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आखिर क्यों चुनावी मैदान में नहीं उतर रहे हैं राज ठाकरे?

राज ठाकरे की पॉलिटिक्स 5 सालों में पूरे 360 डिग्री घूम चुकी है.

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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम

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महाराष्ट्र में बीजेपी, शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के अलावा एक ऐसा कैरेक्टर है जो सोशल मीडिया और टेलीविजन चैनल के लिए पसंदीदा चेहरा है. राज ठाकरे. वो खुद में ही एक पार्टी हैं और इन दिनों उनके राजनीतिक दुश्मन नंबर वन हैं पीएम नरेंद्र मोदी.

यकीन मानिए 2019 के चुनाव में राज ठाकरे उन नेताओं में एक हैं जिनको पीएम मोदी और राहुल गांधी के साथ सबसे ज्यादा फुटेज मिलेगा.

2014 में मोदी फैन रहे ठाकरे 2019 में आलोचक क्यों बन गए?

राज ठाकरे की पॉलिटिक्स 5 सालों में पूरे 360 डिग्री घूम चुकी है. ठाकरे ‘मोदी युक्त भारत’ से लेकर अब ‘मोदी मुक्त भारत’ का अभियान चला रहे हैं. राज अच्छी तरह समझते हैं कि पीएम मोदी पर वो तीखे बोल बोलेंगे तो उनको उतना ही माइलेज भी मिलेगा. सोशल मीडिया और टीवी के जरिये वो महाराष्ट्र ही नहीं देश के दूर-दराज इलाकों में भी पहुंच सकेंगे.

फ्रंटफुट पर ठाकरे

ठाकरे साफ तौर पर जानते हैं कि उनके पास खोने को कुछ नहीं है इसलिए फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं. राज की पार्टी लोकसभा चुनाव में सीधे तौर पर नहीं उतरी है लेकिन कांग्रेस और एनसीपी के मुकाबले वो ज्यादा कड़े तेवर में हैं. साफ है कि वो इसका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे. वो जानते हैं कि लोकसभा चुनाव न लड़ते हुए भी पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को निशाना बनाने से उनकी और पार्टी की विजिबिलिटी बढ़ेगी.

चुनावी मैदान में न उतरने के पीछे क्या है वजह?

2014 में शिवसेना- बीजेपी गठबंधन ने महाराष्ट्र में 48 में से 42 सीटें जीती थीं. इसलिए इस बार भी वो यही प्रदर्शन दोहराने की कोशिश में हैं. लेकिन राज ठाकरे ये अच्छी तरह समझते हैं कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र का रोल अहम रहेगा.

उत्तरप्रदेश के बाद महाराष्ट्र सबसे ज्यादा 48 लोकसभा सीटों वाला राज्य है.

ऐसे में अगर MNS चुनाव लड़ती है और वोट का बंटवारा हुआ तो फायदा शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को होगा. राज ठाकरे ने रणनीति के तहत चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. उन्हें पता है कि चुनाव लड़ने के बावजूद लोकसभा की सीट आना मुश्किल ही है. ऐसे में वोट का बंटवारा न हो और अगर वोट एनसीपी-कांग्रेस को ट्रांसफर हो जाए तो इसका नुकसान बीजेपी-शिवसेना के मजबूत गठबंधन को होगा.

क्या है MNS अध्यक्ष राज ठाकरे का प्लान?

महाराष्ट्र में राज ठाकरे की इमेज एक फायर ब्रांड नेता की है. उनके भाषण युवा वर्ग में बेहद पसंद किए जाते हैं. अपने इस हुनर का इस्तेमाल करते हुए राज ठाकरे पूरे महाराष्ट्र में घूमकर PM मोदी और बीजेपी के खिलाफ सभा करने का प्लान बना रहे हैं. राज ठाकरे अपनी सभा के लिए कांग्रेस, एनसीपी के स्टेज का इस्तेमाल नहीं करेंगे.

लेकिन प्लान के मुताबिक मुंबई, ठाणे, नाशिक और पुणे में राज ठाकरे की सभाएं होंगी. इन इलाकों में राज ठाकरे का अच्छा वोट बैंक है. बदले में पूरी गुंजाइश है कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और एनसीपी उनकी मदद करें.

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ठाकरे के एक्शन प्लान का जमीन पर क्या होगा असर?

MNS का वोटर हिंदुत्व विचारधारा वाला है. वो सेक्युलर पार्टियों के साथ कम ही नजर आई है. यही वजह है कांग्रेस ने MNS को महागठबंधन में शामिल करने से रोका. ध्यान में रखने वाली बात ये भी है कि राज ठाकरे बीजेपी के खिलाफ वोट डालने की बात जरूर कर रहे हैं. लेकिन शिवसेना को लेकर राज ठाकरे की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं- जैसे राज ठाकरे दक्षिण मध्य के जिस दादर इलाके में रहते हैं, वो ऐसी लोकसभा सीट है जहां शिवसेना बनाम कांग्रेस का सीधा मुकाबला है. ऐसा ही मुकाबला मुंबई, ठाणे, नाशिक जैसी सीटों पर दिखेंगे.

अगर शिवसेना को लेकर राज ठाकरे की भूमिका साफ नहीं होती है तो MNS का वोटर बंट सकता है. पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को राष्ट्रीय राजनीति से दूर करने के राज ठाकरे के प्लान की हवा भी निकल सकती है!

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