(UP में कई ऐसे मामले हैं, जब पुलिस को बुरी तरह क्षत-विक्षत लाश मिली. लाश किसकी थी, किसने हत्या को अंजाम दिया, कुछ पता नहीं चल सका. क्विंट हिंदी ऐसे ही मामलों पर तीन पार्ट की 'अज्ञात' सीरीज लेकर आया है. इस तरह की इन्वेस्टिगेशन आपकी मदद से ही संभव है. क्विंट हिंदी के मेंबर बनकर हमें सपोर्ट करें. मेंबर बनने के लिए यहां क्लिक करें.)
दिन था 1 मई 2018. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद कस्बे के रहने वाले फरीद जब सुबह के 10 बजे अपने खेत पर पहुंचे तो वहां एक महिला की लाश देखकर सन्न रह गए. अगल-बगल खेतों में काम कर रहे हैं लोग भी घटनास्थल पर इकट्ठा हो गए. एक महिला की सिर कटी लाश खेत के किनारे नीम के पेड़ के पास पड़ी हुई थी. उसकी पहचान को पूरी तरीके से मिटाने के लिए उसके शरीर पर तेजाब भी डाला गया था.
पास में एक बीयर की बोतल भी पड़ी थी और ऐसा लग रहा था कि उसी बोतल में रखकर तेजाब लाया गया था. इतना तो तय था उस महिला की हत्या कहीं और की गई थी और उसकी लाश को खेत में ठिकाने लगा दिया गया. लाश के ऊपर तेजाब डाल दिया गया था ताकि महिला के शव से कोई भी ऐसा सुराग ना मिल जाए जिससे उसकी पहचान हो जाए.
लाश मिलने के बाद गांव वालों ने तुरंत पास के ही सिकंदराबाद कोतवाली को खबर दी जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू हुई.
मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को तुरंत कब्जे में लेकर पंचनामा के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और खेत के मालिक फरीद की तहरीर पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) और 201 (साक्ष्य मिटाना) के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए जांच शुरू की.
इस सनसनीखेज हत्या की वारदात की सबसे अहम कड़ी थी उस महिला की पहचान करना जिसकी सिर कटी लाश बरामद हुई थी. जिले की फॉरेंसिक टीम भी मौके पर बुलाई गई और घटनास्थल से कई अहम साक्ष्य इकट्ठा हुए लेकिन जांच के शुरुआती दिनों में पुलिस की लगातार खोजबीन और पड़ताल के बावजूद भी महिला की पहचान नहीं हो पाई.
बुलंदशहर के एक स्थानीय पत्रकार मनोज उपाध्याय से बातचीत के दौरान पता चला कि उस सनसनीखेज हत्या के मामले में एक और अहम खुलासा तब हुआ था जब उस महिला के शव के मेडिकल परीक्षण के दौरान पता चला कि वह गर्भवती थी.
साल भर के भीतर जांच बंद
घटना के 4 साल बाद जब क्विंट हिंदी की टीम बुलंदशहर पहुंची और इस केस में जांच की स्थिति को जानना चाहा तो पता चला कि महिला की हत्या में दर्ज मुकदमे में जांच पुलिस की तरफ से स्थाई रूप से बंद हो चुकी है. सिकंदराबाद कोतवाली की पुलिस ने 15 अप्रैल 2019 को फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में प्रेषित कर दी है. सीधे शब्दों में अगर समझा जाए तो पुलिस ने इस ब्लाइंड केस में 1 साल के अंदर ही बिना किसी सफलता के जांच खत्म कर दी.
ऐसे ब्लाइंड हत्या के मामलों में में पुलिस की कार्यशैली के बारे में बात करते हुए सुधीर कुमार, सेवानिवृत्त उप पुलिस अधीक्षक, उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया
" अगर हमने (पुलिस) ऐसे मामलों को गंभीरता और प्रोफेशनल तरीके से हत्या की गुत्थी को सुलझाने की कोशिश की है तो 99% इन मामलों में सफलता मिलती है. होता क्या है कि उस केस को एक-दो दिन देखा और फिर वह ठंडे बस्ते में चला जाता है और कागजी कार्रवाई तक ही सीमित रहता है. लगातार प्रयास नहीं होती इसलिए हमें सफलता नहीं मिलती है."
दूसरी घटना- महिला का सिर और हाथ गायब
सिकंदराबाद वाली घटना के 1 साल बाद ऐसी ही दूसरी बड़ी घटना जिले के कोतवाली देहात क्षेत्र में हुई. 10 मई 2019 को यहां के उतरावली गांव के एक गन्ने के खेत से एक महिला की सिर कटी लाश बरामद हुई. उस महिला की उम्र तकरीबन 20 से 25 साल के बीच बताई जा रही थी. मृतक महिला का सिर गायब था और हत्यारे उसके हाथ की उंगलियां भी काट कर ले गए थे. अमूमन उंगलियों को काटने के पीछे उद्देश्य यही होता है कि बायोमेट्रिक की मदद से भी पीड़िता की पहचान ना हो पाए.
मौके पर पहुंची पुलिस ने तत्काल उस महिला के सिर को तलाशने के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू किया. स्थानीय लोगों और आसपास के गांव वालों से उस महिला के बारे में जानकारी जुटाई गई लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. घटना के अगले ही दिन जिले के अनूपशहर इलाके में एक महिला का सिर और हाथ बरामद हुआ.
तब पुलिस को ऐसा लगा कि यह उसी महिला का सिर और हाथ है जिसका धड़ कोतवाली देहात क्षेत्र के उटरावली गांव में बरामद हुआ था और पुलिस को उम्मीद जगी कि अब इस महिला की पहचान हो जाएगी. हालांकि बाद में पता चला कि दो अलग जगह बरामद धड़ और सिर अलग अलग महिलाओं के थे. सुलझती दिख रही गुत्थी और ज्यादा उलझ गई.
उटरावली गांव में महिला का धड़ मिलने वाली घटना को 3 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है और अभी तक पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली है जिससे उस महिला की पहचान हो पाती.
इस केस में जांच की स्थिति को जानने के लिए क्विंट हिंदी की टीम बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) श्लोक कुमार से मिली. एसएसपी कुमार ने बातचीत में बताया," इस मुकदमे में पहचान के सभी प्रयास किए गए हैं. उसमें हमारी टीम में लगी हुई हैं और जो हमें साक्ष्य मिले हैं उनको विस्तृत तरीके से परीक्षण कराया जा रहा है. मुझे पूरा विश्वास है कि इस घटना का हम सफल अनावरण कर देंगे."
लगातार बढ़ रही ऐसी घटनाओं के बीच एक बात तो साफ होती नजर आ रही है कि सिर काटकर लाश को ठिकाने लगाना अपराधियों के लिए कानून से बचने का एक तरीका बनता जा रहा है.
"अपराध को छुपाने के लिए सबसे अच्छा तरीका निकालते हैं कि उसका सिर काट देंगे और धड़ को कहीं दूर ले जाकर ठिकाने लगा देंगे. ऐसे में उस बॉडी की पहचान ही नहीं हो पाएगी. जब पहचान ही नहीं होगी तो पता चलेगा कि किसने हत्या की है और अपराधी साफ साफ बच जाएगा"सुधीर कुमार, सेवानिवृत्त उप पुलिस अधीक्षक
महिला संबंधी जघन्य अपराध के इन में मामलों में पुलिस मुकदमा तो दर्ज करती है लेकिन इन मुकदमों में एक कमी रह जाती है. पीड़िता की हत्या हो चुकी है और पुलिस उसकी पहचान भी नहीं कर पाई तो मृतक महिला के परिवार वालों का भी पता नहीं.
ऐसे मुकदमों में पीड़िता की तरफ से मुकदमे की पैरवी करने वाला कोई नहीं होता है और कुछ दिनों बाद यह मुकदमे ठंडे बस्ते में चले जाते हैं. कुछ दिनों बाद किसी को फर्क नहीं पड़ता कि यह महिलाएं कौन थी और कौन वो आरोपी है जो उनके सिर को काटकर शव ठिकाने लगाकर गायब हो गए. क्या इन महिलाओं को कभी न्याय मिल पाएगा?
अज्ञात पार्ट 1 और अज्ञात पार्ट 3 यहां पढ़ें
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