डोनाल्ड ट्रंप के सात मुस्लिम देशों के नागरिकों की अमेरिका में एंट्री को बैन करने को लेकर पूरे अमेरिका में विरोध प्रदर्शन जारी है. आम से लेकर खास तक इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं.
फेसबुक फाउंडर मार्क जकरबर्ग, गूगल के को-फाउंडर सर्जी ब्रिन और गूगल सीईओ सुंदर पिचाई ने खुलकर इस मामले पर नाराजगी जताई है. यहां जानिए उनकी नाराजगी है वजह क्या है.
फेसबुक फाउंडर मार्क जकरबर्ग
मार्क जकरबर्ग ने ट्रंप के फैसले के खिलाफ अपनी फेसबुक वॉल पर विचार लिखे. उन्होंने लिखा,
कई लोगों की तरह मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप के उन आदेशों के प्रभावों पर चिंतित हूं, जिन पर उन्होंने हाल ही में दस्तखत किए हैं. हमें इस देश को सुरक्षित रखने की जरूरत है, लेकिन हमें ऐसा उन लोगों का ध्यान रखना चाहिए जिनसे वाकई में खतरा है. हमें अपने दरवाजे शरणार्थियोंं के लिए खुले रखने चाहिए. यही हमारी पहचान है. अगर हमने कुछ दशक पहले शरणार्थियों से मुंह फेर लिया होता, तो प्रेसिलिया का परिवार आज यहां नहीं होता.मार्क जकरबर्ग
मार्क जकरबर्ग के दादा-दादी जर्मनी, ऑस्ट्रियाई और पोलैंड मूल के थे. वहीं उनकी पत्नी प्रिसेलिया के माता-पिता, चीन और वियतनाम के रहने वाले थे. जकरबर्ग का कहना है कि अमेरिका प्रवासियों का देश है.
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खुद भी प्रवासी हैं गूगल CEO सुंदर पिचाई
सुंदर पिचाई खुद भी एक प्रवासी हैं. उनकी परवरिश भारत में ही हुई है. इसलिए वो बेहतर तरीके से प्रवासियों की समस्या को समझ पा रहे हैं. लेकिन उनकी समस्या यहीं खत्म नहीं होती.
दरअसल ट्रंप के इस आदेश के बाद गूगल के कर्मचारी बैन किए हुए मुस्लिम देशों से हैं उनके लिए समस्या खड़ी हो गई है. ऐसे कर्मचारियों की संख्या 187 के आसपास बताई जा रही है.
द वाल स्ट्रीट जर्नल में दिए गए स्टेटमेंट में पिचई ने कहा,
हम इस बात से दुखी हैं कि इस आदेश से गूगलर्स और उनके परिवारों पर रोक लग सकती है. साथ ही इससे अच्छे टैलेंट को अमेरिका आने में दिक्कत होगी. इस आदेश का हमारे कर्मचारियों पर व्यक्तिगत प्रभाव देखना दुखदायी है.सुंदर पिचाई
बीबीसी के मुताबिक, गूगल ने करीब 100 कर्मचारियों को वापस देश बुला लिया है.
सोवियत रूस से आए थे गूगल को-फाउंडर सर्जी ब्रिन
लैरी पेज के साथ गूगल के को-फाउंडर रहे सर्जी ब्रिन, सुंदर पिचई की तरह खुद भी सोवियत रूस से आए हुए प्रवासी थे.
उन्होंने अमेरिका के सान फ्रांसिस्को शहर के एयरपोर्ट पर शनिवार रात हुए प्रदर्शन में खुद जाकर हिस्सा लिया. हालांकि उन्होंने किसी भी तरह का कमेंट नहीं दिया.
ब्रिन सामाजिक मुद्दों को लेकर हमेशा मुखर रहे हैं. चीन में जब सरकार समर्थित तत्वों ने एक्टिविस्टों के जीमेल एकाउंट हेक किए थे तो सर्जी ब्रिन की वजह से ही गूगल ने चीन छोड़ दिया था.
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