वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
कैमरा: सुमित बडोला, अभिषेक रंजन
नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी मानते हैं कि देश में डिमांड की कमी है. कंजप्शन 2014-15 में जिस स्तर पर था उससे अब काफी नीचे चला गया है. उन्होंने कहा कि मेरी याद में पिछले 30 साल के दौरान ऐसा कभी नहीं हुआ. बनर्जी ने कहा है कि कांग्रेस की 'न्याय' स्कीम में उनकी सीमित भूमिका थी. ‘क्विंट हिंदी ’ के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बनर्जी ने कहा कि सरकार को डिमांड बढ़ाने के लिए गरीबों तक ज्यादा पैसा पहुंचाना चाहिए.
कंजप्शन में भारी कमी
देश में स्लोडाउन और मंदी के सवाल पर बनर्जी ने कहा कि कई तथ्य इसकी ओर इशारा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेशनल सैंपल सर्वे में हर साल प्रति व्यक्ति खपत का कैलकुलेशन होता है. 2014-15 में यह जिस स्तर पर था उससे अब काफी नीचे चला गया है. उन्होंने कहा कि मेरी याद में पिछले 30 साल के दौरान ऐसा कभी नहीं हुआ.
बनर्जी ने कहा कि सरकार के अंदर मंदी को लेकर चर्चा है. इसे लेकर बात हो रही है. जब उनसे पूछा गया कि इस मुश्किल दौर में अगर मोदी सरकार उनकी राय मांगेगी तो उनकी सलाह क्या होगी. इस पर उन्होंने कहा-
डिमांड बढ़ाने के लिए गरीब के हाथ में पैसा देना होगा. पीएम किसान योजना के तहत लोगों को 6000 रुपये दिए जा रहे हैं. इस रकम को बढ़ा कर 12 हजार रुपये किया जा सकता है.अभिजीत बनर्जी, नोबेल प्राइज विनर
‘न्याय स्कीम में मेरी सीमित भूमिका’
बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस की न्याय स्कीम में उनकी सीमित भूमिका थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने न्याय स्कीम की योजना बनाते समय कई आर्थिक आंकड़ों की मांग की थी. जैसे- देश में सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों की अधिकतम आय कितनी है? औसत आय कितनी होगी? उन्होंने ये आंकड़े दिए. हालांकि न्याय की अंतिम तैयारी में उनसे कोई राय नहीं ली गई.
न्याय स्कीम की खामी
बनर्जी से पूछा गया कि क्या डिमांड बढ़ाने के लिए न्याय जैसी स्कीम कारगर होगी? इस पर उन्होंने कहा कि न्याय स्कीम के साथ एक बड़ी समस्या ये है कि इसके तहत सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों में से सभी को बराबर रकम देने की बात है. लेकिन इससे 20 फीसदी में सबसे ऊपरी आय वर्ग के लोगों को ज्यादा फायदा होगा और वे इससे बहुत ऊपर पहुंच जाएंगे. इससे नीचे वालों में नाराजगी बढ़ेगी. लिहाजा इस पिरामिड में सबसे नीचे वालों को ज्यादा मदद मिलनी चाहिए.
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