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‘साहो’ रिव्यू ईमानदारी से: क्या सिर्फ एक्शन से बॉक्स ऑफिस चलता है?

पूरी फिल्म जानने के लिए देखें ऑनेस्ट रिव्यू

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बाहुबली के पहले और दूसरे पार्ट ने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की. इससे इंस्पायर होकर राइटर, डायरेक्टर सुजीत के दिमाग की बत्ती जली और सोचा कि अब एक फिल्म में रोमांस का तड़का लगाया जाए और फिर बना डाली 'साहो'.

इस फिल्म में किरदारों की बात करें तो, करियर और प्यार के बीच कंफ्यूज श्रद्धा कपूर बात-बात पर बंदूक उठाए नजर आती हैं. बॉलीवुड के फेवरेट पिता ए के ए रॉय द डॉन जैकी श्रॉफ और ऑनेस्ट पुलिस और फिर नील नितिन मुकेश जिनका किरदार फिल्म में उनके नाम से भी छोटा है. अब बात करते हैं उस इंसान की जिसकी एंट्री से लेकर एक्शन तक होता है सब कुछ स्लो मोशन हैं 'साहो' द हीरो प्रभास...

कहानी शुरू होती है वाजी में जहां रॉय द डॉन गिरोह चला रहा होता है. और मुंबई में एक चोरी होती है जिसका पुलिस के पास कोई सुराग नहीं होता.

ऐसे में होती है प्रभास की एंट्री. साहो पुलिस के साथ चोर को पकड़ने का प्रोग्राम बनाता है, लेकिन यहां मामला ही कुछ और है. और चोर ही पुलिस निकलता है और पुलिस चोर.

डॉन को उसी के गिरोह वाले मार देते हैं. इसी बीच होती है डॉन के बेटे की एंट्री. ढाई घंटे लंबी इस फिल्म में एक्शन और प्रभास की एक्टिंग जितनी जबरदस्त है, फिल्म की स्क्रिप्ट उतनी ही बोरिंग.

प्रभास और श्रद्धा का लव एंगल जबरदस्ती फिल्म में घुसाया गया है. पूरी फिल्म जानने के लिए देखें ऑनेस्ट रिव्यू

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