तारीख 26 फरवरी, दिन मंगलवार, भारतीय वायुसेना के विमान तड़के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के ठिकानों पर हमला बोल देते हैं. इसके बाद दोनों ओर से आरोपों-प्रत्यारोपों के तीर चलने शुरु हो जाते हैं. कश्मीर स्थित पुलवामा में आतंकी हमले के बाद 12 दिनों तक भारत ने पाकिस्तान को अंधेरे में रखा. इस आतंकी हमले में CRPF के 40 जवान मारे गए थे. जवाब में झुंझलाए हुए इस्लामाबाद ने जोर दिया कि वो सही जगह और सही वक्त पर बदला लेगा.
खबर है कि पाकिस्तानी वायुसेना F-16 जेट विमानों ने बुधवार, यानी 27 फरवरी को जम्मू और कश्मीर में रजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में हवाई सीमा का उल्लंघन किया और वापस लौटते समय कुछ बम भी गिराए.
बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी वायुसेना के एक जेट विमान को भारत ने पाकिस्तान की सीमा के तीन किलोमीटर भीतर मार गिराया. दूसरी ओर पाकिस्तान का दावा है कि उसने भारतीय वायुसेना के दो जेट विमानों को मार गिराया है और एक पायलट को गिरफ्तार किया है. हालांकि भारतीय वायुसेना ने इस खबर की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.
नई दिल्ली के अप्रत्याशित कदम से झुंझलाया पाकिस्तान अपनी छवि पर नुकसान की भरपाई करने को बेताब है. इस बीच कई देशों ने दोनों से शांति बनाए रखने की अपील की है.
कुल मिलाकर कहा जाए तो भारत के शीर्ष रक्षा और सुरक्षा अधिकारियों ने मौलाना मसूद अज़हर की आतंकी सेना पर सोच-समझकर और बिना पूरी तरह सेना का इस्तेमाल किये हमला किया. ये आतंकी संगठन सबसे खतरनाक आतंकी संगठन माना जाता है.
बालाकोट के बारे में हम क्या जानते हैं?
खुफिया सूत्रों की मानें, तो बालाकोट, बहावलपुर, पेशावर, सियालकोट और पाक अधिकृत क्षेत्रों में कुछ जगहों (PoK) पर आतंकी ठिकानों, लॉन्च पैड और युवाओं की भर्ती और प्रशिक्षण के कई केन्द्रों पर कड़ी नजर रखी जा रही थी.
भारत की कई एजेंसियों के पास JeM नेताओं और उसके कैडर के नाम मालूम थे, बल्कि उनकी राष्ट्रीय पहचान, सम्पर्क करने के नम्बर और उनकी वास्तविक स्थिति के बारे में भी पूरी जानकारी थी. इसके अलावा आतंकी हमलों, उग्रवाद और प्रशिक्षण सत्रों के बारे में वीडियो और ऑडियो सुबूत भी थे.
भारत के पास इस आतंकी संगठन के खिलाफ पुख्ता सुबूत हैं, जिसने भारत में कुछेक सबसे खूनी और संगीन वारदात को अंजाम दिया है. इनमें साल 2001 में संसद पर हमला और जम्मू तथा कश्मीर विधानसभा पर आतंकी हमले शामिल हैं.
भारत से रिहा होने के बाद मसूद अजहर ने बालाकोट में पहला आतंकी प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया. खुफिया सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान की सेना ने खैबर पख्तूनख्वा स्थित न्यू बालाकोट जब्बा टॉप पर प्रशिक्षण देने की खुली छूट दे रखी थी. जेहादियों की इस फैक्ट्री से भारत में पड़ने वाले जम्मू कश्मीर में आतंकी कारगुजारियों को अंजाम दिया जाता था.
साल 2018 में JeM की अजमत-ए-कुरान सम्मेलन
JeM ने साल 2018 के मध्य में अपने प्रशिक्षण शिविरों पर ‘मरकाज-ओ-मदरसा तलीम उल कुरान’ पर अजमत-ए-कुरान सम्मेलन का भी आयोजन किया था. KPK, पाकिस्तान के मानशेरा जिले में जब्बा के बालाकोट रोड केन्द्र को ‘मरकाज सैय्यद अहमद शहीद’ ने भी संबोधित किया था.
मसूद अजहर का करीबी और रिश्तेदार, मुफ्ती अब्दुल रौफ असगर (अमीर और JeM ऑपरेशंस का प्रमुख), ताल्हा सैफ (प्रचार भाग का प्रमुख) और मुफ्ती असगर कश्मीरी (कश्मीर में ऑपरेशंस का प्रमुख) ने करीब 10000 लोगों के विशाल समुदाय को सम्बोधित किया. इस दौरान अब्दुल रौफ ने सोमनाथ मंदिर, बाबरी मस्जिद और श्रीनगर विधानसभा पर हमला करने का ऐलान किया. उसने ये भी कहा कि JeM कैडर जम्मू और कश्मीर पहुंचने के लिए पहाड़, समुद्र और रेगिस्तानी रास्तों को भी पार करेंगे.
अपने भाषण में उन्होंने 2017-18 में मारे गए JeM आतंकियों का भी उल्लेख किया. इसी दौरान अब्दुल रौफ ने तल्हा राशिद का बदला लेने का ऐलान किया, जो नवम्बर 2017 में पुलवामा में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. JeM के लिए ये क्षति अफजल गुरु से भी भारी थी.
उसने ये भी ऐलान किया कि JeM ने आगामी हमलों को अंजाम देने के लिए 31 मार्च 2018 को हथियार खरीद लिये हैं. इस सत्र के दौरान जेहादी नारों के बीच और आग के रिंग के बीच से एक युवा के छलांग लगाते हुए वीडियो भी रिकॉर्ड किया गया.
JeM अपने कैडर को किस प्रकार प्रशिक्षण देता है?
ISI के सीधे नियंत्रण में रहने वाला जैश, अपने छात्रों को मिलिट्री स्तर का सख्त प्रशिक्षण देता है. छात्रों की धार्मिक पढ़ाई और शारीरिक प्रशिक्षण पर एक समान समय दिया जाता है.
40 दिनों के प्रशिक्षण सत्र में छात्रों को पिस्टल, AK-47, LMG, रॉकेट लॉन्चर, UBGL और ग्रेनेड के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जाता है. शारीरिक प्रशिक्षण के अलावा कुरान और हादिथ की शिक्षा दी जाती है. इन शिविरों की सीढ़ियां अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल के झंडों से रंगी होती हैं, ताकि छात्रों में उनके लिए नफरत पैदा हो. ये प्रशिक्षण शिविर मानसेरा से 18 मील दूर, कुन्हार नदी के तट पर स्थित है. खास बात है कि जंगलों से घिरा होने के कारण ये शिविर आम जनता से दूर है.
सफल छात्र जैश कैडर बन जाते हैं और अब्दुल रौफ उन्हें पाक अधिकृत कश्मीर स्थित लॉन्च पैड भेज देता है. इसके बाद उन्हें कश्मीर में घातक हमलों को अंजाम देने के लिए फिदाईं के रूप में घुसपैठ कराया जाता है.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक बालाकोट प्रशिक्षण शिविर में किसी भी समय 250 से अधिक कमांडर और कैडर मौजूद रहते हैं. यही कारण है कि भारत के हवाई हमलों से जैश के अधिकाधिक लोग मारे गए और उनका शिविर छिन्न-भिन्न हो गया.
इमरान खान को कई मोर्चों पर जूझना पड़ेगा
ना-ना करते हुए भी पाकिस्तानी सरकार और सेना को मानना पड़ा कि ‘भारत ने सीमा का उल्लंघन’ किया है. शुरु में उन्होंने LoC के पास स्थित बालाकोट का नाम लेकर भरमाने की कोशिश की. जैश ने भी पाकिस्तानी सेना के सुर में सुर मिलाते हुए 2 मिनट का वीडियो क्लिप जारी किया. पेशावर केन्द्र के तल्हा सैफ के इस वीडियो के जरिये ये दर्शाने की कोशिश की गई, कि कोई हमला नहीं हुआ है, और अगर हमला हुआ भी है, तो JeM को कोई नुकसान नहीं हुआ है.
फिलहाल पाकिस्तान FATF से लेकर UNSC और यहां तक कि OIC में अपने प्रति नजरिये को लेकर परेशान है. पाकिस्तान में जैश की मौजूदगी साफ हो चुकी है, कई चश्मदीद इसकी गवाही दे रहे हैं, लिहाजा इमरान खान को आर्थिक संकट, बदला लेने के लिए घरेलू दबाव और LoC में बढ़ते तनाव के अलावा कई मोर्चों पर परेशानी झेलनी पड़ेगी.
सीमा-पार से आतंकी हमलों के लिए JeM ने पिछले तीन सालों से मोर्चा संभाल रखा है. लश्कर-ए-तैय्यबा फिलहाल शांत है. पूरी दुनिया को जब अगले कदम का इंतज़ार है, वो शांत रहना ही उचित समझ रहा है.
फिर भी ये मानना बेजा होगा कि पाकिस्तानी सेना और ISI का संरक्षण पाकर JeM फिर से मजबूत नहीं होगा. पिछले दो दशकों में इन्होंने इस आतंकी संगठन पर काफी निवेश किया है. भारतीय वायुसेना के हमलों के बाद पाकिस्तान की छवि को भारी नुकसान पहुंचा है. लिहाजा भारत को खासकर कश्मीर में अंदरूनी सुरक्षा को और मजबूत बनाए रखना होगा और कश्मीर में कथित जेहाद के प्रति सतर्क रहना होगा.
(आदित्य राज कौल एक दशक से विभिन्न राष्ट्रीय मीडिया ग्रुपों के लिए संघर्ष, आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति की रिपोर्टिंग कर रहे हैं. उन्हें @AdityaRajKaul. पर ट्वीट किया जा सकता है. आलेख में दिये गए विचार उनके निजी विचार हैं और क्विंट का उससे सहमत होना जरूरी नहीं है.)
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