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पंजाब: ब्यास नदी का जल जीवन नहीं, जहर बनता जा रहा है

नदी में जहरीला शीरा फेंकने से हजारों मछलियों की मौत

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पंजाब के ब्यास नदी के पानी में केमिकल से हजारों मछलियां और दूसरे जीव मर गए हैं. ये जहरीला रिसाव अब पंजाब सरकार के लिए नई मुसीबत बन गया है.

बता दें कि पिछले हफ्ते बटाला की एक शुगर मिल में शीरे से भरा एक टैंक फटने के बाद कई सौ लीटर केमिकल नदी में छोड़ दिया गया था. इससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गई और हजारों छोटी- बड़ी मछलियां और दूसरे जीव मरने के बाद नदी के ऊपर आ गए.

शुगर मिल का शीरा एक खाड़ी में बहाया गया जो ब्यास नदी में मिलता है. केमिकल रिसाव के बाद, नदी का पानी भूरे-लाल रंग में बदल गया. पानी की बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) बढ़ गया है जिससे मछलियों के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता कम हो गई और इस वजह से मछलियां मरने लगी.
कमलदीप सिंह संघा, डिप्टी कमिश्नर, अमृतसर
हमने पानी को साफ करने के लिए विश्व बैंक के साथ करार किया है. ये एक बड़ा प्रोजेक्ट है. मुख्य कारण औद्योगिक प्रदूषण है और हमारे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कारण नदी का पानी प्रभावित हो रहा है क्योंकि पानी एसिडिक हो गया है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने काॅमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) का निर्माण शुरू किया है. अब तक 4 में से एक का निर्माण किया गया है. बाकी तय समय में बन जाएगा क्योंकि इनमें से कुछ राज्य सरकार के अधीन हैं और अन्य केंद्र सरकार के अधीन हैं. जो फैक्ट्री दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं उन्हें दंडित किया जा सकता है और निलंबित या बंद किया जा सकता है.
प्रदीप गुप्ता, मुख्य वातावरण इंजीनियर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 

बता दें, इस मामले को लेकर गुरुवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्ती दिखाई है. एनजीटी ने जहरीले पानी के मामले पर केंद्र सरकार के जल संसाधन मंत्रालय, पंजाब सरकार, राजस्थान सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किया है.

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