कोरोना वायरस संकट के बाद लंबे वक्त के लिए लॉकडाउन लगा और जिसकी वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांव कस्बों को निकल गए. लेकिन वो अब वापस नहीं नहीं आ रहे हैं. जिसके चलते उद्योग धंधे शुरू नहीं हो पा रहे हैं. सरकार ने अनलॉक का ऐलान तो कर दिया है लेकिन फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि जब तक मजदूर ही वापस नहीं आएंगे तो काम-धंधा शुरू कैसे होगा.
नोएडा की एक सोलर पैनल फैक्ट्री के मालिक अभिनव महाजन ने बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद ऑर्डर हमारे लिए दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने का जरिया थे. लेकिन वो ऑर्डर लेने से मना कर रहे हैं क्योंकि उनके पास प्रोडक्ट बनाने के लिए पर्याप्त लोग नहीं हैं.
यहां 4.5 करोड़ का कच्चा माल पड़ा हुआ है. काम करने के लिए कोई मजदूर नहीं है. इसी वजह से मैं अपने क्लाइंट्स को प्रोडक्ट नहीं दे पा रहा हूं और मेरे पास ऑर्डर हैं. क्लाइंट्स अब मेरे प्रतिद्वंदियों के पास जा रहे हैं. लॉकडाउन के बाद ऑर्डर हमारे लिए दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने का जरिया थे. लेकिन अब हम ऑर्डर लेने से मना कर रहे हैं क्योंकि हमारे पास प्रोडक्ट बनाने के लिए पर्याप्त लोग नहीं हैं.अभिनव महाजन, सोलर पैनल फैक्ट्री के मालिक
गारमेंट फैक्ट्री की मालिक कुमकुम ने बताती हैं कि ‘जब हमने फैक्ट्री शुरू की तो हमारे पास अच्छे ऑर्डर थे लेकिन हम पूरी क्षमता के साथ प्रोडक्शन नहीं कर सके. दिक्कत ये है कि मजदूर वापस नहीं आना चाहते हैं. हमारे पास अभी 10-15% वर्कफोर्स है.’
कुछ फैक्ट्रियों को स्किल्ड मजदूरों की जरूरत है. वो नए लोगों को काम पर रख नहीं सकतीं हैं.
‘सरकार है जिम्मेदार’
फैक्ट्री के मालिक इस परेशानी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. सोलर पैनल फैक्ट्री के मालिकअभिनव महाजन कहते हैं कि ‘सरकार ने फैक्टरियां दोबारा शुरू करने की इजाजत दी थी. इसी के साथ उन्होंने मजदूरों को उनके घर वापस ले जाने के लिए ट्रेनें भी शुरू कर दीं. अब हम इसका नतीजा देख रहे हैं. सरकार चाहती है कि फैक्ट्रियों के चलने से इकनॉमी बूस्ट हो लेकिन हमें यहां दिक्कत हो रही है.’
फैक्ट्री मालिक मजदूरों को वापस बुलाने की कोशिशें कर रहे हैं लेकिन अनिश्चितता की वजह से मजदूर वापस आना नहीं चाहते. कई मजदूरों को वापस आने पर क्वॉरंटीन होने का डर है.
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