जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों और नेताओं की नजरबंदी को दो महीने बीत चुके हैं. सैकड़ों विपक्षी नेता और कार्यकर्ता अब भी नजरबंद हैं. कई लोगों को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है. लेकिन अब पहली बार कश्मीर के तीन नेताओं की रिहाई की खबर सामने आई है.
वहीं, कश्मीर में गुरुवार, 10 अक्टूबर से ट्रैवल एडवाइजरी भी खत्म कर दी गई है, जिसके बाद लोग यहां घूमने जा सकते हैं.
अधिकारियों ने बताया कि रिहा किए जाने से पहले ये नेता एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे, जिसमें शांति बनाए रखने और अच्छे व्यवहार का वादा किया जाएगा.
क्या है पब्लिक सेफ्टी एक्ट ?
जम्मू-कश्मीर में काफी सालों से पब्लिक सेफ्टी एक्ट यानी पीएसए लागू है. आखिर ये क्या है? अगर सरकार को शक है कि आप पब्लिक सेफ्टी के लिए खतरा हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं तो आपने भले ही कोई गलत काम नहीं किया हो, लेकिन सरकार को अगर शक होता है तो आपको हिरासत में ले सकती है. दरअसल, जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म कर दिए जाने के बाद काफी लोगों को इस एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया है.
नेताओं की रिहाई क्यों है इतनी अहम?
दरअसल, ये तीनों मामले पीएसए के खिलाफ शुरुआती चैलेंज थे. जम्मू-कश्मीर सरकार पहले भी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पीएसए के तहत हिरासत में लेती रही है. लेकिन अब जब इनकी रिहाई हो गई है तो कुछ अन्य राजनीतिक कार्यकर्ता भी रिहा हो सकते हैं. क्योंकि ऐसे करीब 250 मामलों को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है.
इन मामलों को जब-जब चुनौतियां दी गई हैं तब-तब सरकार हिरासत को लेकर कोई ठोस तर्क नहीं दे पाई है. इसलिए इन तीनों की रिहाई का व्यापक महत्व है. आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पीएसए के तहत हिरासत में लिए गए राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए उम्मीद की एक नई किरण पैदा हुई है. इससे इन राजनीतिक कार्यकर्ताओं कि रिहाई का रास्ता साफ हुआ है.
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