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Ripudaman Singh: कनाडा में रिपुदमन सिंह मलिक को किसने और क्यों मारा?

Ripudaman Singh Malik 1985 में एयर इंडिया 182 कनिष्क की बमबारी, जिसमें 329 यात्री मारे गए थे के मामले में आरोपी थे

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कनाडा, ब्रिटिश कोलंबिया के सरे प्रांत में गुरुवार को स्थानीय समय सुबह साढ़े नौ बजे कनाडा (Canada) के सिख व्यवसायी रिपुदमन सिंह (Ripudaman Singh) मलिक की गोली मारकर हत्या कर दी गई. सरे में पायल बिजनेस सेंटर के पास ये वारदात घटी जहां पर रिपु दमन सिंह मलिक का ऑफिस था. वो 75 साल के थे. उनके परिवार में पत्नी, पांच बच्चे और आठ पोते-पोतियां हैं. रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस अभी भी इस बात का पुख्ता तौर पर पता नहीं लगा सकी है कि हत्या किस मकसद से की गई.

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गुरुवार को मीडिया में हत्या की जांच करने वाले अफसरों ने बयान जारी किया: "हम रिपु दमन मलिक के बैकग्राउंड से वाकिफ हैं, हालांकि हम अभी भी मकसद तय करने के लिए पड़ताल कर रहे हैं. हम पुष्टि कर सकते हैं कि हमलावरों ने निशाना पहले से तय करके लगाया ताकि किसी पब्लिक की जान खतरे में ना पड़े". वारदात की जगह से कुछ किलोमीटर दूर ही हत्यारों ने कार को आग के हवाले कर दिया. ऐसा अक्सर गैंग हत्या या फिर कॉन्ट्रैक्ट मर्डर में किया जाता है.

शुक्रवार को, हत्या के जांचकर्ताओं ने एक प्रेस वार्ता की. इसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने सीसीटीवी फुटेज हासिल कर ली है. इससे पता चलता है कि वारदात के लिए एक सफेद होंडा सीआरवी का इस्तेमाल अपराधियों ने किया. पुलिस ने कहा कि अपराधियों की गाड़ी सुबह 7 बजे के आसपास वारदात की जगह से कुछ दूर खड़ी थी और वो रिपु दमन सिंह मलिक के आने का इंतजार करते CCTV में दिख रहे थे.

हालांकि एक मीडिया ग्रुप ने भारत में पहले ही हत्या के पीछे के मकसद के बारे में बताया है. लेकिन उस पर बात आगे करेंगे. मलिक की हत्या के पीछे मकसद को लेकर पुलिस की जो दुविधा है वो रिपु दमन सिंह मलिक के बैकग्राउंड की वजह से है. क्योंकि उनके कई दुश्मन हो सकते हैं और अहम ये भी है कि दुश्मनी भी कई अलग अलग तरह की हो सकती है.

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रिपु दमन सिंह मलिक कौन थे ?

निस्संदेह, पहला संदर्भ उन पर 1985 में एयर इंडिया 182 कनिष्क की बमबारी में शामिल होने का आरोप वाला है. इसमें 329 यात्री और चालक दल के लोग मारे गए थे. इसे 9/11 से पहले, सबसे बड़ा हवाई हमला बताया जाता रहा है. हालांकि, रिपु दमन सिंह मलिक और दूसरा आरोपी अजैब सिंह बागरी को कनाडा की एक अदालत ने 2005 में बरी कर दिया था. लेकिन इंद्रजीत सिंह रेयात को हत्या का दोषी ठहराया गया था. इंद्रजीत सिंह रेयात को भी साल 2016 में रिहा किया गया.

फिर भी कनिष्क केस से पहले भी रितु दमन सिंह की अपनी एक बैक स्टोरी है जो रिपु दमन सिंह को समझने के लिए बहुत जरूरी संदर्भ है. जानकारी के मुताबिक रिपु दमन सिंह का जन्म 1947 में लाहौर में विभाजन से पहले हुआ लेकिन उनका परिवार वहां से पूर्वी पंजाब के फिरोजपुर चला गया. वो साल 1972 में कनाडा चले गए और टैक्सी चलाने लगे.

फिर इसके बाद वो वैंकूवर में पापिलॉन नाम से कपड़े की एक दुकान करने लगे. साल 1986 में उन्होंने खालसा क्रेडिट यूनियन और खालसा स्कूल शुरू किया और ब्रिटिश कोलंबिया में एक महत्वपूर्ण सिख समुदाय के नेता के रूप में स्थापित हो गए. उनके ऊपर आरोप लगा कि वो तलविंदर सिंह परमार से जुड़े थे. तलविंदर सिंह परमार बब्बर खालसा से अलग हुआ एक गुट था. उसे एयर इंडिया बॉम्बिंग का मास्टरमाइंड माना जाता है.

भारत सरकार ने ब्लैकलिस्ट में उन्हें रखा हुआ था इस वजह से वो भारत कभी आ नहीं पाए. वहीं जब भारत सरकार ने उन्हें ब्लैकलिस्ट से हटाया तो साल 2019 में वो भारत आए. एयर इंडिया बॉम्बिंग में उनके खिलाफ 15 साल तक जांच चली. साल 2000 में वो गिरफ्तार भी किए गए और 4 साल तक जेल में रहे और साल 2005 में उन्हें रिहा किया गया.

एक ऑनलाइन पंजाबी चैनल चंद्रिकला टाइम से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में रिपु दमन सिंह मलिक के भाई हरजीत सिंह मलिक ने कहा था कि वो RAW प्रमुख सामंत कुमार गोयल को धन्यवाद देते हैं जिनकी वजह से वो भारत का दौरा कर पाए. हरजीत सिंह गोयल ने कहा कि “मिस्टर गोयल ने ये दम दिखाया और उनका भारत दौरा संभव हो पाया. मैंने उनसे दिल्ली में मुलाकात भी की थी और उनसे मिलकर काफी खुश था.
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नरेंद्र मोदी की तारीफ

2022 के पंजाब चुनावों से पहले रिपु दमन सिंह मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था. इसमें सिख मांगों को पूरा करने के लिए "कदम उठाने" के लिए मोदी की प्रशंसा की गई थी.

उन्होंने लिखा, "मैं आपको लंबे समय से लंबित सिख मांगों और शिकायतों को दूर करने के लिए आपके अभूतपूर्व सकारात्मक कदमों के लिए अपनी गहरी हार्दिक कृतज्ञता जताने के लिए लिख रहा हूं, जिसमें विदेशों में रहने वाले हजारों सिखों की भारत यात्रा को प्रतिबंधित करने वाली ब्लैक लिस्ट को समाप्त करना भी शामिल है".

चिट्ठी में, उन्होंने सिख समुदाय के कुछ भीतरी तत्वों पर मोदी के खिलाफ " जानबुझकर कैंपेन " चलाने का भी आरोप लगाया. मोदी की तारीफ करने पर रिपु दमन सिंह मलिक को सिख समुदाय की तरफ से नाराजगी झेलनी पड़ी. न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक मलिक को ‘कौम दा गद्दार’ कहा गया. रिपोर्ट के मुताबिक रिपु दमन सिंह मलिक की हत्या पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी आतंकवादी भी कर सकते हैं क्योंकि वो 20 जुलाई को उनके खिलाफ एक बड़ा खुलासा करने वाले थे. कनाडा पुलिस ने कहा है कि अभी उनके पास उतना सबूत नहीं है जिससे वो हत्या के पीछे के मकसद को स्थापित कर सके.

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गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का आरोप

एक और बड़ा विवाद जिसमें रिपु दमन सिंह मलिक फंस गए थे वो था श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने का मामला. मलिक सतनाम एजुकेशन ट्रस्ट नाम का एक ट्रस्ट चलाते हैं. इस ट्रस्ट ने सिखों के सर्वोच्च निकाय, अकाल तख्त के हुकुमनामा (आदेश) का उल्लंघन करते हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां छापनी शुरू की थीं. गुरु ग्रंथ साहिब को छापने का अधिकार किसी भी संगठन को देने का अधिकार सिर्फ अकाल तख्त को ही है और उसने यह अधिकार केवल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति को दिया था.

2020 में तत्कालीन एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने मलिक के सतनाम ट्रस्ट पर सिख समुदाय को गुमराह करने और अकाल तख्त के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. यह पहली बार नहीं था जब मलिक के सतनाम ट्रस्ट पर गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करने का आरोप लगाया गया था. 2014 में एसजीपीसी की ओर से सतनाम ट्रस्ट को गुरु ग्रंथ साहिब के 400 से अधिक पवित्र सरोप (भौतिक प्रतियां) भेजा गया था और ये वैंकूवर बंदरगाह पर एक क्षतिग्रस्त बस में रखा पड़ा हुआ मिला था.

उस समय ब्रिटिश कोलंबिया में छह प्रमुख गुरुद्वारों के एक पैनल ने मलिक पर पंथिक मर्यादा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. इस विवाद के कारण एसजीपीसी को कनाडा में एक टीम भेजनी पड़ी. 2007 में, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के सतनाम ट्रस्ट को भेजे गए सरोप भी आपत्तिजनक स्थिति में पाए गए थे और तत्कालीन डीएसजीएमसी अध्यक्ष परमजीत सरना को माफी मांगनी पड़ी थी.

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एक जटिल जिंदगी और कहानी में कई गैप

इस सब में जो बात सामने आती है वो हैं रिपुदमन मलिक की एक बहुत ही कॉम्पलेक्स जिंदगी. पंजाबी मूल के कनाडा के पूर्व मंत्री उज्जल दोसांझ, जो कि रिपु दमन मलिक को करीब से जानते थे, ने वैंकूवर सन से कहा - “वो गांजा पीने वाला हिप्पी था जिसकी एक चोटी थी और फिर वो एक चरमपंथी योद्धा हो गया. इसे समझाना थोड़ा मुश्किल है कि आखिर उसके साथ क्या हुआ था "

RCMP के पूर्व डिप्टी कमिश्नर और एयर इंडिया बॉम्बिंग जांच के प्रभारी गैरी बास का नजरिया जरा अलग है. वो कहते हैं कि पब्लिक लाइफ में वो जो कुछ कहते हैं और करते हैं वो निजी लाइफ से अलग है. एयर इंडिया जांच अधिकारियों के साथ जांच पड़ताल के वीडियो देखने के बाद बास ने वैंकूवर सन को बताया ‘ मैंने वो इंटरव्यू देखा ..वो पब्लिक में जिस तरह का खुद को दिखाते हैं, निश्चित तौर पर वो उससे अलग हैं. वो घमंडी हैं. उन्होंने अपनी पगड़ी उतार दी और डेस्क पर पैर रख कर गेम खेलने लगे..वो कबूलनामा करने ही वाले थे कि अचानक से मुकर गए. वो निश्चित तौर पर उतने पवित्र आदमी नहीं हैं जितना कि वो चाहते हैं कि लोग उनके बारे में सोचें.

मलिक को समझने के लिए साल 1984-86 महत्वपूर्ण हैं. मीडिया साक्षात्कारों में, फिरोजपुर में उनके रिश्तेदारों ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार , 1984 में हरमंदिर साहिब परिसर में जिस तरह से पुलिस ने हमला किया उससे वह बहुत आहत हुए थे. हालांकि, वे कहते हैं कि ऐसा नहीं था कि वो आतंकवादी हरकत करने लगेंगे.

1985 में एयर इंडिया में बमबारी हुई थी. एयर इंडिया बमबारी के बाद का साल यानि 1986 - रिपुदमन मलिक के लिए महत्वपूर्ण था. यही वो साल था जब उन्होंने खालसा क्रेडिट फंड और खालसा स्कूल दोनों की स्थापना की थी.

1986 और 2000 में अपनी गिरफ्तारी के बीच की अवधि में, उन्होंने पंजाब का दौरा किया और पंजाब में मुख्यधारा के नेताओं के बीच भी उनके कुछ संपर्क थे.

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कई दुश्मन, कई मकसद मुमकिन

RCMP के पूर्व डिप्टी कमिश्नर और एयर इंडिया बमबारी जांच के प्रभारी गैरी बास ने वैंकूवर सन से कहा कि मलिक के कई दुश्मन हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, "मैं अभी मलिक पर चल रही जांच के बारे में नहीं जानता हूं, लेकिन मैं कह सकता हूं कि जब मैं उनके ऊपर आरोपों की जांच कर रहा था तो वो कई गतिविधियों में शामिल थे. इससे कई दूसरों के साथ उनकी दुश्मनी बढ़ गई होगी." आगे उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ बताना अभी सिर्फ कयास लगाने जैसा ही होगा कि आखिर इस हत्या के पीछे कौन हो सकता है?

उन्होंने वैंकूवर सन को बताया कि मलिक की हत्या के पीछे "कई मकसद" हो सकते हैं.

एक तरफ, News18 ने दावा किया है कि यह पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी आतंकवादियों की करतूत थी, दूसरी ओर सोशल मीडिया पर कुछ खालिस्तान समर्थक हैंडल इसे "कनाडाई सिखों को नीचा दिखाने" के लिए "फाल्स फ्लैग" करार दे रहे हैं.

मलिक के बेटे ने एक बयान में कहा कि परिवार को लगता है कि ‘ हत्या 1985 की बमबारी से जुड़ी हुई नहीं है".

इसके बाद ग्रुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोपों के साथ-साथ मलिक की निजी रंजिश भी हत्या के पीछे हो सकती हैं.

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