वीडियो प्रोड्यूसर: अनुभव मिश्रा
वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
“हमने सब कुछ खो दिया है. हम भारत के किसी भी हिस्से में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं. मुझे तो लगता है, हम कश्मीर में भी सुरक्षित नहीं हैं.”
देश में आजादी के 70 साल बाद आर्टिकल 370 को खत्म करने पर जश्न मनता दिखा, लेकिन कश्मीर में चुप्पी है. देश शायद ही कश्मीरियों को सुन पा रहा है कि आखिर वे इस फैसले के बारे में कैसा महसूस करते हैं. द क्विंट ने जम्मू-कश्मीर से बाहर रह कर पढ़ाई कर रहे कश्मीरी छात्रों से बातचीत कर जाना कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं? वो इस बारे में क्या सोचते हैं?
कश्मीरी छात्र कहते हैं कि वो कश्मीर में अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर डरे हुए हैं. कई बुरी खबरें और अफवाहें मिल रही हैं. घर पर क्या हालात हैं, पता नहीं.
छात्रों का कहना है कि - ‘’कुछ खास परिस्थितियों के तहत जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ विलय हुआ था. हमारा भारत के साथ विलय हुआ था, न कि पूर्ण विलय. हमने धर्म के आधार पर बने देश के साथ जाने के बजाए, एक धर्मनिरपेक्ष देश के साथ रहना पसंद किया. अगर आर्टिकल 370 हटाना सही है, तो ये हमें 1953 के पहले की स्थिति में ले जाता है. जिसमें कश्मीर स्वतंत्र था.’’
सोशल मीडिया पर भी लोगों ने बयां की परेशानी
सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने लिखा कि वो पांचवें दिन भी अपने परिवार से बात नहीं कर पा रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में अभी भी धारा 144 लागू है. वहीं इंटरनेट और फोन कनेक्टिविटी अभी तक शुरू नहीं की गई है.
केंद्र शासित प्रदेश बना जम्मू और कश्मीर
बता दें कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में दशकों पुराना आर्टिकल 370 हटा लिया है. इसके बाद अब बाकी देश पर लागू कानून भी जम्मू-कश्मीर पर लागू होंगे. इसके साथ ही केंद्र ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया है. जम्मू-कश्मीर अब अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा, और लद्दाख अलग. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी लेकिन जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी.
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