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जातिवाद की हार और मोहब्बत की जीत का पैगाम देती है ये तस्‍वीर

आखिर मां-बाप, भाई-बहन और रिश्तेदार ही अपने बच्चों की जान क्यों ले लेते है?

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तेलंगाना में एक हंसते-खेलते जोड़े को लड़की के पिता की बुरी नजर लग गई. उन्होंने अपनी बेटी के पति की सरेआम हत्या करवा दी. उस लड़की ने अब एक बच्चे को जन्म दिया है.

मामला तेलंगाना का है. प्रणय और अमृता ने शादी की. शादी से पहले दोनों ने प्री-वेडिंग फोटोग्राफी (फोटोशूट) कराई. दोनों उन तस्वीरों में बेहद खुश नजर आते हैं. दो वयस्क युवाओं की सहमति से शादी को यूं तो बेहद साधारण बात होनी चाहिए थी, लेकिन वो शादी खास थी. प्रणय दलित थे और अमृता सवर्ण जाति से थीं.

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भारतीय समाज की जाति-व्यवस्था के शास्त्रीय ताने-बाने पर ये शादी एक तमाचा थी.

रूढ़िवादी समाज में 'अनुलोम' विवाह को 'हां', प्रतिलोम को 'ना'

अपने देश में शादी दो वयस्कों के बीच आपसी करार नहीं, एक धार्मिक कृत्य है. शादी अपनी ही जाति में करने का धार्मिक विधान है. अपनी कन्या को अपनी ही जाति में ब्याह देना पिता का अनिवार्य सामाजिक और धार्मिक कर्तव्य है. जाति संकर या वर्ण संकर संतानों को बेहद खराब माना जाता है. इसके बावजूद, अगर लड़की सामाजिक रूप से निचले तबके की हो और लड़का उससे ऊपर का, तो इसे फिर भी स्वीकार कर लिया जाता है. इसे 'अनुलोम विवाह' कहते हैं.

लेकिन अगर सवर्ण की लड़की को कोई दलित लड़का ब्याह ले, तो सवर्ण परिवार अक्सर ये मानते हैं कि ये डूब मरने वाली बात हो गई.

प्रतिलोम विवाह की न तो शास्त्रों में इजाजत है, न ही परंपरागत समाज उन्हें स्वीकार करता है. हालांकि अब कुछ परिवारों में ऐसी शादियों को भी स्वीकार किया जाने लगा है, लेकिन यह एक आम बात नहीं है. ऐसी शादी के कुछ मामलों में घर वाले तक भी आत्महत्या कर लेते हैं. कई बार लड़के और लड़की, दोनों की हत्या कर दी जाती है.

लेकिन इस मामले में दूल्हे की हत्या करने का रास्ता चुना गया. अमृता ने जब प्रणय से शादी रचाई, तो सवर्ण जाति के परिवार का अहम बुरी तरह टूटा और कथित तौर पर दामाद की सरेआम हत्या करवा दी. घटना की पुलिस जांच कर रही है. इस बीच अमृता ने इस हत्या के लिए अपने पिता को जिम्मेदार माना है.

प्रेगनेंट पत्नी के सामने कर दी गई थी पति की हत्या

हत्या का वाकया उस दौरान हुआ, जब अमृता प्रेगनेंट थी और पति-पत्नी दोनों अस्पताल जा रहे होते हैं. ये पूरा मामला वीडियो में कैद हो जाता है. सोशल मीडिया और न्यूज चैनल से ये देश-विदेश में फैल जाता है.

तेलंगाना की इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया. इसके बाद फेसबुक पर बने जस्टिस फॉर प्रणय पेज से सवा लाख से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं. अमृता ने भी तय किया है कि वे इस अभियान को आगे बढ़ाएंगी.

आखिर मां-बाप, भाई-बहन और रिश्तेदार ही अपने बच्चों की जान क्यों ले लेते है?
आखिर मां-बाप, भाई-बहन और रिश्तेदार ही अपने बच्चों की जान क्यों ले लेते है?
(फोटो: फेसबुक/जस्टिस फॉर प्रणय)

हॉनर किलिंग की ये पहली घटना नहीं थी. हरियाणा का मनोज और बबली हत्याकांड देशभर में चर्चित रहा था.

ऐसी घटनाएं देश के तमाम हिस्सों में होती रहती हैं. इनमें से कम ही घटनाओं से पर्दा उठ पाता है. कई बार ऐसी हत्याओं की खबर परिवार और समाज की सहमति के बाहर नहीं जा पातीं. चूंकि पुलिस में शिकायत करने वाला अक्सर कोई नहीं होता, इसलिए मुकदमे भी नहीं चलते.

सवाल ये है कि आखिर मां-बाप, भाई-बहन और रिश्तेदार ही अपने बच्चों की जान क्यों ले लेते है? ये कहने का कोई मतलब नहीं है कि शिक्षा से समाज की ये कुरीतियां अपने आप दूर हो जाएंगी.

मिसाल के तौर पर अमृत और प्रणय के केस को ही देखें. अमृता के पिता का परिवार अमीर और उच्च शिक्षित है. गर्भस्थ बालिकाओं की हत्या की तरह ही, ऑनर कीलिंग भी गरीबों से कहीं ज्यादा अमीरों और खाते-पीते परिवारों की बीमारी है. अनपढ़ लोगों से कहीं ज्यादा शिक्षित लोगों की समस्या है.

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सवाल ये भी है कि एडल्ट लोगों को अपने जीवनसाथी चुनने का अधिकार क्यों न हो? एक लड़की किसके साथ शादी करे, संबंध बनाए, ये उसकी आजादी क्यों न हो? क्या एक लड़की की जबरदस्ती, उसकी मर्जी के बिना शादी को रेप नहीं माना जाना चाहिए?

समाज सुधार के अभियान ऐसी घटनाओं को रोकने में अब तक नाकाम रहे हैं. कानून का भय ही शायद इन पर रोक लगाने में प्रभावी हो सके. अभी तक भारत में हॉनर किलिंग के लिए अलग से कोई कानून नहीं है. समय की जरूरत है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अलग से कानून बने. प्रेमी जोड़ों को सरकार सुरक्षा मुहैया करवाए.

आखिर मां-बाप, भाई-बहन और रिश्तेदार ही अपने बच्चों की जान क्यों ले लेते है?
सरकार का दायित्व है कि ऐसे जोड़ों को सुरक्षा भी प्रदान करना
(फोटो: फेसबुक/जस्टिस फॉर प्रणय)

ज्यादातर राज्य सरकारें अंतर्जातीय शादियों को प्रोत्साहन देने के लिए आर्थिक पुरस्कार देती हैं. ऐसे में सरकार का दायित्व है कि ऐसे जोड़ों को सुरक्षा भी प्रदान करें और उन पर होने वाले हर हमलों को गंभीरता से ले. जब ऐसे मामलों में हमलावरों को कानून सख्त सजा देगा, तभी ऐसी घटनाएं रुकेंगी.

सोचिए, प्रेगनेंट पत्नी के सामने पति की हत्या. वो पल अमृता के लिए कितने भयावह रहे होंगे. उसके बाद प्रेगनेंट अमृता पर एबॉर्शन के लिए दवाब बनाया जाता है. लेकिन वो नहीं टूटती.

30 जनवरी को वो बच्चे को जन्म देती है. इतना ही नहीं, वे अपनी और बच्चे की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर डालती है. उस तस्वीर के बैकग्राउंड में प्रणय की एक तस्वीर है. साथ में एक स्टिकर है, जिस पर लिखा है, “डैड माई फोरएवर हीरो’’.

यह एक तस्वीर जातिवादियों की तमाम हिंसा और क्रूरता पर भारी है. 2 फरवरी तक इस तस्वीर को 22 हजार लोग लाइक कर चुके हैं. इस तस्वीर पर आए लगभग सभी दो हजार मैसेज में इस बच्चे और मां को शुभकामनाएं दी गई हैं.

जातिवाद की हार और मोहब्बत की जीत का ये पैगाम हम और आप, सबके लिए.

(लेखिका भारतीय सूचना सेवा में अधिकारी हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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