्दा है. ये भारत के आइडिया को खत्म करता है. ये ऐसा मुद्दा है कि इस पर आपको जूझना है, लेकिन फिर आप विपक्ष की बैठक में नहीं आते हैं. इससे मुद्दे को लेकर आपके रवैए पर सवाल उठता है. 
पी चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री

सवाल है एक तरफ देश बहुत बड़े खतरे में है, अभूतपूर्व चुनौतियां देश के सामने आ गई हैं. ‘देश बदल जाएगा, इसे बचाओ’ सभी लोग कह रहे हैं. इस पर सभी लोगों का एक जैसा ही नजरिया है
फिर भी साथ में काम करने के लिए एक नहीं हो रहे हैं तो बीजेपी के लिए कोई चुनौती नहीं है.

बहुत दुख की बात है, ये गलत है, अगर ये मुद्दा मौलिक आधार पर है, तो ये गलत है, ये मुद्दा बहुत बेसिक है, ये बहुत जरूरी है तो आपको कहना चाहिए कि ये सब छोटी चीजें छोड़ते हैं लेकिन इसके (CAA) लिए हम एक साथ आते हैं. ऑल पार्टी मीटिंग में हम हिस्सा लेंगे और एक रिजॉल्यूशन पास करते हैं. ममता बनर्जी को जरूर आना चाहिए था.

आप बहुत ईमानदारी के साथ इसको बता रहे हैं, जो हुआ है, ये आप कह रहे हैं तो आपकी बात में थोड़ी निराशा सुनाई दे रही है

मुझे चिंता है, क्योंकि बीजेपी ‘बांटो और राज करो’ वाली राजनीति कर रही है, मुझे नहीं पता कि वो इसमें कामयाब हो रहे हैं या नहीं और क्या उन्होंने सच में बांट दिया है सभी को, ये मैं नहीं कह सकता, लेकिन वो ‘बांटों और राज करो’ की राजनीति कर रहे हैं आपको उनके इस खेल में फंसना नहीं चाहिए...

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कई विपक्षी पार्टियों या नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर या निजी तौर पर ये कहा है कि ‘’कांग्रेस पार्टी के साथ काम करना ‘मुश्किल’ है?” उनको ये नहीं पता है कि डील किससे करना है  और कांग्रेस हमेशा अपने निर्णय बताने में देरी करती है

असल में मुझे भी ऐसा कई बार लगता है, लेकिन अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी हैं, महासचिव, संगठन है फिर राज्यसभा में विपक्ष दल के नेता हैं गुलाम नबी आजाद, फिर कोषाध्यक्ष हैं अहमद पटेल, मुझे लगता है, ये लोग हैं जिनके साथ आपको राष्ट्रीय स्तर पर डील करना होता है. राज्य स्तर पर महासचिव इंचार्ज हैं उनके साथ आप राज्य स्तर पर डील करते हैं. जब राष्ट्रीय स्तर पर कोई बात आती है तो सोनिया गांधी, राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद, केसी वेणुगोपाल, अहमद पटेल मुझे लगता है, ये लोग हैं जिनके साथ आपको डील करना चाहिए.

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