दोहा में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 800 मीटर दौड़ का गोल्ड मेडल जीतकर गोमती मारिमुथु ने इतिहास रच दिया. गोमती ने लगभग आखिरी 300 मीटर में अपनी रफ्तार को जिस तरह से बदला और फिर सभी एथलीट्स को पीछे छोड़ते हुए गोल्ड जीता वो अपने आप में हैरानी भरा था. बहरीन की टॉप एथलीट्स को पीछे छोड़कर गोमती ने ये रेस जीत ली.
पहले ही बनाई थी रणनीति
अपनी रेस के बारे में गोमती ने द क्विंट को बताया कि उन्होंने रेस को लेकर पहले ही रणनीति बनाई थी कि वो आखिरी में बाहर वाली लेन में दौड़ेंगी. यही उन्होंने किया और वो गोल्ड ले आईं.
“हमारा इवेंट काफी मुश्किल है. मैं आखिरी300 मीटर में आउटर लेन में आई. अगर मैने ऐसा नहीं किया होता तो मैं मेडल नहीं जीतपाती. मैंने ये पहले ही सोच लिया था. आखिरी 100 मीटर में मुझे एहसास हुआ कि मैं येकर सकती हूं. मैं इतना दौड़ सकती हूं. आखिरी 50 मीटर में मैंने अचानक ज्यादारफ्तार हासिल की और रेस पूरी की”गोमती मारिमुथु
गोमती ने बताया कि लोग उनसे सवाल करने लगे थे कि वो शादी क्यों नहीं करती?
लोग मुझसे बोल रहे थे कि तुम्हारी उम्र बढ रही है. तुम शादी क्यों नहीं करती? मैंने कहा कि मेरा सिर्फ एक लक्ष्य है और मैं उसे हासिल करना चाहती हूं.गोमती मारिमुथु
परिवार का संघर्ष और पिता की कमी
तमिलनाडु के त्रिची के एक गांव में एक गरीब परिवार की गोमती 3 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं. गोमती की मां बताती हैं कि उनकी शिक्षा के लिए पिता को बहुत संघर्ष करना पड़ा. बहनों ने पढाई छोड़ दी थी.
मेरे पति ने बहुत मुश्किलों से बच्चों कोपढाने की कोसिश की. लेकिन पिता की परेशानी को देखते हुए उन्होंने अपनी पढाई हीछोड़ दी और मजदूरी करने का फैसला किया. लेकिन गोमती ने कहा कि वो पढाई करेगी.गोमती छठवीं क्लास से ही कई मेडल्स और ट्रॉफी जीत रही है.रसती, गोमती की मां
गोमती के पिता का बीमारी से निधन हो गया था. उनको याद करते हुए गोमती कहती हैं-
मेरी मां को सिर्फ यही बात परेशान करती हैकि मेरे पिता ये सब देखने के लिए हमारे साथ नहीं हैं. मां बहुत खुश हैं. मैं अपने पिता को बहुत याद करती हूं. अगर वोजिंदा होते, तो वो मेरे पहुंचने से पहले ही यहां खड़े होते.गोमती मारिमुथु
गोमती की मां ने बताया कि ट्रेनिंग पर ध्यान देने के कारण गोमती अपनी बहन की शादी में भी नहीं आई. उन्होंने बताया कि गोमती बिना बताए ट्रेनिंग के लिए चली जाती थी और कई बार घर भी नहीं आती थी.
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