ADVERTISEMENTREMOVE AD

राजस्थान चुनाव से पहले BJP का मास्टरस्ट्रोक, मीणा को मनाया 

इस साल के अंत में होनवाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी की नई रणनीति

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

इस साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में यह समय वहां की राजनीति में रूठों को मनाने और साथ लाने का है. और कुछ ऐसा ही वहां हो भी रहा है. शनिवार दोपहर इन बातों पर चर्चा शुरू हुई कि मीणा समुदाय के दिग्गज नेता किरोड़ी लाल मीणा बीजेपी में शामिल हो सकते हैं और 24 घंटे से भी कम समय के भीतर ही मेंबर नंबर 2003820010 के रूप में किरोड़ी लाल बीजेपी सदस्य बन गए. उनके साथ उनकी पार्टी के दो अन्य विधायक और अन्य समर्थकों ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2008 में मीणा के जाने से बीजेपी को हुआ नुकसान

एक समय में राजस्थान में बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाने वाले किरोड़ी लाल मीणा ने करीब एक दशक पहले जून 2008 में गुर्जर आरक्षण आंदोलन मुद्दे को लेकर राज्य की वसुंधरा राजे सरकार से इस्तीफा दे दिया था.

उसी साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में मीणा ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा और 20 निर्दलीय विधायकों को अपना समर्थन दिया. 200 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 96 सीटों पर जीत हासिल की, वहीं बीजेपी 78 पर और 14 पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने कब्जा जमाया.

बाद में मीणा ने कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया और उनकी पत्नी गोलमा देवी अशोक गहलोत सरकार में मंत्री बनीं.

मीणा और राजे के रिश्ते नहीं रहे हैं अच्छे

उस समय से मीणा हमेशा वसुंधरा राजे के लिए परेशानियां पैदा करते रहे. मीणा के राजनीतिक रिश्ते सीएम वसुंधरा राजे के साथ अच्छे नहीं रहे. लेकिन आज ये स्थिति बिल्कुल बदल गई है. अब राजे और मीणा एक बार फिर से एकसाथ हो गए हैं. राजे ने किरोड़ी लाल मीणा, उनकी पार्टी एनपीपी के दो अन्य विधायकों और 50 समर्थकों का बीजेपी में स्वागत किया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
पिछले कुछ समय में हुए राजस्थान के तीन उपचुनाव में 3-0 से बीजेपी की हार और स्थानीय चुनाव में 20 से घटकर 11 सीटों पर पहुंचने वाली बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए अपनी गलतियों को सुधारने में लगी हुई है. 
ADVERTISEMENTREMOVE AD

30 सीटों पर मीणा का असर

बीजेपी की इस रणनीति के तहत सबसे पहला कदम उन लोगों को साथ लाना हैं, जो किसी कारण से उनकी पार्टी से अलग हो चुके हैं. अगर जातिगत प्रभाव की बात की जाए तो मीणा समुदाय के दबदबे वाले 30 विधानसभा सीटों पर किरोड़ीलाल मीणा का असर है.

ये भी पढ़ें- राजस्थान: BJP को राहत, किरोड़ी लाल मीणा की 10 साल बाद ‘घर वापसी’

मोदी लहर के बावजूद किरोड़ीलाल मीणा की पार्टी एनपीपी 2013 विधानसभा चुनाव में 4 सीटों पर कब्जा जमाने में सफल रही, साथ ही 13 सीटों पर इसके उम्मीदवारों को 30 हजार से ज्यादा वोट मिले. ऐसे में मीणा को साथ लाकर बीजेपी चुनाव में इसका फायदा उठाने की कोशिश में है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

बेनीवाल को वापस लाने की तैयारी में बीजेपी

बीजेपी का अगला कदम पार्टी के पूर्व नेता हनुमान बेनीवाल को साथ लाने की हो सकती है. बेनीवाल राजे के लिए हमेशा परेशानियां पैदा करते रहे हैं. विधानसभा में वे राजे सरकार की नीतियों के खिलाफ काफी बढ़-चढ़कर आवाज उठाते हैं.

नागौर और बीकानेर इलाके में लोकप्रिय किसान नेता के रूप में बेनीवाल की बेहतरीन पकड़ है. ऐसे में बीजेपी इन्हें फिर से साथ लाने की कोशिश करेगी.

कुछ महीने पहले तक बेनीवाल और मीणा एक ही मंच से राजे सरकार पर हमला बोलते थे. लेकिन राज्यसभा चुनाव ने जहां मीणा की घर वापसी करा दी, वहीं बेनीवाल अब तक अपने पैर पीछे खींचने के मूड में नहीं दिख रहे. हालांकि मीणा ने कहा है कि उन्होंने बेनीवाल से राय-विचार करने के बाद बीजेपी में वापसी का फैसला किया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

घनश्याम तिवारी को मनाने से पार्टी को होगा फायदा

बीजेपी की रणनीति के तहत तीसरा कदम हो सकता है बीजेपी के दिग्गज नेता घनश्याम तिवारी को मनाना. तिवारी पार्टी में होने के बावजूद पिछले चार सालों से राजे सरकार की नीतियों का लगातार विरोध करते रहे हैं. अपने संगठन दीनदयाल वाहिनी के तहत वह राज्य भर में यात्रा कर राजे के खिलाफ समर्थन हासिल करते रहे हैं.

आरएसएस के वरिष्ठ चिंतक ने नाम नहीं जाहिर होने की शर्त पर बताया कि अगर तिवारी को पार्टी से बाहर किया जाता है, तो इससे बीजेपी का नुकसान तय है. तिवारी खुद को पीड़ित (शहीद) के रूप में पेश करेंगे और कांग्रेस को फायदा करा सकते हैं. ऐसे में जरूरत यही है कि उन्हें मना कर पार्टी में ही रखा जाए.

ये भी पढ़ें- जीत के लिए गठबंधन छोड़, BJP को 543 सीटों पर अकेले लड़ना होगा चुनाव

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और जयपुर में रहते हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×