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वीडियो: सीरम इंस्टीट्यूट के प्लांट में ऐसे बनती है कोरोना वैक्सीन

हम आपको लेकर चल रहे हैं सीरम इंस्टीट्यूट के उस प्लांट में, जहां कोरोना वैक्सीन तैयार की जा रही है.

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वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी

भारत में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद, 12 जनवरी को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से वैक्सीन की पहली खेप देश के अलग-अलग शहरों में भेजी गई. दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन मैन्युफैक्चरर, सीरम इंस्टीट्यूट हर महीने करीब 10 करोड़ डोज बनाने की तैयारी में है. हम आपको लेकर चल रहे हैं सीरम इंस्टीट्यूट के उस प्लांट में, जहां कोरोना वैक्सीन तैयार की जा रही है.

प्लांट में ऐसे तैयार होती है वैक्सीन

वैक्सीन बनाने की पहली प्रक्रिया में सबसे पहले शीशियों को साफ किया जाता है. स्टरलाइज करने के बाद इन शीशियों में वैक्सीन भरी जाती हैं और फिर इन्हें स्क्रीनिंग के लिए भेजा जाता है.

एक मिनट में करीब 5,000 शीशियां भरी जाती हैं. एक शीशी में 10 डोज होती हैं. वैक्सीन भरने से लेकर स्क्रीनिंग तक का ज्यादातर काम ऑटोमेटेड ही होती है.

कोविशील्ड वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर करना होता है. इस वैक्सीन के असर के लिए लोगों को दो डोज दिए जाएंगे. ट्रायल्स में ये वैक्सीन 90% तक प्रभावी दिखी है.

सीरम इंस्टीट्यूट एक महीने में 10 करोड़ डोज बनाने की तैयारी में है. वहीं, 2021 में इसका लक्ष्य 250 करोड़ डोज बनाने का है.

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देशभर में पहुंची कोविशील्ड वैक्सीन

16 जनवरी से शुरू हो रहे वैक्सीनेशन अभियान से पहले वैक्सीन की 56.5 लाख खुराकें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, शिलॉन्ग, चंडीगढ़ समेत 13 शहरों में पहुंची.

हम आपको लेकर चल रहे हैं सीरम इंस्टीट्यूट के उस प्लांट में, जहां कोरोना वैक्सीन तैयार की जा रही है.
दिल्ली पहुंची कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक
(फोटो: Accessed by Quint)

कोविड वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत में देश के तीन करोड़ हेल्थ वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दी जाएगी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने हाल ही में कहा था वैक्सीनेशन के पहले फेज में सबसे ज्यादा प्राथमिकता वाले 1 करोड़ हेल्थकेयर और 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को फ्री में वैक्सीन मुहैया कराई जाएगी.

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