वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
उत्तराखंड की 24 साल की एमबीए ग्रेजुएट अलीशा थाॅमस ने राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे कौशल केंद्र (स्किल ट्रेनिंग सेंटर) में दाखिला लिया तो उन्हें पता नहीं था कि इसमें कैसी पढ़ाई कराई जाएगी. बाद में उन्हें पता चला कि जिसे उन्होंने फैशन डिजाइनिंग कोर्स समझ कर दाखिला लिया था, वो असल में 4 महीने का टेलरिंग कोर्स था.
मुझे लगा था कि ये कोर्स फैशन डिजाइनिंग का होगा, लेकिन पता चला कि ये फैशन डिजाइनिंग नहीं, टेलरिंग कोर्स है. मैंने एमबीए किया है, तो टेलरिंग कोर्स का मैं क्या कर पाऊंगी. मैंने वो कोर्स बीच में ही छोड़ दिया. कुछ दिन तक सेंटर से फोन आया. इस कोर्स को करने के पीछे मेरी सोच ये थी कि ये एक सरकारी कोर्स है, कोई फीस नहीं थी और सरकारी डिग्री दी जा रही थी. साथ ही कहा गया था कि प्लेसमेंट भी दिलाई जाएगी.अलीशा थाॅमस
उत्तराखंड में 7,765 स्टूडेंट्स ने PMKVY के तहत दाखिला लिया था. इनमें से सिर्फ 372 को जाॅब मिला. स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का कमाल सिर्फ 5% प्लेसमेंट रेट!
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के बारे में पीएम ने कहा था- ये स्किल डेवलपमेंट सिर्फ पेट भरने के लिए या जेब भरने का कार्यक्रम नहीं है, ये हमारे गरीब परिवारों में एक नया आत्मविश्वास भरने और देश में एक नई ऊर्जा लाने का प्रयास है.
अलीशा के मुताबिक, उसने कोर्स बीच में ही छोड़ दिया, क्योंकि वहां रेगुलर क्लास नहीं होती थी, ट्रेनिंग की सुविधा नहीं थी और न ही एक्सपर्ट थे. एग्जाम सिर्फ नाम के लिए था, क्योंकि बिना क्लास कराए फर्जी हाजिरी लगाकर एग्जाम देने के लिए स्टूडेंट्स को बुला लिया जाता है. देखिए पूरी रिपोर्ट वीडियो में.
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