वीडियो एडिटर: संदीप सुमन/वरुण शर्मा
“उस जगह (सूचना आधिकारी) पर जो लोग हैं, वो सरकार के लिए जवाबदेह नहीं हैं लेकिन अगर मेरी सैलरी आप दे रहे हैं तो आप ना भी चाहें तो मैं आपके अधीन ही हूं, तो मैं ये जरूर मानूंगा कि पैसा तो यहीं से आ रहा है.”
भारत के पहले मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने आरटीआई संशोधन पर बात करते हुए द क्विंट को बताया कि सूचना का अधिकार कानून में संशोधन कानून को कमजोर बना देगा.
सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने सोमवार, 22 जुलाई को आरटीआई बिल में संशोधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
आरटीआई संशोधन बिल में कहा गया है कि राज्य और केंद्रीय सूचना आयुक्तों का कार्यकाल और वेतन सरकार तय करेगी. ये लोग ही हमारे आरटीआई सवालों का जवाब देते हैं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये एक खतरनाक कदम है, क्योंकि ये आयुक्तों की आजादी को छीन लेगा. लोगों के बजाय उन्हें सरकार के प्रति जवाबदेह बनाएगा.
आरटीआई एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज का कहना है कि “वो इस संशोधन से सूचना आयुक्त की ऑटोनॉमी पर हमला करना चाहते हैं ताकि उन्हें पिंजरे का तोता बना दिया जाए. ये कहकर कि हम आपका कार्यकाल और तनख्वाह निश्चित करेंगे.”
इस अधिनियम को लोकसभा में पारित कर दिया गया है. इस संशोधन का विरोध कर रहे लोग सरकार से गुजारिश कर रहे हैं कि "आरटीआई अधिनियम को कम से कम जांच के लिए एक चयन समिति को भेजा जाए." ये विधेयक अभी राज्यसभा में पास होना है, ऐसे में इन्हें विपक्ष से उम्मीद हैं कि वो इस संशोधन बिल को पास नहीं होने देंगे.
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