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पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया काफी हद तक एक जैसे हैं

दूसरे देशों के पास जहां सेना है, वहीं उत्तर कोरिया और पाकिस्तान में सेना के पास देश हैं.

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पाकिस्तान ने 40 साल पहले भारत के खिलाफ आतंकवादियों का इस्तेमाल शुरू किया था. 1980 के दशक में उसने पंजाब और 1990 के बाद से कश्मीर को निशाना बनाया. कई लोग यह सवाल करते हैं कि पाकिस्तान इतना नीचे कैसे गिर गया.

दक्षिण और उत्तर कोरिया का किस्सा भी भारत और पाकिस्तान की तरह है. लोगों का इस ओर ध्यान नहीं गया है कि उत्तर कोरिया और पाकिस्तान करीब-करीब एक जैसे देश हैं.

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दोनों को आजादी लगभग एक समय में मिली थी. कोरिया 1945 में आजाद हुआ और पाकिस्तान की स्थापना 1947 में हुई. दोनों ही देश बंटवारे से वजूद में आए.

एक बंटवारा नहीं चाहते हुए भी आपसी सहमति से हुआ था. दूसरा बंटवारा रूस और अमेरिका ने किया था. इसी में विडंबना छिपी है. अंग्रेजों को लगा कि भारत और पाकिस्तान खुद राजकाज संभाल सकते हैं, जबकि रूस और अमेरिका को लगा कि कोरिया सेल्फ-रूल के लायक नहीं है.

अंग्रेज, भारत और पाकिस्तान को छोड़कर चले गए, लेकिन रूस और अमेरिका ने उत्तर और दक्षिण कोरिया के रूप में अपने नियंत्रण वाले दो क्षेत्र बनाए. भारत और दक्षिण कोरिया ने जहां साबित किया कि वे स्वतंत्र देश बनने के योग्य थे, वहीं उत्तर कोरिया और पाकिस्तान से निराशा हुई.

दोनों देशों ने छेड़ी जंग

भारत से अलग होने के दो महीने बाद ही पाकिस्तान ने हमारे खिलाफ पहली जंग शुरू कर दी थी. उत्तर कोरिया ने भी 1950 में दक्षिण कोरिया के खिलाफ युद्ध लड़ा. 1953 में उत्तर कोरिया की जबरदस्त हार हुई और औपचारिक तौर पर इसी साल कोरिया दो हिस्सों में बंट गया. 1971 में पाकिस्तान भी दो-फाड़ हो गया.

कोरिया में आज असैन्य क्षेत्र (डीएमजेड) है. हमारे यहां वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) है, जिसे अब एलओसी कहा जाता है.

रूस ने उत्तर कोरिया की आर्मी को ट्रेनिंग और हथियार दिए. उसने उत्तर कोरिया की मदद न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी में भी की. अमेरिका इस हद तक तो नहीं गया, लेकिन उसने पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.
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1980 में जब पाकिस्तान परमाणु हथियार बनाने में जुटा था, तब अमेरिका ने अपनी आंखें मूंद ली थीं. 1990 के दशक में आजिज आकर रूस ने उत्तर कोरिया का साथ छोड़ दिया. अमेरिका ने भी पाकिस्तान की कारगुजारियों से तंग आकर 1990 के दशक में ऐसा ही किया.

अमेरिका का दबाव हटने के बाद पाकिस्तान ने 1998 में परमाणु बम का परीक्षण किया और उत्तर कोरिया ने साल 2006 में. आज दोनों देशों को चीन की सरपरस्ती मिली हुई है. उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है और पाकिस्तान की इकनॉमी भी बहुत बुरे दौर से गुजर रही है.

दोनों देशों में कुछ अंतर भी हैं...

उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के बीच बड़ी समानताएं इतनी ही हैं. उत्तर कोरिया ने कुछ समय तक आतंकवाद का इस्तेमाल करने के बाद 1983 में उससे तौबा कर ली. पाकिस्तान ने ऐन उसी समय आतंकवादियों को पनाह और सरपरस्ती देनी शुरू की.

इत्तेफाक देखिए कि जिस अक्टूबर महीने में उत्तर कोरिया ने आतंकवाद का इस्तेमाल बंद किया, उसी महीने में पाकिस्तान ने इसकी शुरुआत की. उत्तर कोरिया की सेना डीएमजेड और पश्चिमी समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ के कुछ मामलों में शामिल रही है, लेकिन पाकिस्तान एलओसी पर एक नहीं बल्कि चार बार भारत से उलझ चुका है. कम से कम इस मामले में वह उत्तर कोरिया से कहीं ज्यादा सनकी है.

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दोनों देशों में एक और फर्क यह है कि उत्तर कोरिया की सेना अपनी हद जानती है, लेकिन पाकिस्तान की सेना को अपनी हद पता नहीं है. उसका जब भी मन करता है, वह अशांति फैलाती है. उसने अपने देश को भी नहीं बख्शा है. उसके जिहादी ग्रुप उत्तर भारत में बनने वाले कट्टे की तरह हैं, जिनसे आगे और पीछे कहीं से भी गोली निकल सकती है.

दोनों देशों में एक बड़ा फर्क यह भी है कि पाकिस्तान में जनता सरकार चुनती है, जबकि उत्तर कोरिया में सत्ता विरासत में मिलती है. दोनों ही देशों में असल सत्ता सेना के हाथों में है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री सेना प्रमुख की नियुक्ति करते हैं और फिर उनके हाथ की कठपुतली बन जाते हैं. उत्तर कोरिया में कहने को तो हर चीज पर शीर्ष लीडर का कंट्रोल होता है, लेकिन उनका वजूद भी सेना की ताकत की वजह से होता है. सेना चाहे तो एक झटके में उन्हें हटा सकती है.

पाकिस्तान में सक्रिय राजनीति होती है, वहां की सिविल सोसायटी भी मजबूत है. तुलनात्मक तौर पर प्रेस स्वतंत्र है, शानदार न्यायपालिका है. अवाम चाहती है कि सेना राजनीति में दखल देना बंद करे. उत्तर कोरिया में हाल उलटा है.

एक वक्त था, जब अमेरिका ने पाकिस्तान को घुटने के बल बिठाए रखा था और वह उत्तर कोरिया को गली का गुंडे मानकर उसके साथ वैसा ही बर्ताव करता था. आज हालात बिल्कुल बदले हुए हैं. उत्तर कोरिया 65 साल से दुनिया से कटा हुआ है. अमेरिका उसके इस वनवास को खत्म करने की कोशिश कर रहा है.

उधर, पाकिस्तान से हमेशा दूरी बनाए रखने वाला रूस उसे अलग-थलग पड़ने से बचाने की कोशिश कर रहा है. चीन की दिलचस्पी आज उत्तर कोरिया के बजाय पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाने में दिख रही है.

पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को लेकर सबके मन में आशंका है, क्योंकि दोनों का भरोसा नहीं किया जा सकता. दोनों सनकी देश हैं, क्योंकि दुनिया के दूसरे देशों के पास जहां सेना है, वहीं उत्तर कोरिया और पाकिस्तान में सेना के पास देश हैं.

(लेखक आर्थिक-राजनीतिक मुद्दों पर लिखने वाले वरिष्ठ स्तंभकार हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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