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डियर कंगना रनौत, याद रखिए - आप मणिकर्णिका नहीं हैं !

कंगना रनौत के नाम एक खुला खत 

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डियर कंगना रनौत,
मैं इस तथ्य से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि एक्टिंग करना आसान काम नहीं है, और आप कई बार इसमें इतने रम जाते हैं कि काम घर तक आ जाता है. ईमानदारी से कहूं तो, मैं आपके अभिनय कौशल की बहुत तारीफ करती हूं और एक एक्टर के तौर पर आपकी कामयाबी पर खुशी मनाती हूं. लेकिन मुझे आपसे यह कहना होगा कि कृपया हम सभी के लिए और साथ ही अपने लिए इस 'ड्रामा' को बंद कर दें.

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कंगना, आप भारत माता की अवतार नहीं हैं. न तो आप वाकई में मणिकर्णिका हैं. कृपया यह न भूलें कि भले ही आपने अब जो पोजीशन और पावर संभाली है, उसे हासिल करने के लिए आपने बहुत संघर्ष किया है. लेकिन आज आपका वजूद बहुत ही समृद्ध और खास है. आपके खुद के कहे मुताबिक, आप रईस हैं - बॉलीवुड में सबसे ज्यादा फीस लेने वाली ऐक्ट्रेस हैं. उन सुविधाओं और भत्तों तक आपकी पहुंच है, जो औसत भारतीय महिला सपने में भी नहीं देख सकती. जब आप एक फिल्म करती हैं, राष्ट्रवादी हो या नहीं, आपके पास पूरे क्रू का सहयोग होता है, जो पूरी शिद्दत से आपकी हर इच्छा और पसंद की चीजों को पूरा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. और हां, आप देश की इकलौती ऐसी व्यक्ति नहीं हैं जो कड़ी मेहनत करती हैं.

अगर आप अपनी वैनिटी वैन से बाहर कदम रखें (उसी वैन से, जिसमें आपने जस्टिन के साथ खाना शेयर करने का दावा किया था), और वाकई चारों ओर देखें, तो आपको अपनी फिल्म के सेट पर ही सैकड़ों लोग कड़ी मेहनत करते दिखाई देंगे. अगर उनके काम की आलोचना की जाए, तो आपकी तरह उनके पास सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर करने और दुखड़ा रोने का कोई मौका नहीं होता है. कहने का मतलब ये है कि आप ऐसी कोई अनोखी शख्स नहीं हैं, जो देश की छवि की नुमाइंदगी करती हैं.

कंगना, आप भले ही दिल से देश का भला चाहती हों, लेकिन फिल्म बनाते वक्त आप न तो कोई जंग लड़ रही थीं, न ही गरीबी मिटा रही थीं, न ही कैंसर का इलाज ढूंढ रही थीं. आप सिर्फ एक चीज कर रही थीं: अपना काम, जिसके लिए आपको पैसे दिए जाते हैं.

तो यह न सिर्फ गलत है, बल्कि बहुत निंदनीय भी है, कि अगर लोग आपकी फिल्म या आपके रवैये को नापसंद करते हैं, तो आप उन पर देश-द्रोही / राष्ट्र-विरोधी होने का आरोप लगाती हैं. क्या मुझे वाकई में आपको यह बताना पड़ेगा कि 'मणिकर्णिका' जैसी फिल्म बनाने से आप देशभक्ति या राष्ट्रवाद की मशाल जलाने वाली लीडर नहीं बन जाएंगी. ये एक कमर्शियल फिल्म थी, जिसने बॉक्स ऑफिस पर साफ तौर पर पैसा कमाया. यह फिल्म के दर्शकों पर निर्भर  करता है कि उन्हें आपका काम पसंद आया या नहीं.

हालांकि मैं आलोचकों और टिप्पणीकारों के साथ पूरी एकजुटता के साथ खड़ी हूं, फिर भी मैं फिल्म के रिलीज होने के बाद से आप के साथ हुए किसी भी तरह के बुरे बर्ताव या ट्रोलिंग की निंदा करती हूं. इसी तरह, मैं आपके द्वारा किए गए उस ट्रोलिंग की भी निंदा करती हूं, जब आपने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें आपने उन पत्रकारों को दीमक, झूठा, देशद्रोही और बिकाऊ कहा, जो आपके काम को पसंद नहीं करते.

जब आप पत्रकारों के एक समूह को "दसवीं फेल" कहती हैं, तो आप न केवल सच्चाई से अनजान लगती हैं, बल्कि बुरी तरह बधिर भी मालूम पड़ती हैं. आपके कहे “दसवीं फेल” शब्द से 'एलीटिज्म' की बू आती है. कंगना, अगर आप अपने जेहन से पांच सेकंड के लिए अपने भगवा रंग के चश्मे को हटा देते हैं, तो आप देखेंगे कि भारत अभी भी भारी असमानताओं से जूझ रहा है और हाई स्कूल को पास करने में सक्षम होना अभी भी एक बड़ी बात है.

इसके अलावा, आपने किसी पत्रकार के माता-पिता और दादा-दादी को "लोहे के चने" चबाने के लिए दिया हो, लेकिन लोगों को कचरा समझने में ऐसी कोई बात नहीं है, जिसके लिए आप गर्व महसूस कर सकें.

इसलिए प्लीज, मैं आपसे गुजारिश कर रही हूं, ऐसा दिखावा करना बंद करें कि आपका राष्ट्रवाद पूरी तरह से निस्वार्थ है और राष्ट्र के लिए आपकी भावनाएं उन पत्रकारों की तुलना में ज्यादा हैं, जो आपसे अलग राय रखते हैं. हो सकता है कि आने वाले किसी एक चुनाव में आपको भगवा टिकट मिल जाए, लेकिन यह आपको कभी बड़ा व्यक्ति नहीं बनाएगा.
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कंगना, आपका भगवा, असुरक्षित और देश-प्रेम का बेहद घुटन वाला विचार, आपके स्वार्थों को भी पूरा करता है. जब आप राष्ट्रवाद पर बोलती हैं, तो आपको पब्लिसिटी मिलती है, आपकी फिल्म अच्छा बिजनेस करती है. आपके फैन्स आपको उसी रोशनी में देखते हैं, जैसे वे आपके नायक (पीएम मोदी) को देखते हैं. और आप किसी भी तरह से उन विषयों पर राजनीतिक बहसबाजी में शामिल हो जाती हैं, जो आप से संबंधित नहीं है और आप केवल सतही रूप से उन्हें जानती हैं, जैसे कि कश्मीर में धारा 370.

मैंने देखा कि आपने अपने वीडियो में किस तरह से इस बात पर गुस्सा निकाला ( सॉरी कहने के लिए बने वीडियो की शुरुआत में आपने बताया कि आपको खेद नहीं है), कि ‘देश द्रोही’ टिप्पणियों के लिए संविधान में दंड का प्रावधान नहीं है.

मैं शर्त लगा सकती हूं आपको पुराने पड़ चुके देशद्रोह कानून को पढ़ने में मजा आएगा (जिसे उन लोगों ने बनाया था जिनसे मणिकर्णिका ने जंग लड़ी थी) जिसमें छात्रों, शिक्षाविदों, लेखकों और विचारकों को सरकार के खिलाफ मुंह खोलने पर जेल भेजने का प्रावधान है. इस कानून का उतनी ही बार दुरुपयोग हुआ है जितनी बार देश द्रोही शब्द का. ये सब अच्छा लग रहा है क्या? कहा था था आपको मजा आएगा?

कंगना, जस्टिन के साथ आपकी अनबन अनावश्यक और दुर्भाग्यपूर्ण थी. एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट गिल्ड के बैन के बाद आप शेखी, धमकियों, तनातनी, गलत सूचनाओं और नफरत से भर गई थीं. यह शक्ति और प्रभाव का फायदा उठाने की कोशिश थी, और इसने आत्म-महत्व के शर्मनाक स्तरों को उजागर किया.

सच में, एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर, जिसने पहले आपकी फिल्मों को पसंद किया है, और आपकी फिल्म देखने के लिए सिनेमा हॉल के बाहर लंबी कतारों में खड़ी रही है, मैं संजीदगी से आपसे गुजारिश करती हूं, ये सब मत कीजिए.
राष्ट्र-विरोधी की तरह नहीं (लेकिन हाहा ! यह आपको पसंद नहीं आएगा, है न?)

एक पूर्व फैन

(मेखला सरन लॉ स्टूडेंट, फ्रीलांस पत्रकार और कवि हैं. उनका ट्विटर अकाउंट @mekhala_saran है.)

ये भी पढ़ें- कंगना के नए वीडियो से उठे सवाल, क्या उनकी आलोचना देशद्रोह है?

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