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CJI रंजन गोगोई को क्लीन चिट मिलना ‘नाइंसाफी’: करुणा नंदी

CJI रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण केस की कार्यवाही पर बात कर रही हैं करुणा नंदी

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इंक्वायरी पैनल बनने के बाद क्या आपको पॉजिटिव रिजल्ट की उम्मीद थी?

इंक्वायरी पैनल में आरोपी जज नहीं हो सकते, आरोप लगाने वाले कि गैर हाजिरी में आप कुछ भी भला बुरा नहीं कह सकते और जो पैनल बन रहा है उसे आरोपी जज बना रहे हैं तो उसे भी गलत ही समझा जाएगा. जो पैनल आखिरी में बना था उसके बनने से पहले कई गलतियां हुई.

इंक्वायरी पैनल को कार्यवाही के दौरान किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

जो पैनल बनकर तैयार हुआ उसमें भी कई दिक्कतें थीं. पहली दिक्कत ये थी कि उसमें कोई भी बाहरी सदस्य नहीं था. प्रिवेंशन ऑफ सेक्शुअल हैरेसमेंट एक्ट के तहत हमेशा पैनल में एक बाहरी सदस्य होता है. बाहरी सदस्य इसलिए होता है क्योंकि ऑफिस के ही सदस्यों के बीच सांठगांठ होती है वो सब एक दूसरे को जानते हैं. भाईचारे की आशंका होती है तो पैनल को बैलेंस करने के लिए बाहरी सदस्य भी रखा जाता है.

क्या पीड़िता चीफ जस्टिस को मिले क्लीन चिट को चैलेंज कर सकती है?

जो जज हैं वो सभी चीफ जस्टिस के जूनियर हैं अगर ऐसे में वो अगर कोई फैसला देते हैं तो कल को वो अपने सीनियर के पास कैसे जाएंगे और काम कर सकेंगे.

पीड़िता इंक्वायरी पैनल को किस आधार पर चैलेंज कर सकती है?

पीड़िता को केस के दौरान वकील मुहैया नहीं कराया गया जो कि होना चाहिए था. साथ ही जिन्होंने CJI पर आरोप लगाए उनको ये उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट का कोई स्टाफ या वकील आकर उनकी मदद करे.

क्या है मामला?

19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में काम करने वाली 35 वर्षीय महिला ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला ने आरोपों में कहा कि चीफ जस्टिस ने पहले उसका सेक्सुअल हैरेसमेंट किया. फिर उसे नौकरी से बर्खास्त करवा दिया. 22 जजों को भेजे गए शपथपत्र में महिला ने कहा है कि रंजन गोगोई ने पिछले साल 10 और 11 अक्टूबर को अपने घर पर उसके साथ यौन उत्पीड़न किया था.

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