ADVERTISEMENTREMOVE AD

साईं बाबा हिंदू या मुसलमान? ‘मूर्ख’ ही ये सवाल कर सकते हैं

ये जो इंडिया है ना… यहां पर शिरडी के साईं बाबा को लाखों लोग पूजते हैं

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह/शोहिनी बोस

वीडियो एडिटर: पुर्णेन्दू प्रीतम

कैमरामैन: शिव कुमार मौर्या

ये जो इंडिया है ना… यहां पर शिरडी के साईं बाबा को लाखों.. लाखों लोग पूजते हैं. लेकिन क्या साईं बाबा एक हिंदू साधु थे, या मुस्लिम फकीर? कुछ लोगों के लिए.. यही हमारे इस देश का अद्भूत सार है.. लेकिन कुछ के लिए ये नफरत का कारण है. साउथ दिल्ली के एक बिजनेसमैन पदम पंवार के लिए और गाजियाबाद के एक मंदिर के प्रमुख पुजारी नरसिंहानंद के लिए साईं बाबा एक मुस्लिम थे, एक जिहादी, एक पाखंडी साधु थे. एक वीडियो में दिखाया गया है कि दिल्ली के एक शिव मंदिर में पदम पंवार ने साईं बाबा की मूर्ति को तुड़वाया, खुद भी उसपर हथौड़ी चलाई. साईं बाबा को मुस्लिम कहा, जिनकी मूर्ति को हिंदू मंदिर में रहने का कोई अधिकार नहीं है. एक और वीडियो में पदम पंवार नरसिंहानंद के साथ है. जो साईं की मूर्ति तोड़ने के लिए पंवार को बधाई दे रहे हैं. साथ में वो उन हिंदुओं को 'मूर्ख' कहते हैं, जो साईं बाबा की पूजा करते हैं.

मूर्ख? तो फिर, नरसिंहानंद हमारे प्रधानमंत्री से क्या कहेंगे? अक्टूबर 2018 में हिंदुओं के पवित्र दिन, दशहरा के पावन अवसर पर, पीएम मोदी शिरडी में थे, साईं बाबा की मृत्यु का शताब्दी वर्ष मनाने के लिए. उन्होंने तब जो कहा-

‘’साईंबाबा के दर्शन के बाद मुझे बहुत शांति मिली, उनकी आस्था का संदेश पूरी मानवता को प्रेरित करता है..आज, साईं बाबा का मंत्र ‘सबका मालिक एक’ दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है’’  

ये जो इंडिया है ना.. यहां असली मूर्खता क्या है जानते हैं? आज सत्ता में बैठे लोग नरसिंहानंद जैसे लोगों को बर्दाश्त करते हैं, बढ़ावा भी देते हैं, ऐसे लोग जो एक के बाद एक नफरती भाषण देते रहते हैं. और चाहे वो यूपी सरकार हो या केंद्र सरकार या पुलिस.. कोई भी इन पर कार्रवाई नहीं करता.

लेकिन वापस साईं बाबा पर आते हैं औऱ समझते हैं कि नरसिंहानंद को उनसे इतनी नफरत क्यों है. ये फकीर जिनको लाखों लोग दोनों हिंदू और मुसलमान पूजते हैं, नरसिंहानंद जैसे कट्टरपंथियों को उनसे इतनी तकलीफ क्यों है? इसके लिए साईं बाबा के जीवन को देखना होगा.

तो पता चलता है कि साईं बाबा ने अपने एक करीबी भक्त महालसपति  को बताया था कि वो महाराष्ट्र के परभनी तालुका के पथरी गांव के एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे. जिसके मुताबिक उन्हें हिंदू होना चाहिए.

लेकिन फिर उन्होंने महालसपति को ये भी बताया कि जब वो सिर्फ 5 साल के थे तो उनके माता-पिता ने उन्हें एक मुस्लिम फकीर को सौंप दिया था. तो इस वजह से सायद वो मुस्लिम हुए.

लेकिन फिर 4-5 सालों बाद उस फकीर की मौत हो गई, जिसके बाद युवा साईं की परवरिश गोपाल राव देशमुख नामक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने की. देशमुख जी तिरुपति वेंकटेश के बड़े भक्त भी थे. जिसका युवा साईं पर काफी प्रभाव पड़ा. ये जानते हुए, साईं बाबा को हिंदू मानना चाहिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
लेकिन फिर जब एक संन्यासी के रूप में साईं बाबा शिरडी आए तो उन्होंने एक ‘कफनी’ और कपड़े की टोपी पहनना शुरू किया. जो अक्सर मुस्लिम फकीर पहना करते हैं. इसके अलावा वो एक पुरानी टूटी हुई मस्जिद में रहने लगे. इन बातों से तो वो थोड़े मुसलमान लगते हैं.

लेकिन फिर साईं बाबा ने उस मस्जिद को जो नाम दिया, वो है द्वारकामाई. एक बिल्कुल ही हिंदू नाम.

तो, अब आप बताइये-हिंदू या मुसलमान? साईं बाबा को कैसे परिभाषित किया जाए? नरसिंहानंद जैसे नफरत फैलाने वालों के लिए साईं बाबा दोनों नहीं हो सकते. उनका जीवन, उनकी शिक्षा, अनेक धर्मों से उन्हें पूजने वाले, इंडिया की समग्र संस्कृति का प्रतीक हैं.. जो नरसिंहानंद की सोच के बिल्कुल विपरित है. नरसिंहानंद के इंडिया में विविधता की कोई जगह नहीं है. उनकी सोच उन्हें एक ऐसे संत को स्वीकारने ही नहीं देती, जिनके हिंदू और मुसलमान दोनों ही भक्त हो. एक ऐसा संत जो मुस्लिम फकीर की तरह दिखता हो लेकिन जिसके पूरे देश, पूरी दुनिया में सैकड़ों 'साईं बाबा मंदिर' बने हुए हो.

तो क्या हमें नरसिंहानंद को लेकर परेशान होना चाहिए, जो साईं बाबा को बिना तर्क के चांद खान नाम का जिहादी बताते हैं? दुर्भाग्य से ये जो इंडिया है ना.. यहां नरसिंहानंद जैसे लोगों की आवाज बुलंद होती जा रही है. और जब मौजूदा सरकार इस तरह के नफरत फैलाने वाले लोगों को नजरअंदाज करती जा रही है, तो फिर हमें उनपर फोकस करना पड़ेगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×