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कोरोना में असहाय पहाड़: यहां तो मोबाइल नेटवर्क भी नेपाल का चलता है

उत्तराखंड के एक गांव से क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट- नजदीकी अस्पताल भी 300 किलोमीटर दूर

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वीडियो एडिटर अभिषेक शर्मा

कैमरा: शिव कुमार मौर्या

ऊपरी हिमालय में बसे पिथौरागढ़ जिले में जयकोट गांव (Jaikot, Uttarakhand) के रहने वाले लोग काफी असहाय हैं. कोविड-19 (Coronavirus) की चपेट में आए उत्तराखंड के एक गांव के निवासी बुनियादी सुविधाओं के बिना रहने को मजबूर हैं. इस गांव से निकटतम CHC से कम से कम दो घंटे की दूरी पर है.

जयकोट के रहने वाले रमेश सिंह बराल खुद कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. उनका कहना है कि गांव से अस्पताल की इतनी दूरी एक गंभीर कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के लिए घातक साबित हो सकती है. वो आगे कहते हैं-

एक एंबुलेंस गांव से कुछ दूरी पर ही आ सकती है और वो दूरी है लगभग 20 किलोमीटर, उसके बाद अपना इंतजाम खुद करना होता है, अगर मरीज को ICU की जरूरत है तो सुविधा यहां से 250 किलोमीटर दूर हल्द्वानी में है, अगर किसी को ऑक्सीजन की जरूरत है तो उसे धरचूला जाना पड़ता है और वहां भी सुविधाओं का अभाव है.
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जयकोट गांव में अब तक कोरोना के तीन मामले सामने आ चुके हैं, जयकोट गांव के मुखिया के बेटे बिक्की मेहता का कहना है कि 3 जून से अब तक इस क्षेत्र में 30 लोगों ने खांसी और बुखार की शिकायत की है.

क्षेत्र में नहीं आता भारतीय मोबाइल नेटवर्क

जयकोट गांव में लोगों ने क्विंट को बताया कि, उनकी सबसे बड़ी परेशानी है कि उनके गांव में मोबाइल नेटवर्क ठीक से नहीं मिलता और जो मिलता है वो भी नेपाल का मिलता है.

आजादी के इतने साल बाद भी हमारा गांव नेपाल का नेटवर्क इस्तेमाल कर रहा है. हमें RT-PCR रिपोर्ट भी नहीं मिल पा रही है क्योंकि हमारे पास भारतीय नेटवर्क ही नहीं है और टेस्ट वाले नेपाल के नंबर को रजिस्टर नहीं कर रहे हैं.
बिक्की मेहता
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कोरोना वायरस की दूसरी लहर में जयकोट में 4 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं जिसमें से 3 टेस्ट रैपिड एंटीजन टेस्ट हैं और 3 जून को हुए RT PCR टेस्ट की रिपोर्ट इस स्टोरी के छपने तक भी नहीं आ पाई है

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