ADVERTISEMENTREMOVE AD

संसद में CAB: अब हम नहीं अच्छे मेजबान, अगर ‘मेहमान’ हैं मुसलमान  

ये जो इंडिया है ना ये धर्मनिरपेक्ष है!

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

ये जो इंडिया है ना...भगवान जाने अतिथि देवो भव: की भारतीय परंपरा का क्या हुआ? शायद इसे कूड़ेदान में डाल दिया है.

और 'सेक्युलरिज्म' यानी धर्मनिरपेक्षता का भी शायद यही हाल होने वाला है, अगर केंद्र सरकार की चली और नागरिकता संशोधन विधेयक पेश हुआ तो ये भी वहीं जाएगा कूड़ेदान में...

किसी को शायद कंफ्यूजन है कि ये जो इंडिया है ना... वो इजरायल या पाकिस्तान है.

इजरायल खुद को ‘यहूदी राष्ट्र’ कहता है. पाकिस्तान भी कहता है कि वो एक ‘मुस्लिम राष्ट्र’ है लेकिन अपना हिन्दुस्तान एक ‘हिंदू राष्ट्र’ नहीं है.

जिन लोगों को धर्मनिरपेक्षता शब्द से दिक्कत हो रही है उनके लिए एक तथ्य भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. ऐसा संविधान में लिखा है. उसी संविधान में जिसे फॉलो करने की कसम इस सरकार ने भी खाई है.

लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत जहां अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन या पारसी लोगों या रिफ्यूजी को 5 साल में भारतीय नागरिकता मिल पाएगी, वहीं मुसलमानों को नहीं! मुस्लिम प्रवासी, मुस्लिम रिफ्यूजी का टाइम खत्म. आपका यहां स्वागत नहीं है.

लेकिन ये गलत है. ना सिर्फ नैतिक आधार पर बल्कि संविधान के आधार पर भी!

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हम ऐसा क्यों कह रहे हैं?

संविधान के आर्टिकल 14 के कारण. आर्टिकल 14 क्या कहता है? ये कहता है-

भारत में कानून के मुताबिक सब बराबर हैं और ये नागरिकों, गैर नागरिकों और यहां तक की विदेशी शरणार्थियों पर भी लागू होता है.

लेकिन सरकार मानती है कि हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसियों को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर सताया गया है. क्योंकि ये सब मुस्लिम मेजॉरिटी वाले देश हैं. सरकार का तर्क है कि इन देशों के मुस्लिमों को नागरिकता देने की जरूरत नहीं है क्योंकि इनके अपने देश में इन पर जुल्म नहीं हुए हैं.

गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में भी कहा कि पाकिस्तान में किसी मुस्लिम पर कोई जुल्म नहीं हुआ लेकिन ये बेहद कमजोर दलील है.

क्यों? क्योंकि पाकिस्तान में ऐसा सालों से हो चुका है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
क्या आपने पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों पर जुल्म की खबरें सुनी हैं? इन पर सुन्नी बहुल पाकिस्तान में दशकों से अत्याचार हुए हैं. पाकिस्तान में शिया मुसलमानों पर भी लगातार हमले हुए हैं.

सुर्खियां साफ बताती हैं- पाकिस्तान में शिया मुसलमानों के इबादत घरों पर कई बार बम धमाके हो चुके हैं. गृहमंत्री के अफसर अगर गूगल करें तो ये हेडलाइन आसानी से उन्हें मिल जाएगी.

अफगानिस्तान में भी कुछ शिया मुस्लिम ग्रुप हैं, जैसे कि हजारा मुसलमान और इस्मैली मुसलमान. उन पर भी जुल्म हुए हैं.

लेकिन शायद इस तथ्य की किसी को परवाह नहीं क्योंकि धर्म के आधार पर मुसलमान प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से इनकार करना सिर्फ एक बहाना है!

ये शर्मनाक और खतरनाक दोनों है. सरकार की मंशा साफ दिख रही है 'मुसलमानों को बाहर रखो', 'मुसलमानों को वापस भेजो' लेकिन आपको फिर से याद दिला दूं ये जो इंडिया है ना ये सेक्यूलर है!

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक और सवाल है असम में रह रहे बांग्लादेशी हिंदुओं का. पहली बात तो ये कि असम के मूल निवासी नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए बांग्लादेशी हिंदुओं को नागरिकता देने के खिलाफ हैं. लेकिन हम जो सवाल पूछ रहे हैं वो दूसरा है. क्या बांग्लादेश से आने वाले ज्यादातर हिंदुओं पर भी जुल्म हुए हैं?

जवाब है-नहीं बांग्लादेश से आने वाले हिंदू और मुसलमान दोनों तरह के लोग गरीबी के कारण देश छोड़ना चाहते हैं. वो भारत आना चाहते हैं ताकि एक बेहतर जिंदगी जी सकें. इस मामले में धार्मिक भेदभाव और जुल्म की कहानी पकाई गई लगती है ताकि बांग्लादेश से आए मुस्लमानों को वापस भेजा जा सके ताकि उन्हें कहा जा सके कि आपका यहां स्वागत नहीं है!

दो और देश हैं जिनकी सीमाएं भारत से लगती हैं जहां मुस्लिमों पर जुल्म हो रहा है लेकिन कुछ अज्ञात वजहों से इन्हें भी नागरिकता संसोधन विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है. क्या बर्मा (म्यांमार) हमारा पड़ोसी नहीं है? चीन नहीं है?

रोहिंग्या मुसलमानों को बर्मा में सताया गया है. भारत में पहले से ही सैकड़ों रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. क्या हम उन्हें जुल्म सहने के लिए वापस भेज देंगे? और चीन के उइगर मुसलमानों का क्या? चीन में उनके साथ क्या हो रहा है. ये दुनिया जानती है. अगर उइगर मुसलमान भारत से पनाह मांगते हैं
तो क्या हम उन्हें मना कर देंगे? किस आधार पर? कहां गई अब 'रिजनेबल क्लासिफिकेशन' की दलील?

अगर हम रोहिंग्या मुसलमानों को पनाह नहीं देंगे तो हम पाकिस्तान से आए हिंदू रिफ्यूजी को नागरिकता कैसे दे सकते हैं? नहीं, बिल्कुल नहीं. क्योंकि ये इंडिया है.

और ये जो इंडिया है ना ये धर्मनिरपेक्ष है!

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×